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आत्महत्या (खुदकुशी) के 11 कारण व निवारण के उपाय

October 6, 2020 By Surendra Mahara 1 Comment

आत्महत्या के 11 कारण व निवारण के उपाय Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi

Table of Contents

  • आत्महत्या के 11 कारण व निवारण के उपाय Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi
    • Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi
      • 1. आर्थिक संकट :
      • 2. पारिवारिक कष्ट :
      • 3. स्पर्धा करके हताशा का होना :
      • 4. कार्यस्थल पर उत्पीड़न होना :
      • 5. यौन-उत्पीड़न होना :
      • 6. अन्तर्जातीय विवाह का होना :
      • 7. घर का या परिजनों का मोह :
      • 8. गंभीर मानसिक या शारीरिक रोग का होना :
      • 9. आकस्मिक दुर्घटना :
      • 10. हीनभावना का होना :
      • 11. मानहानि होना :
    • आत्महत्या के निदान व निराकरण के उपाय –
      • 1. खुद बात करने की पहल करे :
      • 2. अपनी संतान से अपेक्षाएँ न रखें :
      • 3. पैसे से जुडी पारदर्शिता रखे :

Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi

वर्तमान के समय के हालात अथवा अधिक समय से चले आ रहे अवसाद के दौरान जो व्यक्ति कुएँ में कूदकर, रस्सी से फाँसी लगाकर अथवा अन्य माध्यम से अपने प्राणों का अन्त करता है तो उसे उसके द्वारा आत्महत्या करना कहा जाता है जो कि India सहित कई देशो में एक अपराध है तथा कई सम्प्रदायों में एक महापाप भी, शास्त्रों में उल्लेख है कि आत्महत्यारे को नरकों में घोर यातनाएँ झेलनी पड़ती हैं.

आख़िर क्यों न झेलनी पड़ें ? मोक्ष मानव जन्म में सहज माना जाता है, देवता तो देवता साक्षात् विष्णुदेव भी मानव रूप लेने के लिये मचलते रहते हैं, इस रूप को पाकर भी जो अपनी हत्या कर ले तो ईश्वर उस पर गुस्सा क्यों न हों। हम इस Article में आज आपके साथ आत्महत्या के कारणों, निदान व निवारण के उपायों का उल्लेख कर रहे हैं, आशा है कि इसे पढ़कर आप सभी के आत्मघाती विचार सदा के लिये दूर हो जायेंगे.

Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi

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Suicide

1. आर्थिक संकट :

आत्महत्या के सबसे अधिक देखे जाने वाले कारणों में एक कारण आर्थिक दुविधा है। नये Business के लिये लिया गया लोन न चुका पाने, बेरोज़गारी, परिवार द्वारा ‘ घर में इसका योगदान नहीं ’ ऐसा कह-कहकर सताये जाने, दुकान-मकान अथवा जमीन का किराया आदि की व्यवस्था नहीं कर पाने की सोच में घिरकर Aatmhatyaye लगभग पूरे संसार में की जाती हैं। यह ‘पैसा’ बड़े अनर्थों की जड़ है। इसलिए जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारें।

2. पारिवारिक कष्ट :

सौतन से झगड़ा, सौतेलापन, जीवन साथी से सम्बन्ध बिगड़ना, छोटों से बड़ों की अपेक्षाओं का होना, अन्य परिजनों की पारस्परिक अपेक्षाओं की पूर्ति न होने व अपेक्षा पूरी न कर पाने व अपेक्षा न करना चाहने के चक्कर में पारिवारिक प्रताड़ना या परिजनों द्वारा पीड़ित किये जाने, ताने मारे जाने को भी Suicide के प्रमुख कारण के रूप में देखा गया है। आपका जीवन ईश्वर इच्छा है, परिवार के कारण अपने Life के अन्त का विचार न करें।

3. स्पर्धा करके हताशा का होना :

