• Home
  • Hindi Stories
  • Hindi Quotes
  • Hindi Poems
  • Hindi Biography
  • Hindi Slogans

Nayichetana.com

Nayichetana, Nayichetana.com, slogan in hindi




  • Home
  • Best Hindi Stories
  • Youtube Videos
  • Health In Hindi
  • Self Improvment
  • Make Money
You are here: Home / Best Hindi Post / जल प्रदूषण के कारण एवं निवारण

जल प्रदूषण के कारण एवं निवारण

February 18, 2021 By Surendra Mahara Leave a Comment

जल प्रदूषण के कारण एवं निवारण Essay On Water Pollution Causes Prevention In Hindi

Table of Contents

Essay On Water Pollution Causes Prevention In Hindi

जल प्रदूषण की परिभाषा क्या है ?

जल में ऐसे कारकों व तत्त्वों (रसायनों व हानिप्रद सूक्ष्मजीवों इत्यादि) की उपस्थिति को जल-प्रदूषण कहते हैं जो जल एवं जलीय वनस्पतियों एवं अन्य जलीय व बाहरी जीवों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिये हानिप्रद होते हैं एवं इसीलिये जल-प्रदूषक कहलाते हैं।

Essay On Water Pollution Causes Prevention In Hindi

जल-प्रदूषण के कारण निवारण,Essay On Water Pollution Causes Prevention In Hindi,Water Pollution essay in hindi,jal prdushan ke karan or nibandh

Water Pollution

जल प्रदूषण के प्रमुख कारण

औद्योगिक कारण :

विभिन्न कल-कारखानों के बहिःस्रावों से कल-कल करते झरनों-नदियों सहित समुद्र भी बुरी तरह जूझ रहे हैं, एस्फ़ाल्ट, क्रांक्रीट व सीमेंण्ट इत्यादि के निर्माण से लेकर प्रयोग तक की प्रक्रिया में वायु व जल बुरी तरह प्रदूषित होते रहते हैं. सड़क से होकर गुजरने वाली हर जलधारा कई प्रदूषकों को समेटे बह रही व साधारणतया नैसर्गिक जलस्रोतों में मिल रही होती है, इसे कठोर औद्योगिक कानूनों से रोका जा सकता है।

तैलजनित कारण :

सागर में बड़े पैमाने पर तैल-रिसाव के उदाहरण तो सामने आ जाते हैं परन्तु तैल, गैसोलिन व अन्य जीवाष्म ईंधनों को व्यक्ति अपने वाहनों व यंत्रों के माध्यम से पानी में बहा देता है जबकि इसे Bottle में एकत्र कर प्रदूषण-निवारण एजेन्सी के सुपुर्द किया जाना चाहिए।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण :

यूरेनियम खदान, नाभिक ऊर्जा संयंत्रों एवं सैन्य आयुधों के परीक्षण-क्षेत्रों सहित अनुसंधान-संस्थानों व चिकित्सालयों केमाध्यम से निकला रेडियोएक्टिव अपशिष्ट सदियों तक पर्यावरण में टिका रह सकता है जो हर प्रकार के जलस्रोतों को प्रदूषित करता रहता है। पर्यावरण सम्बन्धी संगठनों व प्रशासन की न्यायिक सक्रियता से इनपर नियन्त्रण किया जा सकता है।

कृषिगत कारण :

नाइट्रेट फ़र्टिलाइज़र्स व रासायनिक पीड़कनाषियों सहित विभिन्न कृषि रसायनों (एग्रोकेमिकल्स) के कारण खेत के पानी के माध्यम से भूजल एवं सतही जल में जिस प्रकार रासायनिक प्रदूषण दिख रहा है उससे वह पानी मनुष्यों सहित अन्य जन्तुओं के भी लिये अपेय होता जा रहा है।

साम्प्रदायिक कारण :

भभूत, माला, मूत्र्तियों, पूजन-सामग्रियों इत्यादि को विसर्जन के नाम पर नदियों में बहा दिया जाना सबसे बड़े प्रदूषण-स्रोतों में से एक है, सरकार व जनता दोनों को समझना होगा कि इससे पुण्य नहीं पाप लगता है।

कई बार ऐसा देखा गया है कि थोड़े-थोड़े की आड़ में नदी-तालाबों में इन सबका इतना जमाव हो जाता है कि पानी पीने तो क्या नहानेयोग्य भी नहीं रह जाता एवं प्लास्टर आफ़ पेरिस, प्लास्टिक, रासायनिक सिन्दूर इत्यादि रसायनों व अन्य प्रदूषकों के कारण मछलियों के शवों के ढेर सतह पर बिछे होते हैं।

