जीवनसाथी बच्चो पर नज़र रखने की 11 तरीके Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
Table of Contents
- जीवनसाथी बच्चो पर नज़र रखने की 11 तरीके Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
- Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
- 1. निगरानी सोफ़्टवेयर्स :
- 2. नियमित मोबाइल इत्यादि निरीक्षण :
- 3. हर प्रकार की एक आयडी, एक पासवर्ड, सब कुछ एक :
- 4. आयडी बनाकर अज्ञात बनकर उससे बात :
- 5. उसकी संगति पर नज़र :
- 6. सीसीटीवी एवं अन्य कैमरे :
- 7. उसके अधीनस्थों से सम्पर्क :
- 8. उसके मालिकों से सम्पर्क :
- 9. पड़ौसियों व चौकीदार इत्यादि से सम्बन्ध :
- 10. उसके साझेदार से पहचान बढ़ायें :
- 11. संवादहीनता से बचकर चलें :
- Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
” जहाँ प्रेम तहाँ परवाह ” इसलिये जब आपका अपना कोई आपके सामने पूछताछ करे अथवा छुपकर आपको क्रास-चेक करे तो बुरा मानने वाली बात बिल्कुल नहीं है, यह तो उसका स्नेह है, अधिकार है तथा उसे ऐसा करने देना आपका कर्तव्य ।
सन्तान व जीवनसाथी ये दो ऐसे व्यक्ति होते हैं जो प्रायः हमारे जीवन में मन से बहुत जुड़े होते हैं। इन पर यदि नज़र रखी जाये तो उनपर शंका होने की स्थिति से बचा जा सकता है क्योंकि हमें पहले से ही पता होगा कि वास्तविकता क्या है तथा आप दोनों के बीच दूरी बढ़ाने वाली समस्या को खोजकर निर्मूल किया जा सकेगा।
प्रायः संवादहीनता से स्थितियाँ बिगड़ती हैं एवं मनमुटाव व रोष से परिस्थितियाँ ‘एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा’ होती जाती हैं। सम्बन्धों में चाहे जितना बिखराव आ चुका हो किन्तु समय इतना कभी नहीं बीत सकता कि पुनः समेटा न जा सके.
कोई दूरी कभी इतनी नहीं हो सकती कि पुनः वापसी न की जा सके। एक-दूसरे पर नज़र के असर अच्छे रहते हैं एवं अत्यधिक बिगड़ चुके सम्बन्धों को सुधारा जा सकता है एवं पुनः बिगड़ने से बचाया जा सकता है :
Jeevansathi Bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike
1. निगरानी सोफ़्टवेयर्स :
आजकल ऐसे सॉफ्टवेर उपलब्ध हैं जिन्हें चिप में लगाकर अथवा जीवनसाथी, सन्तान के इलेक्ट्रानिक गजेट, फ़ोन,लेपटोप,कम्प्यूटर में लगाकर आपको उसके स्थान की जानकारी लगातार मिल सकती है.
( जैसे कि ट्रैन का Live Status देख रहे हों ) एवं व्यक्ति Mobile में अथवा अपनी ID या प्रोफ़ाइल इत्यादि पर कब-कब क्या-क्या Search करता है वह भी पता चल जाता है।
उसने कब किससे कितनी अवधि तक एवं क्या बात की यह भी पता लगाया जा सकता है। दूसरे शहर, गाँव में रह रही सन्तान, भ्रमण के लिये गये जीवनसाथी की भलमनसाहत पर नज़र रखने के लिये यह बड़ा उपयोगी उपाय हो सकता है।
2. नियमित मोबाइल इत्यादि निरीक्षण :
अचानक आपस में एक-दूसरे का मोबाइल, पर्स इत्यादि समस्त चीजे़ं, सेवाएँ चेक करते रहने से भी परस्पर विश्वास सुदृढ़ होता है, सम्बन्धों में दूरी घटती है।
3. हर प्रकार की एक आयडी, एक पासवर्ड, सब कुछ एक :
एक-दूसरे के सब Password दोनों को पता हों, यदि हो सकते तो हर प्रकार की एक ही ID हो, वह भी संयुक्त जिसे दोनों प्रयोग करें तो इससे बीच में मनमुटाव होने की हर आशंका उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जायेगी।
4. आयडी बनाकर अज्ञात बनकर उससे बात :
इसे जाँच-पड़ताल के अन्तिम विकल्पों में से एक के रूप में आज़माया जा सकता है कि ताकि उसका मन टटोला जा सके। ध्यान रहे – ग़लत नीयत से लड़की अथवा लड़का बनकर अथवा अन्य किसी अवैध इरादे से ऐसा कुछ करेंगे तो आप Cyber अपराधी कहे जायेंगे।
5. उसकी संगति पर नज़र :
सन्तान, जीवनसाथी के सहपाठियों, सहकर्मियों व तथाकथित मित्रों एवं अन्य प्रकार के संगी-साथियों के सम्पर्क में रहें किन्तु ध्यान रहे कि ये व्यक्ति आपकी सन्तान, जीवनसाथी की बातें छुपाकर आपको धोख़ा न दें।
सन्तान या Jeevansathi स्वयं हो अथवा उसके संगी-साथी आपको सबके साथ सहज-सुहृद् व्यवहार रखना है ताकि वे हर बात आपको खुलकर स्वयं पहल करते हुए बता सकें, अन्यथा याद रखें कि हर छुपावरूपी अंधियारे स्थान में गंदगी पनप सकती है.