अपने संगी-साथियों या आसपास के अन्य लोगो से स्पर्धा करना और उस होड़ में पिछड़ना या दूसरों की आर्थिक व सामाजिक प्रगति को देखकर ईर्ष्या करना व उनसे तुलना करने लग जाना. इस सोच में जाकर भी व्यक्ति आत्महत्या जैसे प्रयास करते पाये जा रहे हैं। ‘तुलना से हानियाँ’, ‘ईर्ष्या व हीनभावना के नुकसान’ जैसे हमारे आलेख अवश्य पढ़ें।

4. कार्यस्थल पर उत्पीड़न होना :

पुरुषों, विशेषतया स्त्रियों को अपने कार्यस्थल में पर्याप्त सम्मान न मिलने अथवा घर व कार्यालय के बीच असंतुलन होने के कारण भी व्यक्ति आत्मघाती कदम उठाते पाये गये हैं। मान-सम्मान जैसी नश्वर इच्छाओं को त्यागें और खुश रहे।

5. यौन-उत्पीड़न होना :

बॉस या सीनियर अधिकारी की पत्नी द्वारा पुरुष का अथवा आसपास के पुरुषों द्वारा स्त्री का लैंगिक उत्पीड़न, बलात्कार, शीलभंग, नकारात्मक टिप्पणियों से भी व्यक्ति भावनात्मक रूप से चिडचिडा हो जाता है जिससे उसके मन में Suicide के विचार आ सकते हैं। अगर आपके साथ कभी ऐसा होता है तो दोषियों का हमेशा विरोध करें, अपनी आत्मा पर घात नहीं।

6. अन्तर्जातीय विवाह का होना :

वधु पक्ष के परिवार द्वारा वर अथवा वर के परिवार को ‘आनर किलिंग’ के नाम पर मारे जाने या अन्य प्रकार से भावनात्मक डर दिखाये जाने से अथवा Society व ग्राम द्वारा अपमानित किये जाने की आशंका भी व्यक्तियों के मन में प्राणान्त करने के विचार ला सकते हैं। दो वयस्कों के विवाह के निर्णय पर आपराधिक तत्त्वों को हावी न होने दें।

7. घर का या परिजनों का मोह :

यह आकर्षण स्त्रियों से अधिक पुरुषों में आत्महत्या का एक कारण पाया गया है। बेटे के जन्म लेते ही एक उससे एक अघोषित अपेक्षा मन में भी ली जाती है कि यह आजीवन साथ रहेगा।

इस कारण जब वह शिक्षा अथवा जीविका के लिये दूर जाता है तो माता-पिता उसके पास जाने या उसे पास बुलाने के प्रयास करने लगते हैं, स्वयं भी उसके प्रति मोहित होते हैं, उसकी ओर खिंचते हैं एवं मनगढ़ंत मानसिक परेशानियों का हवाला करते हुए उसका भी मोह बढ़ाते हैं, उसे अपनी ओर खींचते हैं.

इस प्रकार दोनों पक्षों में मानसिक असंतुलन होने लगता है जो कि आत्महत्या के लिये उकसा सकता है। जब भी ऐसी नौबत आये तब फ़ोन करके संतुष्ट रहें, दोनों पक्ष पारस्परिक मोह को कम करने के प्रयास करें।

8. गंभीर मानसिक या शारीरिक रोग का होना :

लम्बे समय से चली आ रही किसी मानसिक रोग अथवा व्याधि (शारीरिक रोग) के भी कारण व्यक्ति में आत्महत्या के विचार आ सकते हैं, जैसे कि कैन्सर, ब्रैन-ट्यूमर, शाइज़ोफ्ऱेनिया, मेनिया इत्यादि। इससे निकलने के लिए किसी उपयुक्त विशेषज्ञीय उपचार पर ज़ोर दें।

9. आकस्मिक दुर्घटना :

किसी दुर्घटना या मानवीय व प्राकृतिक प्रकोप के कारण घर-परिवार टूटने अथवा विकलांग हो जाने इत्यादि कारणों से भी व्यक्ति अकस्मात् निराश-सा होने लगता है। युद्ध-शरणार्थियों, आपदा प्रभावित क्षेत्रों में इन कारणों से आत्मघाती विचार प्रायः कई लोगों में मन में आते रहते हैं क्योंकि भविष्य उन्हें अनिश्चित लगने लगता है। ईश्वर पर Belive रखें।