विनिर्माणगत कारण :

सीमेण्ट, क्रांक्रीट सहित अन्य निर्माण-सामग्रियों के अवशेषों को आसपास के नदी-तालाबों में बहा देने एवं नये निर्माण के लिये दलदली व नैसर्गिक उथले जलक्षेत्रों को पूर देने भर देने से वाटरशेड क्षेत्रों एवं सम्बन्धित जलीय पक्षियों को बहुत घाटे उठाने पड़े हैं।

डीज़ल, पैण्ट, साल्वेण्ट, क्लीनर इत्यादि का प्रयोग सँभलकर करने व इनके विकल्पों को खोजने की आवष्यकता है; मलबा व धूल-गिट्टी को पानी में बहाने अथवा मिट्टी में गड़ाने की आलस्यपूर्ण शैली से बचने की आवष्यकता है ताकि मृदा व भूजल को भाँति-भाँति के कुप्रभावों से बचाया जा सके।

मिश्रित कारणों से जल प्रदूषण :

कृषि रसायनों, औद्योगिक बहिस्रावों के अतिरिक्त आसपास की मानव-बसाहट के कारण कई बार जलीय स्रोतों में जलकुम्भी व विभिन्न शैवालों की आवष्यकता से अधिक वृद्धि होने से जल के भीतर का आक्सीजन-स्तर चिंताजनक रूप से घट जाता है, इस स्थिति को इयूट्राफ़िकेशन कहा जाता है जिससे जलीय जीवों (वनस्पतियों व जन्तुओं) का जीवन दूभर होने लगता है।

वैसे अनावश्यक रूप से पानी खर्च करने को भी जल-प्रदूषण कहा जा सकता है क्योंकि पानी की यह मात्रा भी व्यर्थ बहकर गंदे नालों अथवा सीवेज टैंक में चली जाती है। इसके अतिरिक्त जलजनित रोगप्रद सूक्ष्मजीवों से पेयजल दूषित होता है, इससे वह जल जीवों के रहने योग्य व किसी के भी लिये पेय नहीं रह जाता,

भारत में यमुना, गंगा से लेकर अब नर्मदा नदी तक में कोलेरा, जियार्डिया व टायफ़ायड लाने वाले सूक्ष्मजीव असाधारण मात्रा में मिलने लगे हैं, अतः बसाहट के मलजल को नैसर्गिक जलस्रोतों में मिलने से रोकने के लिये कठोर वैधानिक प्रतिबन्ध एवं सम्बन्धित अपशिष्ट जल-उपचार अपरिहार्य हैं।

जल प्रदूषण की रोकथाम कैसे करे ?

1. प्लास्टिक, काँच, पेन की निब इत्यादि का उपयोग कम से कम करें एवं इन्हें पुनप्रयोग का प्रयास करें तथा इनके टूट जाने, अनुपयोगी हो जाने पर तथा किसी भी तैल व अन्य प्रदूषक पदार्थों को, अन्य रसायन व अनुपयोगी दवायें मोरी, बाथरूम, सिंक, पानी में न बहाते हुए इन्हें सँभालकर किसी थैले या बोतल में भरकर अपशिष्ट-एकत्रण केन्द्र अथवा रद्दी पेपर वाले अथवा कचरे की गाड़ी वाले को सौंपें।

स्त्रियाँ मासिक स्राव में प्रयुक्त कपड़ों इत्यादि को बायोमेडिकल वेस्ट व अन्य डिब्बों में एकत्र रखें एवं पुरुष भी मरहम-पट्टियों इत्यादि को इसी डिब्बे में रखें एवं कचड़ा ले जाने वाली गाड़ी को अलग पैकेट में सौंप दें तो जल प्रदूषण के इस भारी-भरकम कारण को काफ़ी सीमा तक बहुत हल्का किया जा सकता है।

2. पुरानी अनुपयोगी दवाएँ एकत्र करके स्थानीय चिकित्सकों, फ़ार्मासिस्ट को सौंपें, न कि उन्हें पानी में बहायें।

3. फ़ास्फ़ेटरहित व चर्बीमुक्त डिटर्जेण्ट व साबुन इत्यादि उपयोग करें। बर्तन-कपड़े-साफ़-सफ़ाई सहित स्नानादि में रासायनिक पावडर्स व साबुन इत्यादि के बजाय जैविक अथवा हर्बल उत्पादों का प्रयोग करें।

