कुसंगति के बड़े नुकसान व बचाव के तरीके How To Avoid Bad Company Kusangati In Hindi
How To Avoid Bad Company Kusangati In Hindi
ध्यान रखें कि बुराई बड़ी संक्रामक होती है, सरलता से उत्पन्न की जाती है, तेजी से फैलती है, खरपतवार जैसे बच्चे-बड़े सबको निगल लेती है जैसे खरपतवार फसल को सिमटा देते हैं।
धृतराष्ट्र का दूषित अन्न खाकर द्रौणाचार्य एवं संकीर्ण राजा की सेवा करने वाले भीष्म पितामह तक का पतन सबने देखा है, कुसंगति से यदि ये बचे रहते तो संसार में सुशासन के न जाने कितने प्रतिमान रख सकते थे।
How To Avoid Bad Company Kusangati In Hindi
इसके विपरीत अच्छाई देर से पनपती है, धीमे-से फैलती है, नीमसमान कड़वी लग सकती है क्योंकि अच्छे लोग जबरन हाँ में हाँ नहीं मिलायेंगे, वे विश्लेषण करते हुए सुधार करना चाहेंगे फिर चाहे वह किसी को नापसन्द क्यों न हो। गुरु भी अनुशासन इत्यादि के कारण कठोर लगता है किन्तु जीवन-सुधार के लिये औषधि का कार्य करता है; इसलिए ‘अनुकूलता ढूँढने की चाह में कुसंगति के पास व सुसंगति से दूर न जायें।
हो सकता है कि सच्चे हितैषी के बोले कटु वचन आपको कई परेशानियों से बचा लेने वाले हों, प्रायः बहुत बाद में लोगों को भान हो पाता है कि काश ! मैंने उस भले की वह अच्छी बात मान ली होती।
कुसंत लोगो को कैसे पहचाने –
कुसंगत लोगो को पहचानना आसान नहीं होता फिर भी अगर आपका ऐसे व्यक्तियों से कभी आमना-सामना हो जाये तो नीचे बताये गये तरीको से इनकी पहचान कर सकते है.
1. वह व्यक्ति आपको कुछ अच्छा करने से रोके.
2. वह व्यक्ति आपको कुछ ग़लत करने को बोले अथवा इस हेतु अपने साथ मिला लेने को आमंत्रित करे
3. वह रचनात्मक अथवा कुछ सार्थक करने के बजाय इधर-उधर की बुराई करता घूमता है अथवा खेल-फ़िल्म-राजनीति की बातों में उलझा अथवा उलझाता रहता है.
4. वह अपने जीवन के प्रति गम्भीर नहीं है.
5. “बहती गंगा में हाथ धो लेने वाला ” अथवा अवसरवादी है.
6. आपके Problem के समय पलायन कर सकता है
7. उसके अपने संकटकाल में ही आपको याद करता है
8. वह ऐसी बातें बोलता हैः ”कैसे बच्चों या लड़कियों जैसे करता है“,”आज की दुनिया में होकर भी पुराने ज़माने जैसा है”, ”मम्मा’ज़ बाय है क्या“, ”तू दुनिया के साथ चल“, ”सब करते हैं“, ”इसमें क्या ग़लत है“, ”एक बार टेस्ट करके तो देख“।
9. एकतरफ़ा संवाद करता है, बस अपनी-ही-अपनी पड़ी होती है उसे।
10. तीज-त्यौहारों अथवा जन्मदिवसों के ही समय सम्पर्क करता है, अर्थात् आडम्बरी अथवा औपचारिक संवाद करता है।
11. आपके परिवार से दूर रहता है या फिर अपने परिवार से आपको दूर रखता है, जैसे की मिलने के लिये घर से बाहर कहीं बुलाता है, उसके घर वालों के पास आपका नम्बर व Photo एवं आपके परिजनों के सम्पर्क-सूत्र तक नहीं हैं।
निर्जीव कुसंगतियाँ :
1. टी.वी. के मुख्य रूप से Private Chennals को देखते-देखते व्यक्ति इस Offline कुसंगत में उलझ जाता है और उसके मन में ‘रील‘बातें ‘रीयल’जैसे लगने लगती हैं अथवा वह उन्हें यथार्थ जीवन से जुड़ी समझकर चलने लगता है;
2. Online रहने मात्र से भी व्यक्ति विभिन्न प्रकार की भयानक Online कुसंगतों में फँस जाता है, अतः हर प्रकार के Online Messaneger को तुरंत और हमेशा के लिये Uninstall कर दें (जो विधिसंगत कार्य हों उनके लिये ईमेल-प्रयोग करें); हो सके जो साधारण फ़िएचर फ़ोन का प्रयोग करें तो इस सन्दर्भ में एवं अन्य कई लाभ भी होंगे.