10. हीनभावना का होना :

आर्थिक अक्षमता अथवा लैंगिक अक्षमता इत्यादि कारणों से स्वयं को दीन-हीन समझ बैठने से व्यक्ति स्वयं को असहाय या अनुपयोगी समझते हुए व्यक्ति हीनभाव के वशीभूत हो स्वयं को मारने जैसे कदम उठा सकता है। सभी ईश्वर के अंश है इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता।

11. मानहानि होना :

सार्वजनिक अपमान के या सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी के कारण व्यक्ति के अहं को पहुँची ठेस से भी व्यक्ति आत्महत्या का सोच सकता है। यश या कीर्ति जैसी पल भर की कामनाओं के जाल में जीवन का अन्त न होने दें।

आत्महत्या के निदान व निराकरण के उपाय –

1. खुद बात करने की पहल करे :

व्यक्ति (किरायेदार, सन्तान, पड़ौसी इत्यादि) से लगातार संवाद बनाये रखें, वह पहल न भी करे तो अपनी ओर से उसका हालचाल पूछते रहा करें, यदि वह तनिक भी तनावग्रस्त लगे जो अलग से उसके पास एकान्त में जाकर या उसे एकान्त में बुलाकर बिठायें, चाय पिलायें व पूछें किन्तु आपकी पूछताछ अत्यन्त सहज होनी चाहिए, ‘सवाल दागने’ जैसी नहीं। उसके पास आपका Number हो ताकि वह कभी भी आपसे सम्पर्क कर सके। वैसे कोई चिंताजनक बात न भी हो तो भी इतना तो करना ही चाहिए।

2. अपनी संतान से अपेक्षाएँ न रखें :

सन्तानें आपकी कामेच्छा के बायप्रोडक्ट हैं, उनको पालना आपका उत्तरदायित्व था, वर्तमान या भविष्य में उनसे आर्थिक या अन्य प्रकार की अपेक्षा न रखें, अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति की दिशा में उन्हें साधन न समझें। जो भी करना है खुद ही करे.

3. पैसे से जुडी पारदर्शिता रखे :

मकान हो, दुकान अथवा अन्य कोई आर्थिक लेन-देन, कार्य आरम्भ करने एवं विचार-प्रक्रिया शुरु करने से भी पहले सब मिल-जुलकर निर्णय करें कि क्या करना है व क्या नहीं करना है तथा यदि किसी सदस्य या सदस्यों द्वारा कोई प्रतिक्रिया न की जा रही हो या वे बढ़-चढ़कर आगे न आ रहे हों अथवा सहमति न जता रहे हों तो उनसे बिल्कुल अपेक्षा न रखें.

न ही उन्हें इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिये ज़ोर डालें, न ही Future में उन्हें कोसें कि जो कर रहे हैं तुम्हारे लिये ही तो कर रहे हैं इत्यादि क्योंकि आप अपनी इच्छाएँ दूसरों पर नहीं थोप सकते, निर्णय आपका है, उस सदस्य का क्या दोष ?

जो सदस्य आर्थिक योगदान की हामी भरते भी हैं तो उनसे भी पूरी Payment के बाद ही आगे बढ़ें एवं भविष्य में उन पर आश्रित न रहें क्योंकि क्या जाने कब किसकी मनोस्थिति व परिस्थिति बदल जाये, आर्थिक कारणों को आपसी मनमुटाव का केन्द्र न बनने दें, घर-मकान आदि को गृहदाह अथवा पारिवारिक क्लेश का कारक न बनने दें। अपनी सन्तानों के अर्जित धन पर डोरे न डालें। परायी परिसम्पत्ति को पत्थर समान समझने की पुरानी परम्परा को ध्यान में रखें।

तो दोस्तों यह लेख था आत्महत्या (खुदकुशी) के 11 कारण व निवारण के उपाय – Suicide Causes Symptoms Treatment In Hindi, Suicide Ke Kaaran Nivaran Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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Comments

  1. Gaurav says

    October 9, 2020 at 8:17 pm

    Great Wrote in suicide

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