4. कहीं पर्यटक बनकर जायें तो वहाँ के महासागर अथवा वहाँ की झीलों में किसी प्रकार का प्रदूषण न फैलायें, अपने व पराये शहर-गाँव हर जगह अपने साथ एक पैकेट रखें जिसमें आप उत्पन्न होने वाला कचरा एकत्र करते चलें।

5. जहाँ तक हो सके रसायनरहित (केमिकल-फ्ऱी) व पर्यावरण-अनुकूल (इकोफ्ऱेण्डली) सामग्रियाँ अपनायें।

6. जहाँ भी जायें घर से कपड़े को झोला लेकर चलें, कोई विक्रेता पन्नी पालिथीन देना भी चाहे तो न लें एवं उसे भी हतोत्साहित करें।

7. गाड़ियों व यंत्रों का मैण्टेनेन्स समय-समय पर मिकेनिक्स व अन्य विशेषज्ञों से करायें ताकि उनसे ग्रीस इत्यादि का रिसाव न हो।

8. न तो स्वयं कृषि-रसायनों का प्रयोग करें, न औरों को करने दें बल्कि सब्जियाँ इत्यादि ख़रीदने से पहले पुष्टि करें कि उन्हें जैविक तरीकों से उगाया गया है, इस प्रकार उत्पादक वर्ग व किसान भी रसायन मुक्त खेती के लिये प्रेरित होंगे।

खाद के रूप में ताज़ा अथवा पुराना गोबर, अन्य सड़ी-गली जैविक सामग्रियाँ, पत्ते, लकड़ी का बुरादा इत्यादि भूमि में मिलायें तथा कीड़ों को दूर करने के लिये हींग व लहसुन को सीमित मात्रा में पानी में उबालकर छिड़काव करें।

9. जलस्रोतों के आसपास मल-मूत्र त्याग इत्यादि कोई भी प्रदूषक कृत्य न करें।

10. तीज-त्यौहार अथवा अन्य अवसरों में जल में विसर्जन के बजाय सार्थक धार्मिक रीतियों को अपनायें, जैसे कि धार्मिक वृक्ष लगायें, इससे जल का शोधन होगा एवं मृदा-अपरदन भी रुकेगा, गाद व प्रदूषक हटाने के लिये स्थानीय नदी-तालाब की सफाई के लिये सामूहिक रूप से अथवा अकेले निकल जायें इत्यादि।

तो दोस्तों यह लेख था जल-प्रदूषण के कारण निवारण – Essay On Water Pollution Causes Prevention In Hindi, Water Pollution Essay Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

@ आप हमारे Facebook Page को जरूर LIKE करे ताकि आप मोटिवेशन विचार आसानी से पा सको. आप इसकी वीडियो देखने के लिए हमसे Youtube पर भी जुड़ सकते है.

Similar Articles:

  1. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर बेस्ट हिंदी स्पीच
  2. वायु प्रदूषण के कारण निवारण पर निबंध
  3. परिश्रम का महत्त्व व फायदे पर निबंध
  4. हिन्दी भाषा का महत्त्व एवं इसके लाभ Hindi Language Benefit Importance In Hindi
  5. गुरु रविदास जी का जीवन परिचय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *




Top 7 Best Article In Nayichetana. Com

  • चाणक्य की 10 बातें आपकी ज़िन्दगी बदल सकती है
  • 3 बुरी लत जो आपकी जिंदगी बर्बाद कर देगी
  • Online घर बैठे Paise कैसे कमायें
  • Teenage में ये 7 गलतियाँ कभी भी न करना
  • वजन बढ़ाने मोटा होने के 21 आसान उपाय
  • 3 लोग जिन्हें आपको कभी धोखा नहीं देना चाहिए
  • लम्बाई बढाने के 23 बेस्ट तरीके

Recent Posts

  • The Mental Toughness Handbook Hindi Summary
  • भगत सिंह के विचार | Bhagat Singh Quotes In Hindi
  • दोस्ती का विश्वास Best Hindi Story Of Two Friends
  • विलियम शेक्सपियर के विचार
  • हार के बाद मिलेगी सफलता After Failure Gain Success In Hindi
  • शराब और साहूकार हिन्दी प्रेरणादायक कहानी
| About Us | Contact Us | Privacy Policy | Terms and Conditions | Disclosure & Disclaimer |

You Are Now: Nayichetana.com Copyright © 2015 - 2025 to Nayichetana.com