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पापों की जड़ काम इच्छा को मिटाने के उपाय

August 28, 2020 By Surendra Mahara Leave a Comment

पापों की जड़ काम इच्छा को मिटाने के उपाय How To Control Sexual Energy Libido In Hindi

How To Control Sexual Energy Libido In Hindi

दोस्तों, काम इच्छा का होना या काम इच्छा की लालसा एक ऐसा ट्रैक है जिसमे किसी इन्सान के घुसने पर वह काफी बुरे दौर से गुजर सकता है और इन्सान को काफी नुकसान हो जाता है.

काम इच्छा रखने पर व्यक्ति को किसी भी सही गलत का अहसास नहीं होता और वह बस अपनी काम इच्छा  को मिटाने के साधन ढूंढता रहता है. इस Article में हम आपको इसी टॉपिक से जुडी हुई कुछ बातें शेयर कर रहे है, उम्मीद करते है आपको इससे कुछ न कुछ नया जरुर सीखने को मिलेगा.

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Control Libido

How To Control Sexual Energy Libido In Hindi

1. इस ध्रुव सत्य को गाँठ बाँध लें कि यौनाकर्षण न तो स्वाभाविक है, न ही कामोत्तेजना अथवा शारीरिक सम्बन्ध नैसर्गिक अथवा शारीरिक जैविक आवश्यकता है, ‘किशोरावस्था की लैंगिक ग़लतियाँ और ग़ुनाह एवं विवाह करें कि न करें ’ पढ़ें।

वास्तव में भूख-प्यास शारीरिक आवश्यकताएँ हैं इसलिये इन्हें प्राकृतिक इच्छाएँ कह सकते हैं जिन्हें व्यक्ति चाहे अथवा न चाहे वे होंगी ही परन्तु कामेच्छा होती नहीं है, वह की जाती है, अर्थात् यदि इस विषय में नहीं सोचेंगे तो यह नहीं होगी।

2. स्त्री व पुरुष आकर्षण की निरर्थकता का बोध हो जाये तो यह आकर्षण सदा के लिये मिट सकता है, मल-मूत्र व दुर्गंध के स्रोतों को सुख की खान समझना तो मानसिक रोग समान भी है।

3. अपनी इन्द्रियगोचरता (देख व सुन सकने इत्यादि की परिधि) में कोई काम विषयक (सेक्सुअल) विषय वस्तु न आने दें, फ़ैशन व गानों के नाम पर भी ऐसे श्रव्य, लेख, दृष्य, विज्ञापन इत्यादि से दूर रहें जिनमें स्त्री-पुरुष आकर्षण का उल्लेख हो, ऐसा कुछ न तो देखें, न सुनें, न ही पढ़ें जिसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष सम्बन्ध कामुकता से हो सकता हो.

यदि मार्ग में ही अनजाने में ऐसे दृष्यों पर नज़र पड़ जाये तो पूरी तरह से उन्हें अनदेखा करके आगे बढ़ जायें, न अभी, न ही फिर कभी उसे अपने मन में क्षणभर के भी लिये आने दें।

जैसे कि यदि ग़ैर-इरादतन रूप से कोई असभ्य अथवा अश्लील विज्ञापन दिखे तो उस पर क्लिक करने अथवा ‘क्या है देखूँ तो’ के बजाय उसे अनदेखा करें तथा समाचार-पत्र में स्त्रीपुरुष सम्बन्धी समाचारों व स्त्री पुरुष गुप्तांगवर्द्धक क्रीम जैसे विज्ञापनों को व्यर्थ के कौतुहलवश पढ़ने में अपना एक क्षण भी बर्बाद न करें। नारीदेह अथवा विभिन्न अन्य कामुक विचारों की चर्चा, उल्लेख एवं विचार से भी दूर रहें, इच्छा को मारना या दबाना नहीं बल्कि जड़ से मिटा देना है।

4. Chating व सम्बन्धित वेबसाइट्स इत्यादि से दूर रहें। वैसे भी आजकल तो आप कब क्या देख-सुन-पढ़ रहे इत्यादि भी क्षण-क्षण रिकार्ड हो रहा होता है.