ज़हरीले दोषरूपी कीड़े पैदा हो सकते हैं अथवा आपसे दूरी रूपी दरार आ सकती है जिसे समय रहते भर लिया जाये, अन्यथा भरना बहुत कठिन लग सकता है ( किन्तु समय कितना भी बीत चुका हो, स्थितियाँ चाहे जितनी बिगड़ चुकी हों, सुधार व पहले जैसी अथवा पहले से भी अधिक अच्छी स्थितियों की वापसी हर हालत और हालात में सम्भव होती है)
6. सीसीटीवी एवं अन्य कैमरे :
सन्तान या जीवनसाथी के आवास व कार्य क्षेत्रों में उसकी गतिविधियों की ब़ारीक़ निगरानी में यह सहायक हो सकता है। हो सके तो किराये पर मकान ढूँढते समय ऐसे मकान-मालिकों से सम्पर्क करें जिनके यहाँ ये Camare व ऐसी व्यवस्था पहले से हो।
7. उसके अधीनस्थों से सम्पर्क :
अपने जूनियर्स व पद, आयु इत्यादि में छोटों अथवा पदसोपान में अपने से नीचे कार्यरत् लोगों से व्यक्ति आमतौर पर भयभीत नहीं रहता जिससे काफ़ी सीमा तक खुलकर जी रहा होता है एवं उसके अधीन कार्यरत् व्यक्ति का दिनभर उससे आमना-सामना भी अधिक होता रहता है इसलिये आपके जीवनसाथी, सन्तान की गहराई से जुड़ी जानकारियाँ ऐसे व्यक्ति आपको सहजता व शीघ्रता से बता सकते हैं।
8. उसके मालिकों से सम्पर्क :
उसके बॉस, मकान-मालिक, दुकान-मालिक इत्यादि के पास आपके जीवनसाथी, सन्तान के निरीक्षण का अधिकार भी होता है, जीवनसाथी या सन्तान के जीवन पर उसकी पहुँच भी होती है एवं आपका जीवनसाथी या सन्तान थोड़ी-बहुत सीमा तक उसके वष में भी होती है.
