लिव-इन रिलेशनशिप से होने वाले 12 नुकसान Disadvantages Of Live In Relationships In Hindi
Disadvantages Of Live In Relationships In Hindi
लिव-इन रिलेशनशिप किसे कहते हैं ? विवाह से पहले कुछ माह अथवा वर्ष एक साथ रहने को लिव-इन रिलेशिप कहा जाता है। ऐसे लगभग सभी मामलों में शारीरिक सम्बन्ध भी बना लिये गये होते हैं। वैसे भारत में ऐसे सम्बन्ध आज भी महानगरों में सीमित हैं एवं वहाँ भी बहुत कम ही मामले ऐसे होते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप की ओर पाँव बहकने के दो कारण मुख्य हैंः एक यह कि पश्चिमीकरण के कारण व्यक्ति नैतिक शिक्षा से दूर होता जा रहा है तथा दूसरा यह कि तथाकथित आधुनिक परिवेश में यौन-उच्छृंखला आती जा रही है जहाँ विवाहपूर्व सम्बन्धरूपी पाप को ‘आम बात’ समझ लिया जा रहा है। तथाकथित शारीरिक सुन्दरता अथवा एवं वेतन अथवा चुनिंदा गिने-चुने लक्षणों से एक-दूसरे की ओर जबरन आकर्षित होने वाले दो लोग यथार्थ जीवन का भविष्य नहीं देख सकते।
यहाँ हम ऐसे व अन्य सभी विवाहेतर विवाहपूर्व सम्बन्धों, परपुरुषगमन परस्त्रीगमन की असलियतों को उजागर करेंगे ताकि इस महा बुराई से सब उबर सकें। यहाँ लिव-इन होने से चारित्रिक, लैंगिक, स्वास्थ्यगत, वैधानिक, मानसिक, पारिवारिक व आर्थिक हानियों का उल्लेख किया जा रहा है।
Disadvantages Of Live In Relationships In Hindi
बहाना : लिव-इन रिलेशनशिप से दोनों को एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है ताकि सोच-समझकर निर्णय किया जा सके कि जीवनभर साथ रहा जा सकता है कि नहीं ! कुछ आदिवासी कबीलों में भी इसके जैसी परम्परा है !
खण्डन : एक-दूसरे को समझने के लिये एक कमरे में रहने की कोई आवश्यकता नहीं होती एवं लैंगिक सम्बन्ध तो महामूर्खतापूर्ण हैं ही। इस सम्बन्ध में Nayichetana.com के ये आलेख ‘विवाहपूर्व काउंस्लिंग द्वारा 20 समस्याओं से बचें’, ‘कई पापों व हानियों की जड़ कामेच्छा को जड़ से मिटाने के उपाय’, ‘चरित्र परखने के उपाय’, ‘लवमैरिज बनाम अरैन्जमैरिज’, ‘विश्वास विष का वास क्यों बन जाता है.
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3-4 घण्टों की 3-4 भेंटों में परस्पर विष्लेषण करते एवं क्रास चेक सहित शपथग्रहण द्वारा अतीत से भविष्य तक बहुत कुछ सरलता से खँगाला जा सकता है। तुच्छ नश्वर शारीरिक सुख की चाह में बँधे नर-नारी वास्तव में निष्पक्षता से सुदूर भविष्य देख ही नहीं सकते जो लैंगिकता से परे व बहुत सारे अलैंगिक कारकों पर चलता है।
किसी आदिवासी परम्परा का भाग होने से किसी कुरीति को धर्मसंगत नहीं कहा जा सकता. क्या हम-आप चाहेंगे कि हमारे माता-पिता व पूर्वज लिव-इन Relationship में रहे हों अथवा हमारी सन्तानें ऐसी निकलें ? व्यक्ति कोई वस्तु नहीं जिसे ‘Use’ करके देखा जाये।
बहाना : लिव-इन रिलेशन स्वेच्छा से बनाये जाते हैं, न कि बलात तो फिर ?
खण्डन : फिर भी पाप को पुण्य नहीं कहा जा सकता, ऊपर के बहाने व उसके खण्डन को पढ़ें।
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चारित्रिक हानियाँ –
1. आप स्वयं से पूछें कि लिव-इन रिलेशनशिप व अन्य विवाहेतर सम्बन्ध आपको कहाँ से नैतिक, धर्मसंगत अथवा पुण्यप्रद लगते हैं ? चरित्र सर्वोपरि होता है, अपने Character में एक दाग भी आप कैसे स्वीकार कर सकते हैं ?
2. पाशविकता अथवा राक्षसीपन के बाद स्वयं को मानव कैसे कहा जा सकता है ?
