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थायरायड के लक्षण, कारण एवं उपचार Thyroid In Hindi

November 8, 2020 By Surendra Mahara Leave a Comment

थायरायड के लक्षण, कारण एवं उपचार Thyroid Disease Causes Treatment In Hindi

Table of Contents

  • थायरायड के लक्षण, कारण एवं उपचार Thyroid Disease Causes Treatment In Hindi
    • Thyroid Disease Causes Treatment In Hindi
      • थायरायड की असामान्य स्थितियाँ :
      • थायरायड – सम्बन्धी परीक्षण :
      • थायरायड के उपचार :
      • थायरायड के लिए सावधानियाँ :

Thyroid Disease Causes Treatment In Hindi

थायरायड (Thyroid) तितली जैसी आकृति की एक ग्रंथि होती है जो हमारे गले में है। थायरायड (Thyroid) द्वारा बनाये गये सभी हार्मोन्स को एकसाथ थायरायड-हार्मोन्स (Thyroid Harmons) कहते हैं जो पूरे शरीर में अपना कार्य करते हैं, बढ़त व विकास को प्रभावित करते हैं। बचपन में तो मस्तिष्क-विकास तक के लिये ये बहुत आवश्यक होते हैं।

Thyroid Disease Causes Treatment In Hindi

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Thyroid Disease

थायरायड की असामान्य स्थितियाँ :

1. गायटर : इस प्रकार की थायरायड-सूजन हानि रहित हो सकती है अथवा आयोडीन-कमी का एक परिणाम भी हो सकती है अथवा Hashimoto थायरायडिटिस नामक थायरायड-सूजन से सम्बन्धित हो सकती है।

2. थायरायडाइटिस : इस प्रकार की थायरायड-सूजन आमतौर पर विषाण्विक संक्रमण अथवा Autoimmune स्थिति से आती है। यह पीड़ापूर्ण हो सकती है अथवा सम्भव है कि लक्षण न दिखें।

3. हाइपरथायरायडिज़्म : हाइपर अर्थात् अधिक, इसमें थायरायड Harmone उत्पादन जरूरत से अधिक मात्रा में होता है, यह स्थिति ज़्यादातर ग्रेव्स डिसीस अथवा सामान्य से अधिक सक्रियः Overactive थायरायड नाड्यूल से होती है।

Hyperthyroidism के लक्षणों में कँपकँपी, घबराहट, तेज, धड़कन, पतली त्वचा, चिड़चिड़ापन, थकान, ग़र्मी न सह पाना, पेट की गतियाँ बढ़ना, पसीना अधिक बहना, ध्यान एकाग्र करने में समस्या, वजन घटना इत्यादि सम्मिलित हो सकते हैं।

कई कारणों से हाइपरथायरायडिज़्म होता पाया गया है, जैसे कि ग्रेव्स रोग, टाक्सिक मल्टिनाड्यूलर गायटर, अत्यधिक आयोडीन-सेवन इत्यादि।

4. हाइपोथायरायडिज़्म : हायपो अर्थात् कम, इसमें थायरायड हार्मोन का उत्पादन कम होता है। आटोइम्यून रोग द्वारा थायरायड को पहुँची क्षति हाइपोथायरायडिज़्म के मुख्य कारण के रूप में देखी गयी है।

हायपोथायरायडिज़्म के लक्षणों में थकान, ध्यान एकाग्र करने में कठिनता, सूखी त्वचा, कब्ज़, ठण्डी लगना, शरीर में पानी का जमाव, पेशियों व जोड़ों में दर्द, अवसाद सहित स्त्रियों में देर तक अथवा अधिक माहवारी रक्तस्राव सम्मिलित हो सकता है।

कई कारणों से हायपोथायरायडिज़्म हुआ पाया गया है, जैसे कि होषिमोटो थायरायडिटिस, थायरायड हार्मोन रेसिस्टेन्स इत्यादि।

5. ग्रेव्स रोग : यह ऐसी आटोइम्यून स्थिति है जिसमें थायरायड आवश्यकता से अधिक उद्दीप्त हो जाती है जिससे Hyperthyroidism हो जाता है।

6. थायरायड कैंसर : यह कैंसर का कम होने वाला प्रकार है जिसे ठीक करना सम्भव है, शल्य-चिकित्सा, विकिरण एवं हार्मोन उपचार उपलब्ध हैं।

7. थायरायड नोड्यूल : थायरायड ग्रंथि में छोटा-सा एक असामान्य द्रव्य अथवा ढेला जो बहुत ही कम बनता है। कुछ मामलों में कैंसरस होता है। इससे ऐसे हार्मोन्स निकल सकते हैं जिनसे हाइपरथायरायडिज़्म हो सकता है अथवा हो सकता है कि कोई लक्षण न नज़र आये।

8. थायरायड स्टार्म : हाइपरथायरायडिज़्म के बहुत कम देखे जाने वाले इस रूप में अत्यधिक थायरायड हार्मोन्स निकलते हैं जिससे गम्भीर बीमारी आन पड़ती है।

थायरायड – सम्बन्धी परीक्षण :

*. एंटी-टीपीओ एंटीबाडीज़ जाँच

*. थायरायड अल्ट्रासाउण्ड

*. थायरायड स्केन : इसमें रेडियोएक्टिव आयोडीन की छोटी-सी मात्रा मुख द्वारा सेवन कराकर थायरायड ग्रंथि की इमेजेज़ ले ली जाती हैं।

*. रेडियोएक्टिव आयोडीन थायरायड ग्रंथि में संकेन्द्रित हो जाता है।

*. थायरायड बायोप्सी : इसमें साधारणतया सुई से थायरायड ऊतक की कुछ मात्रा निकाल ली जाती है एवं आमतौर पर थायरायड – कैंसर का पता लगाने इसकी जाँच की जाती है।