आपका पता भी नहीं होता कि विदेशो व स्वदेश की कितनी सारी संस्थाओं में वह हर एक भाग भी इरादतन या गैर-इरादतन रूप से स्वचालित रूप से अथवा सुनियोजित तरीके से रिकार्ड हो रहा होता है जो आपने कहीं सर्च किया हो। समस्त आयु वर्गों के लिये अति उपयोगी  ‘ बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डालें ’ पढ़ें।

5. हर प्रकार के Offline व Online कुसंग से तो बचना ही है, समाज अथवा तथाकथित रिश्तेदारों व मित्रों से भी अपना बचाव करना है जो येन-केन-प्रकारेण आपको व्यर्थ के कार्यकलापों की ओर खींचने के प्रयास कर सकते हैं. ‘ मित्रों व परिजनों रिश्तेदारों में बर्बाद जीवन ’ अवश्य पढ़ें।

6. अपने शरीर को स्वस्थ रखने के बारे में सोचें तो ठीक है (खान-पान शुद्ध व सात्त्विक रखें एवं शारीरिक रूप से सक्रिय रहें) परन्तु किसी भी कारण से अथवा आकर्षक दिखने की चाह में जिमिंग व बाडी बिल्डिंग में न पड़ें, न ही ऐसे लोगों को देखने की इच्छा रखें, उनकी ओर आकर्षित भी न होयें, नश्वर शारीरिक तथाकथित सौन्दर्य भी नाशवान ही तो है.

7. निरोध की वास्तविकता : विवाहेतर इत्यादि सम्बन्ध अनैतिक होने के साथ शारीरिक रूप से भी हानिप्रद होते हैं, उदाहरणार्थ वास्तव में निरोध की लचीली बनावट का आधार ही यह है कि उसमें बहुत सूक्ष्म छिद्र होते हैं जिनमें से बहुत-से सूक्ष्मजीव व अन्य संक्रामक व असंक्रामक अंश बड़ी आसानी से स्त्री से पुरुष में व पुरुष से स्त्री में जा सकते हैं. अतः निरोध को किसी प्रकार की सुरक्षा का आश्वासन न समझें।

8. शपथ : ” मैं ईश्वर, धर्मग्रंथों, अपने माता-पिता इत्यादि समस्त प्रियजनों की शपथ ग्रहण करता हूँ कि कामुक विचारों इत्यादि समस्त प्रकार की नकारात्मकताओं से आजीवन सर्वथा दूर रहूँगा “ ऐसा शब्दश : हाथ से लिखकर उस पर हस्ताक्षर करके कागज़ को अपने साथ रखें अथवा उसकी फ़ोटो खींचकर अपनी ईमैल आयडी व फ़ोन में रख लें एवं अपने विशिष्ट व्यक्तियों को भी इसकी कापी भेज दें क्योंकि मन से उपज सकने वाली विभिन्न विकृतियों को दूर रखने में स्वयं पर स्वयं द्वारा लगाया गया यह मानसिक दबाव, यह दृढ़ संकल्प ही सहायक सिद्ध हो सकता है।

9. तथाकथित विशेषज्ञों, अनुभवियों व चिकित्सकों की ग़लत सलाहों में न आयें, अनेक पाश्चात्य चिकित्सकों अथवा कई विशेषज्ञों द्वारा भौतिकवादी अथवा चार्वाक मानसिकता के वशीभूत हो भ्रामक बातें फैलायी जाती हैं।

विभिन्न प्रयोगशालाओं व औषधि निर्माण एजेन्सियों से व्यावसायिक गठजोड़ के कारण ‘ अनैतिक व हानिप्रद’ को ‘हानिरहित’ बोलने वाले बहुत फैलते जा रहे हैं, अपनी अन्तरात्मा से पूछें तो आपको नैतिकता का पता चल ही जायेगा क्योंकि सबके भीतर उसी एक परमात्मा का अंश विद्यमान् है जो अत्यन्त निर्मल, अत्यधिक पवित्र है।

10. इन्द्रियगत व मानसिक कामुक सामग्रियों से भी पूर्ण मुक्ति हेतु ‘ ओफ़लाइन जीवनः सुखी जीवन ’ भी पढ़ें क्योंकि इन्टरनेट को जीवन से हटाना व्यक्ति के समग्र उत्थान के लिये आवश्यक है।

11. काम-सम्बन्धी विचार, वाणी व कृत्य हर विषय से दृढ़ दूरी बरतें, अर्थात् मन-वचन-कर्म से कामरहित रहें, ‘क्यों नहीं करना चाहिए हस्तमैथुन ’, ‘ स्वप्नदोष : कारण एवं बचाव ’ भी पढ़ सकते हैं। कामेच्छा जगा सकने अथवा कामोत्तेजना, तथाकथित कामशक्ति अथवा अवधि आकार बढ़ाने वाले विषयों के बारे में न सोचें, तत्काल इन विषयों की निरर्थकता व नकारात्मकता का विचार करें एवं इन सबसे दूर हट जायें।

