शारीरिक कमज़ोरी दुबलापन दूर करने के 21 उपाय ! How To Overcome Physical Weakness In Hindi
How To Overcome Physical Weakness Kamjori In Hindi
आपके आसपास आपको कई दुबले और पतले लोग जरुर दिखते होंगे जो काफी कमजोर नजर आते है. ऐसे लोग शरीर से थके हुए होते है जो कोई काम करने पर Weakness Feel करने लगते है. इसे ही दुबलापन या शारीरिक कमजोरी कहते है.
शारीरिक कमज़ोरी के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं, जैसे कि दुबले-पतले दिखायी देने को भी शारीरिक कमज़ोरी कह दिया जाता है, ऊर्जाहीन या शक्तिहीन अनुभव करने को भी शारीरिक कमज़ोरी कह दिया जाता है एवं लैंगिक अक्षमता को भी शारीरिक कमज़ोरी कहा जाता है। वैसे ऊर्जाहीनता तो मध्यम अथवा मोटे लोगों को भी हो सकती है। फिलहाल हम यहाँ दुबले-पतलेपन की चर्चा करेंगे।
How To Overcome Physical Weakness Kamjori In Hindi
दुबलापन किसे कहेंगे ?
इसकी कोई परिभाषा नहीं हो सकती, ऐसा देखा गया है कि कई बार व्यक्ति देखने में काफ़ी दुबला नज़र आने के बाद भी वास्तव में बहुत ऊर्जावान् होता है। शारीरिक भार के आधार पर भी दुबलेपन को नापा नहीं जा सकता क्योंकि कभी-कभी पतले लोगों की अस्थि में काफ़ी वज़न होता है तो कभी मोटे लोग वास्तव में हल्के होते हैं।
विभिन्न देशो व चिकित्सा संगठनों में शारीरिक ऊँचाई, आयु, भार, आनुवंशिक स्थिति, खान-पान व रहन-सहन को आधार बनाकर कई कसौटियाँ बनाने का प्रयास किया गया किन्तु इस मामले में किसी भी ढर्रे पर सबको नहीं तोला जा सकता।
कुल-मिलाकर उस व्यक्ति को असामान्य स्तर का दुबला-पतला कहा जा सकता है जो कुपोषण अथवा अन्य किसी कारण से जिसके ख़ून में आवश्यक तत्त्वों की इतनी कमी हो कि वह दिनचर्या के साधारण कार्य सरलता से न कर पाता हो।
ध्यान रहे कि दुबलापन अपने आप में कोई समस्या नहीं है ( किसी बड़ी बीमारी अथवा भूख न लगने अथवा ग़़लत आदतों अथवा आनुवंशिक समस्या के कारण खाने के पोषक अवशोषित न होने के परिणाम में दुबलापन सम्भव है ). अपने मन में स्वयं अथवा दूसरों पर बीमार अथवा दुबले-पतले का टैग लगाकर अपना व उसका अपमान न करें.
आधुनिक काल की बात करें तो अत्यधिक दुबले-पतले अमिताभ बच्चन इस आयु में भी जितने सक्रिय हैं उतने उनकी तो क्या आज की पीढ़ी के अधिकांश तथाकथित मध्यमशरीर के अथवा हट्टे-कट्टे युवा भी आमतौर पर नहीं होंगे। ध्यान रहे कि दुबला व्यक्ति भी स्वस्थ व सामान्य ही होता है, तथाकथित शारीरिक सौष्ठव अथवा चर्बीधारी होना उत्तम स्वास्थ्य की निशानी नहीं।
वैसे भी अधिकांश मामलों में ऐसा पाया गया है कि दौड़भाग, उठापटक इत्यादि श्रम-कार्यों में मोटे व अन्य लोगों की अपेक्षा दुबले-पतले कहलाने वाले लोग अधिक देर तक सफलतापूर्वक टिके रहते हैं।
How To Overcome Physical Weakness Kamjori In Hindi
आपको क्या नहीं करना चाहिए ?
1. व्यक्ति वास्तव में दुबला हो अथवा नहीं वह न तो स्वयं को हीन समझे, न ही दूसरे उसका हँसी-मज़ाक बनायें; ध्यान रहे अष्टावक्र का शरीर आठ अंगों से टेढ़ा होने की हँसी पूरी सभा में उड़ायी गयी थी.