इस प्रकार समयबद्ध सटीक जानकारी आपको कहाँ से मिल सकती है आपको पता चल गया है। इन मालिकों को आप उसकी निगरानी करने के तौर-तरीके भी सिखा सकते हैं।
9. पड़ौसियों व चौकीदार इत्यादि से सम्बन्ध :
सन्तान जीवनसाथी के निवास व कार्य स्थल के आस-पड़ौस में रहने वाले एवं विशेष रूप से रात को घूमने वाले चौकीदार आपको बता सकते हैं कि आपके अपनों के Room की Light रात को कब तक खुली रहती है, कौन-कौन आता-जाता है इत्यादि। इसी प्रकार उसके आवास व कार्यस्थल सहित आवागमन के मार्गों के दुकानदारों, पान की गुमठियों के लोग भी आपके गुप्तचर हो सकते हैं।
10. उसके साझेदार से पहचान बढ़ायें :
उसके रूम-पार्टनर, गाड़ी-साझेदार इत्यादि से सरलता से जाना जा सकता है कि कल-परसों-नरसों आपकी सन्तान, जीवनसाथी ने क्या-क्या किया एवं आगे उसके द्वारा क्या करने का सोचा जा रहा है, बात की जा रही है, योजना बनायी जा रही है इत्यादि। ये आपके काफ़ी प्रामाणिक ख़ूफ़िया सूत्र सिद्ध हो सकते हैं।
11. संवादहीनता से बचकर चलें :
संवादशीलता बनी रहे तो एक-दूसरे के विचारों व भावी जीवन की घटनाओं के पूर्वानुमान की सम्भावना भी अधिक रहती है। मतभेद होने पर भी संवाद लगातार रहना चाहिए ताकि मनभेद न हो सके। अपनी भी हर बात स्वयं पहल करके बतायें एवं उसे भी बढ़ावा दें कि वह भी हमेशा बताये।
संवादहीनता ऐसी बीमारी होती है जो एक बार लग गयी तो स्वयं कई बुराइयों को अपनी ओर खींच सकती है। ‘बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डालें’ नामक आलेख अवश्य पढ़ें।
जितनी अधिक सम्भव हो उतनी दिनचर्या साझी करें, यथासम्भव साथ खायें, साथ घूमें, साथ यात्रा करें, बाज़ार व अन्य जगह भी साथ शापिंग पे जायें, एक कमरे या हाल में सोयें। अवकाश के दिन भी दूसरों के साथ क्यों अपनी सन्तान, अपने जीवनसाथी के साथ योजना बनायें।
हो सके तो ऐसी योजना हो जो आप दोनों के पारस्परिक सहयोग को बढ़ाये, अधिक से अधिक संयुक्त सहभागिता वाली हो, जैसे कि बागवानी, मोहल्ले के खरपतवार उखाड़ने सहित प्लागिंग (चहलकदमी करते हुए रास्ते का कचरा उठाते चलना), किसी ग्रामीणक्षेत्र की यात्रा जिसके दौरान आप लोगों की सहायता भी करते चलें।
वैसे तो रोज़ चाय बनाते, खाना पकाते इत्यादि कार्यों में भी इक-दूजे का साथ हो तो सोने पे सुहागा, कोई Official अथवा अन्य किसी भी प्रकार का फ़ोन-काल आये तो दूर जाने के बजाय सामने बात करें.
यहाँ तक कि अपना Phone उसे उठाने और सामने वाले को सही परिचय बताकर बात करने को भी कह सकते हैं कि उससे क्या बोलना है, पर्सनल, पप्रोफ़ेशनल हर प्रकार के ईमेल या मैसेज का Reply वह कर सके, इतनी सहजता आप दोनों के मध्य होनी चाहिए।
संवादशीलता का स्तर इतना अधिक हो कि हर बात आप दोनों एक-दूसरे से पूछ-पूछकर करें। हमेशा T.V. देखते या कुछ-न-कुछ करते हुए ही साथ मिल-बैठकर बात करें यह आवश्यक तो नहीं, ऐसा भी तो हो कि हर रोज़ जब टी.वी. इत्यादि बन्द हो एवं केवल आप दो हों तब भी बात करें.
एक-दूसरे की बात करें, न कि खेल-फ़िल्म-राजनीति की। आपके आचार-व्यवहार के प्रति आपकी सन्तान, आपका जीवन साथी इतना आशवस्त हो कि जाने-अनजाने हुए उसके अपराध बताने से भी वह आपसे संकोच न करे एवं कोई पुराना अपराध न दोहराने व कोई नया अपराध न करने के प्रति संकल्पबद्ध हो।
सावधानी : ध्यान रहे कि अपने जीवनसाथी, सन्तान की निगरानी के पीछे आपकी नीयत उसमें जबरन दोष ढूँढने, उसे ग़लत अथवा स्वयं को सही साबित करने, उस पर चिल्लाने के बहाने ढूँढने, उसे नीचा दिखाने, ब्लैकमेल करने, कपट करने अथवा अन्य कोई अनुचित प्रयोजन न हो।
तो दोस्तों यह लेख था जीवनसाथी बच्चो पर नज़र रखने की तरीके – How To Spot Lifepartner Child In Hindi, Jeevansathi bachho Par Najar Rakhne Ke Tarike Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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VERY GOOD POST ,SIR. MANY MANY THANKS.