12. ऐसे व्यक्तियों से दूर रहें जो कामुकता सम्बन्धी चर्चा अथवा कौतुहल जगाने के प्रयास करते हों; ‘ कुसंगति के कैसे बचें ’ एवं ‘ पाँव बहकने से कैसे रोकें ’ पढ़ें।

13. यौन सम्बन्ध निरर्थक होते हैं, इस वास्तविकता को मन में बिठा लें, ‘ सेक्स से 31 सुनिश्चित हानियाँ ’ से समझ सकते हैं।

14. हर निरर्थकता से परे होकर सकारात्मक डगर पर चलें, देखें : ‘जीवन की सार्थकता के 41 मार्ग’।

15. हर स्त्री को माँ जी, बहन दीदी अथवा पुत्री कहकर सम्बोधित करें (मन से भी, न कि केवल जिह्वा से), यदि सुनने वाली अथवा आसपास के अन्य व्यक्ति उपहास करें तो विचलित मत होना क्योंकि लज्जा तो उन्हें आनी चाहिए, आपको नहीं।

16. पेट के बल न सोयें। गुप्तांग की ओर तनिक भी दबाव पड़ सकने वाली हर स्थिति से बचें।

17. जीन्स पैण्ट कभी न पहनें (थोड़ा-सा भी कसा पैण्ट तो किसी भी कपड़े का नहीं पहनना है किन्तु जीन्स तो लूज़ फ़िटिंग व इलास्टिक भी नहीं पहनना है)। ‘ शीघ्रपतन : कारण, भ्रांतियाँ एवं बचाव ’ भी पढ़ा जा सकता है। कपड़े पहनते-उतारते, नहाने अथवा मलमूत्र उत्सर्ग के समय गुप्त अंगों को अनावश्यक छूने से बचें एवं दर्पण के सामने स्वयं को देखकर तथाकथित गुण-दोष निकालने की चेष्टा न करें।

18. ब्ल्यूफ़िल्म पोर्न इत्यादि आडियो अथवा वीडियो, Text व चित्रों से सर्वथा दूरी बरतें क्योंकि इनसबमें नकारात्मकता के सिवाय कुछ नहीं रखा। ऐसा हर विषय सुनने, देखने इत्यादि के दुष्प्रभावों का जाल बहुत बड़ा है. यह सब केवल मानसिक अथवा मनोवैज्ञानिक ही नहीं बल्कि शारीरिक व चिकित्सात्मक रूपों में भी अत्यधिक हानिप्रद रहता है।

19. किसी के भी बहकावे अथवा कसम चुनौती देने पर अथवा स्वयं से भी कोई अनुचित विचार व कृत्य न करें,” मेरा मुझपे कण्ट्रोल है“ अथवा ” मैं पोर्न देखकर भी हस्तमैथुन की ओर आकर्षित नहीं होने वाला ” इत्यादि सोचकर किसी भी अनुचित दृष्य अथवा कृत्य अथवा विचार की ओर आगे न बढ़ें.

यदि कुछ क्षण मान भी लें कि आप कुसंगति अथवा इन नकारात्मकताओं के बीच भी संयमित अथवा थोड़े-बहुत अप्रभावित रह सकते हों तो भी इनमें से किसी भी नकारात्मकता में पड़ने का क्या लाभ ? उतने ध्यान, समय, ऊर्जा, श्रम इत्यादि का उपयोग किसी सकारात्मक कार्य में करें अथवा ध्यान लगाकर एकान्त में प्रभु में एकाग्रचित्त होने का अभ्यास करें।

20. स्वयं के शरीर को किसी रचनात्मक गतिविधि में थकायें; ‘ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा कैसे बढ़ायें ‘ जरुर पढ़ें।

21. कामुकता की ओर बढ़ने का विचार भी आ गया तो विचार करें कि मेरे माता-पिता यदि इस दिशा में सोचें तो क्या शोभनीय होगा, मेरे इष्टदेव अथवा साक्षात् परमात्मा मेरे स्थान पर होते तो क्या करते ? जब कामुक दिशा में सोचने इत्यादि का कोई औचित्य कभी हो ही नहीं सकता तो मैं इसका विचार भी क्यों करूँ ? ईश्वर ने हमें इन सब में समय नाश करने नहीं भेजा है। मैं इस व इससे जुड़े समस्त विषयों का स्थायी त्याग करता हूँ।

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