समय-ऊर्जा-ध्यान की बचत में एवं प्रकृति व परिवेश की ओर ध्यान लगाने में सहायता होगी, अन्यथा व्यक्ति ‘जानकारी’/‘ जिज्ञासा’, ‘Update’ की आड़ में दुनियाभर की गंदगी अपने मन में उड़ेलता रहता है, स्वयं सोचकर देखें कि आज तक 1 % भी जानकारी आपके वास्तव में उपयोग की रही ?। मोबाइल में Datapack होना भी आपको Notifications अथवा व्यर्थ की Searching की ओर ढकेल सकता है।
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कुसंगति से बचने की युक्तियाँ :
1. शुरु में ही ‘ना’ करने की आदत डालें, अन्यथा आकर्षक अथवा न्यूट्रल जैसी लगने वाली संगति वास्तव में ऐसी नकारात्मकता में, ऐसे मायाजाल में ढकेल देती है कि फिर पता ही नहीं चलता की कब कहाँ से चलकर कहाँ आ गये एवं व्यक्ति नकारात्मकता के जाल में उलझ जाता है तथा पतंगे जैसे भविष्य समाप्त कर बैठता है।
2. पहली संगत घर से ही शुरु होती है, अतः घर-परिवार में यदि कोई कुछ ग़लत करता दिखे तो उसे रोकें, न कि उसके साथ भागीदारी करें, अन्यथा आप पारिवारिक कुसंगति के शिकार बना दिये गये होंगे।
3. सम्भावना रहती है कि ग़लत प्रकार के लोग शुरु में आपकी हाँ में हाँ मिलाकर आपसे सम्पर्क करते हैं फिर भरोसा जीतने की कोशिश करते हुए निकट आते हैं, फिर आप ही धीरे-धीरे इन्हें ‘मेरा क्लोज़ मित्र’, ‘मेरा भाई’ का ठप्पा देते हैं, अर्थात् ”आ बैल मुझे मार“;ऐसे लोगों से बचें। लगभग सभी की तथाकथित मित्रमण्डली में अपनों जैसे भेष में दुष्टों की कतार तैयार रहती है।
मोहल्ले, स्कूल-कालेज, कार्यालय में साथ उठने-बैठने-खाने या रहने वालों को मित्र न समझ बैठें, अनावश्यक घनिष्टता न बढ़ायें, बढ़ ही गयी हो तो दूरी बनायें एवं अपने राज़ उन्हें न बतायें एवं उनसे सतर्क भी अलग से रहें।
4. ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ, तुलना करने, पीछ पीछे निन्दा, बातें घुमाने अथवा बढ़ाने -घटाने, झूठ बोलने, उपभोक्तावादी, बाज़ारवादी, भौतिकवादी, कीमत लगाने इत्यादि मनोदोषों से ग्रसित लोग जब आपसे बात करें तो एक निश्चित दूरी बनाकर चलें। ये ऐसे संक्रामक दुर्जन होते हैं जो उनके स्वयं के लिये भी हानिप्रद हैं एवं आपमें भी बुराई का संक्रमण फैला सकते हैं।
5. तथाकथित ‘ Timepass ’के लिये आपका यू़ज़ करने वालों अथवा ‘ Use And Throw ’ जैसी सोच रखने वालों से बचकर चलें जो छुट्टी इत्यादि समय आपके पास चले आते हैं अथवा आपको बुलाते हैं, वे जब कोई कार्य स्वयं कर रहे होंगे तो आपको Avoid करेंगे एवं आपके कार्यों को बीच में टलवाने की कोशिश करेंगे। सावधान !
6. यदि किसी प्रकार की कुसंगत में उलझ ही चुके हों तो भी ऐसा न सोचें कि अब कुछ नहीं हो सकता/अब तो बहुत दूर निकल गये कि वापसी सम्भव नहीं। वास्तव में ‘जब जागो तभी सवेरा’ के तहत वहीं से पलटकर सही दिशा में लौट आयें, ईश्वर कभी शरणागत की अनदेखी नहीं करता।
इच्छाशक्ति में दृढ़ता हो तो हर लत से तत्काल मुक्ति सम्भव है, कुसंगति भी एक लत समान है जिससे उबरना सम्भव है बस हृदय के सुधरने का अटल संकल्प कर लें एवं ऐसी हर बात/व्यक्ति से दूर रहें जो आपको कुसंगति जैसी किसी दिशा में ले जा सकता हो।
7. अपनी इन्द्रियों को व्यर्थ की दिशाओं में जाने से रोककर रखेंः व्यर्थ की बातें न सुनें, व्यर्थ न देखें, नकारात्मकता की ओर कदम/हाथ न बढ़ायें, बुरा न खायें, कुछ ग़लत न सूँघें, निरर्थक न बोलें, बेकार की बातें न सुनें; कुल मिलाकर कुछ अनुचित सोचना भी मना है, तभी अच्छा व सच्चा भविष्य आपका स्वागत कर पायेगा।
8.‘ बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डालें ’वाला आर्टिकल जरुर पढ़ें।
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Vinit says
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Mohit says
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