*. थायरायड – स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन (टीएसएच)

*. थायरायड थायराक्सिन या टी4 तथा टी3 : ये थायरायड हार्मोन के प्राथमिक रूप हैं जो रक्त-परीक्षण से जाँचे जाते हैं।

*. थायरोग्लोब्युलिन्स : थायरायड द्वारा स्रावित इस पदार्थ की अधिक मात्रा से थायरायड – कैंसर की सम्भावना समझी जाती है।

*. अन्य इमेजिंग जाँचें : थायरायड-कैंसर फैल जाने पर सीटी स्कॅन्स, एमआरआई स्केन्स अथवा पीईटी स्केन्स किये जा सकते हैं।

थायरायड के उपचार :

थायरायड सर्जरी अर्थात् थायरायड डेक्टामी- इसमें पूरी ग्रंथि या उसके कुछ भाग को हटा दिया जाता हैः थायरायड – कैंसर, गायटर अथवा हाइपरथायरायडिज़्म में ऐसा किया जाता है।

एंटीथायरायड दवाएँ : हाईपरथायरायडिज़्म में थायरायड हार्मोन के अतिरेक उत्पादन को घटाने के लिये कुछ औषधियाँ दी जाती हैं।

रेडियोएक्टिव आयोडीन : रेडियोएक्टिविटी वाले आयोडीन का प्रयोग सीमित मात्रा में करते हुए थायरायड ग्रंथि को परखा जा सकता है अथवा अधिक मात्रा में करते हुए अतिसक्रिय ग्रंथि व कैंसरस ऊतक को नष्ट तक किया जा सकता है।

बाहरी विकिरण – थायरायड कैंसर कोशिकाओं के नाश के लिये उच्च ऊर्जा की किरणों का प्रयोग किया जा सकता है।

थायरायड हार्मोन गोलियाँ – इसमें थायरायड हार्मोन की कुछ मात्रा होती है जिससे दैनिक रूप से थायरायड हार्मोन की पूर्ति की जाती है जिसे शरीर अपने आप नहीं बना पा रहा, अर्थात् हाइपोथायरायडिज़्म में उपयोगी गोलियाँ ये हैं। उपचार के बाद थायरायड कैंसर को वापस आने से रोकने के भी लिये इनका प्रयोग किया जाता है।

थायरायड के लिए सावधानियाँ :

1. डाक्टर पर ज़ोर डालें कि स्थिति क्या व क्यों (जाँचें कौन-सी करानी है कि यह किस कारण से है) है एवं उपचार कब तक चलेगा इत्यादि स्पष्ट करे।

2. मन से कोई दवाई न लें तथा डाक्टर की लिखी दवाई से यदि लाभ होने लगे तो ” मैं ठीक हो गया / गयी ” सोचकर दवाई अपने आप बन्द न करें।

3. गर्भवतियों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि थायरायड – विकार गर्भस्थ शिशु को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। हो सके तो सामान्य डाक्टर के बजाय अंतःस्राविकीविद् (एण्डोक्रायनोलाजिस्ट) से उपचार करायें जो शरीर की ग्रन्थियो में विषेषज्ञता प्राप्त होगा।

4. Procesed Food (जैसे कि डिब्बाबंद, रेडी-टू-फ्ऱाए, रेडी-टू-ईट इत्यादि) से यथासम्भव दूरी बरतें।

5. कृत्रिम दिनचर्या से दूर रहें, रसोई-प्रदूषण को दूर करें, Water Proof क्लोदिंग, नान-स्टिक कुकवेयर, कार्पेट्स, फ़्लेम-रेरिस्टेण्ट सामग्रियों में ऐसे रसायन होते हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों के हार्मोन्स को प्रभावित कर सकते हैं। एंटीबैक्टीरियल साबुनों का ट्रिक्लोसेन भी हार्मोनल स्तरों में व्यवधान ला सकता है।

6. संतुलित आहार सेवन करें, ग्रंथियों के लिये उपयोगी खनिज सेलेनियम की मात्रा बढ़ाने के लिये मशरूम, सूर्यमुखी-बीज, फलीदार सब्जियों, जई का दलिया, पालक, मसूर की दाल का सेवन करें तथा थायरायड की कार्य प्रणाली ठीक रखने के लिये Vitamin- D बढ़ायें, जैसे कि धूप में कार्य किया करें, नारंगी-रस, दूध व दुग्धोत्पादों सहित सोयाबीन के उत्पादों का सेवन करें।

7. पानी का सेवन अधिक करें।

8. थायरायड हार्मोन्स के सुचारु कार्यवहन में सहायक टायरोसिन शरीर में पर्याप्त बनता रहे इसके लिये दुग्ध, मटर, कद्दू के बीजों, तिल्ली के बीज, केला, सोयाबीन का सेवन करें।

9. थायरायड के कार्यों में विविध Antioxidants सहायता करते हैं जिनके लिये बेर, गाजर, पालक, अजमोद, खट्टे फल, तरबूज, टमाटर, शकरकंद, साबुत अनाजों की मात्रा बढ़ायें तथा चाय व सब्जी-मसाले में अजावयन, जीरा, सौंठ, हींग, दालचीनी, काली मिर्च अलग से अवश्य मिलायें।

10. कैफ़ीन (चाय-काफ़ी) एवं कृत्रिम शक्कर (अर्थात् जिसे घर में अलग से प्रयोग में लाते हैं) को यथासम्भव कम रखें तथा थायरायड – जाँचें नियमित कराते रहें ताकि कुछ भी ऊपर-नीचे होने पर तुरंत सटीक इलाज शुरु किया जा सके।

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