फिर अष्टावक्र जी ने सोने व मिट्टी के मटके मँगवाये एवं सबसे पूछा कि किस मटके का पानी पीना चाहेंगे तो सबने मिट्टी के मटके की हामी भरी व लज्जित होकर अष्टावक्रजी से क्षमा माँगी, अर्थात् महत्त्व भीतरी गुणों का होता है, बाहरी रूप-रंग का नहीं, इतनी सीधी-सी बात समझना आवश्यक है।
2. लोगों के बहकावे, विज्ञापन इत्यादि किसी भी प्रभाव में प्रोटीन-शेक, बाडी-बिल्डिंग, जिमिंग, स्टॅराइड-ड्रग व कैप्सूल का सेवन न करें, बस नैसर्गिक रूप से सक्रिय रहें तथा शारीरिक कमज़ोरी वास्तव में हो अथवा दिनचर्या वास्तव में प्रभावित होने लगी हो तो सम्बन्धित समस्या-समाधान के लिये सुयोग्य चिकित्सक के पास जायें।
उदाहरण के लिये थायराइड इत्यादि ग्रंथियों की क्रियाशीलता में असामान्यता होने से शरीर में असामान्य पतलापन आ सकता है तो अंतःस्राविकीविद् (एण्डोक्रायनोलाजिस्ट) से उपचार के लिये सम्पर्क किया जा सकता है।
यथासम्भव Medical रिप्रज़ण्टेटिव से अधिक मिलने-जुलने वाले एवं Private प्रयोगशालाओं व दवा विक्रेताओं से कमीशन बँधे साँठ-गाँठबाज़ Doctors इत्यादि से बचकर चलें।
3. कुपोषण अथवा दुबलेपन से उबरने में माँस का आसरा न लें, इससे हानिप्रद कालेस्टेराल बढ़ेगा व अन्य समस्याएँ और उत्पन्न हो जायेंगी, वसा व Protein की अधिक मात्रा चाहिए हो तो सोयाबीन, सेम, दूध का दलिया, मलाई, बेसन के लड्डू सहज-सुलभ रहते ही हैं।
4. नैसर्गिक पोषक तत्त्वों को नैसर्गिक रूप में ही ग्रहण करना चाहिए अन्यथा यदि तात्कालिक लाभ जैसा लग भी जाये तो भी दुष्प्रभाव पड़ेंगे एवं वैसे भी कोई भी ईमानदार डाक्टर यही कहेगा कि तथाकथित मेडिकल सप्लिमेंट्स, टेब्लेट्स या टानिक इत्यादि वास्तव में लाभ कम हानि ही अधिक पहुँचायेंगे क्योंकि प्राकृतिक खाने का कोई विकल्प कभी हो नहीं सकता।
कुछ जाँचें जो जरुर करे
1. डायबिटीज मेलाइटस (टाइप 2 डायबिटीज़) परखने के लिये एचबीऐ1सी जाँच करायी जा सकती है क्योंकि यह भी भार असामान्य रूप से कम होने का एक कारण गिना गया है।
2. थायराइड फंक्शन टेस्ट :इसमें चार Hormones चेक किये जाते हैं. थायराइड ग्रंथि की अनावश्यक रूप से अधिक सक्रियता भी दुबलेपन के लिये ज़िम्मेदार देखी गयी है।
3. लौह-परीक्षण : इसमें शरीर में लोहे की कमी का पता लगाया जाता है। Iron की कमी से एनीमिया हो सकता है जिससे अन्य पोषकों के अवषोशण में भी कमी आने से दुबलापन बढ़ सकता है।
4. विटामिन बी12 जाँच : इस रुधिर-जाँच में यदि यह Vitamin कम पाया गया तो भी Enigma सम्भव है।
दुबलापन दूर करने के घरेलु व आयुर्वेदीय उपचार
1. जिस प्रकार मोटापे के इलाज के लिये तैल-वसा इत्यादि अधिक कैलोरीयुक्त पदार्थों की मात्रा घटाकर शारीरिक सक्रियता बढ़ानी होती है उसी प्रकार दुबलापन यदि वास्तव में समस्या बन जाये तो आहार में कैलारी की मात्रा बढ़ायें एवं वसीय पदार्थ बढ़ायें.