लैंगिक हानियाँ –
3. पहले से ही किसी से सम्बन्ध बना लेने अथवा बाद में किसी अन्य से सम्बन्ध बनाने वाले व्यक्ति के मन में तुलनाएँ डोलती रहती हैं अतः उसे अपने जीवनसाथी में कमियाँ ही कमियाँ नज़र आने लगती हैं।
4. अपना जीवनसाथी का शिष्न, सेक्स अवधि सब कम लगने लगता है, ‘तुलना बड़ी बुरी बलाय’ नामक आलेख पढ़ा जा सकता है।
स्वास्थ्यगत हानियाँ –
5. संक्रामक रोग-प्रसार : उदाहरणार्थ हर्पीज़ जैसे ऐसे अनेक संक्रामक रोग कई लोगों को पहले से होते हैं जो निरोध के आर-पार सरलता से चले जा सकते हैं एवं सम्भव है कि व्यक्ति को दशकों तक उनका पता न चले एवं वह पीढ़ियों तक उन्हें फैलाता जाये.
वैधानिक हानियाँ –
6. अवांछित गर्भधारण : शुक्राणु मानव-शरीर की इतनी छोटी कोशिका होती है जिसे निरोधादि से Guaranty नहीं रोका जा सकता, निरोध की बनावट खाल जैसी होती है जिसमें त्वचा जैसे सूक्ष्म छिद्र होते हें तभी निरोध इतना लचीला होता है.
7. जायज़ाद व ज़मीन आदि सहित जीवन का बँटवारा : सामने वाले व्यक्ति ने यदि ब्लैकमेल इस हद तक किया अथवा सन्तान ने जन्म ले लिया तो उसके बाद की स्थितियों की कल्पना करनी भी आपके मन को कँपा देने वाली हो सकती है। मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक हानियाँ –
8. व्यक्ति का दाम्पत्य जीवन उतना Happly हो ही नहीं सकता जितना कि विवाहेतर व विवाहपूर्व सम्बन्धों से दूर रहने पर होता.
9. विवाह से मुकर जाना : इसके ढेरों उदाहरण अख़बारों व मीडिया चैनल्स में छाये रहते हैं.
10. आजीवन ग्लानि : विवाह से पहले एक बार लिव-इन रिलेशनशिप अथवा सेक्स से क्या मिल जायेगा ? बस वीर्यस्खलन ही ना ! और जीवनभर की ग्लानि सहित अन्य दुष्परिणाम.
11. लिव-इन रिलेशनशिप में व्यक्ति ज़िम्मेदारियों से भागने को पहले से ही तैयार रहता है (वास्तव में अब संशोधित भारतीय कानून (Indian Low) में वह आसानी से नहीं भाग सकता).
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12. लिव-इन रिलेशनशिप बोलें या विवाहपूर्व विवाहेतर सम्बन्ध अथवा परस्त्री व परपुरुषगमन वास्तव में इस प्रकार के सम्बन्ध बनाने को तैयार व्यक्ति को आप चाहे वर्षों से जानते-पहचानते हों फिर भी क्या उससे अपेक्षा की जा सकती है कि वह दूध का धुला होगा ?
कदापि नहीं, वैसे भी आजकल फ़ुर्सत अथवा Time pass की आड़ में मीठी अथवा अपनेपन जैसी बातें करके समय बीतने पर ‘रात गयी, बात गयी’ बोलकर मुकर जाने वाले भी बहुत हैं एवं लोभवश अथवा ऊबकर अपने कपड़ों व योनि, मुख (स्त्री व पुरुष दोनों की बात हो रही है) तक में छुपा Camara लगाकर Blackmail करने को तैयार व्यक्ति भी अब कई जगहों पर सरलता से पता चलते रहते हैं.
सम्बन्ध को Record करके आपके घर कार्यालय भेजना, So Called Social Media पर अपलोड करना, चल-अचल सम्पत्ति पर डोरे डालना, आजीवन पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक व आर्थिक ब्लेकमॅलिंग ख़ूब ज़ोरों पर है क्योंकि सभी को आरम्भ में ऐसा ही लगता है कि मेरा Partner तो अच्छा है, दिल का कितना सच्चा है।
असल पोल-पट्टी तो समय आने पर खुलती है जब अपनी लाज बचाने तक का समय नहीं मिल पाता. अब क्या विचार ? क्या अब भी लिव-इन रिलेशनशिप को तैयार ?
तो दोस्तों यह Article था लिव-इन रिलेशनशिप से होने वाले नुकसान – Disadvantages Of Live In Relationships In Hindi, Live In Relationship Se Hone Wale Nuksan. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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