जैसे कि घी-दूध-दहीं, सूखे मेवे, मशरूम, पनीर, मक्खन किन्तु ध्यान रहे कि संतुलित आहार पर ज़ोर दें, खनिज, विटामिन इत्यादि से समृद्ध विविधताभरे अनाजों व सब्जियों का सेवन बढ़ायें एवं मिक्स वेज अधिक खायें।
शारीरिक क्रियाशीलता, मेहनत करेंगे तो शरीर के मंदे पड़े गठबंधन खुलेंगे, नस-नाड़ियों में ताज़गी आयेगी एवं इनके अतिरिक्त भूख भी खुलकर लगेगी, सभी ने नोटिस किया ही होगा कि दो-चार दिन आरामतलबी वाला जीवन बितायें तो भूख भी कुछ ख़ास नहीं लगती जबकि पर्याप्त चलने-फिरने, कुछ उठापटक करने वाली सक्रिय दिनचर्या अपनाने पर खुराक स्वतः बढ़ जाती है।
2. दो बार में दिनभर का खाना खाने के बजाय कई बार में भोजन करें ताकि पेट अनावश्यक रूप से खाली न रहे एवं पोषक तत्त्वों का अवशोषण ठीक से हो पाये।
3. चाय व खाने के मध्य कम से कम आधे घण्टे का अन्तराल रखें क्योंकि चाय के कारण खाने के कई पोषक तत्त्वों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता, जैसे कि लौह का अवशोषण अच्छे से नहीं हो पाता।
4. ख़ून बढ़ाने वाली शाक-भाजियों, तरकारियों का सेवन अधिक करें, जैसे कि पालक, चैलाई इत्यादि तथा किसी भी सब्जी से परहेज-सा न करें, ढंग से बनायी जाये तो हर सब्जी स्वादिष्ट हो सकती है।
5. मिश्रित अनाजों वाले आटे का प्रयोग करें।
6. सोयाबीन का पनीर घर पर भी बना सकते हैं; रात को साबुत सोयाबीन पानी में डुबोयें, सुबह उसके छिलके किसी बोरी पर रगड़कर अलग कर लें, फिर छिलके निकले दानों को उबालकर सामान्य तापक्रम पर आने के बाद सिल-बट्टा, मूसल अथवा मिक्सर-ग्राइण्डर में पीस लें.
सूती पतले कपड़े से छान लें तो दूध निकलेगा जिसमें इलायची डालकर पी सकते हैं, खीर बनाने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है, विशेषतया लौकी अथवा कद्दू की खीर.
इसके अतिरिक्त इस दूध में नींबू की बूँदें डालकर अथवा दुकान से सिट्रिक एसिड ख़रीदकर उसके कुछ कण मिलाकर कुछ समय बाद पुनः छानते हुए पनीर बनाया जा सकता है एवं शेष बचे पौष्टिक पानी को भी पिया जा सकता है.
पीसने के बाद बची लुगदी का स्वादिष्ट हलवा बहुत पौष्टिक होता है जिसमें काफ़ी सारे प्रोटीन्स प्राकृतिक रूप में एकसाथ मिल जाते हैं। लुगदी को देसी घी में भून-सेंककर हलवा तैयार करने से आपको मावा खाने जैसा स्वाद आयेगा।
7. मूँग की दाल का हलुआ व समय पर सोने-उठने इत्यादि पुश्तैनी आहार-विहार अपनायें।
8. गुड़ की मात्रा बढ़ायें जिसमें उपस्थित लौह शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में बड़ा सहायक होता है।
9. लौहतत्त्व की कमी हो तो लोहे के बर्तनों का अधिक प्रयोग करें किन्तु खट्टी सामग्रियों को ऐसे बर्तनों में न रखें, अन्यथा आवश्यकता से अधिक लौहा शरीर में आ जाने से लौहमयता नामक विकृति आ सकती है तथा Vitamin B12 की मात्रा बढ़ाने के लिये दुग्धोत्पादों, सोयाबीन, मशरूम, कोदो-कुटकी व ज्वार-बाजरा का सेवन बढ़ायें।
10. दालों को मिश्रित करके दाल बनायें ताकि काफ़ी सारे Proteins एक साथ सरलता से मिल जायेंगे।
11. लालभाजी, चुकंदर, सलाद, फलीदार व रेशेदार खाद्य-सामग्रियाँ अधिक सेवन करें।
12. अत्यधिक Proceed वस्तुओं, Junk/Fast Food, भूख मिटाने के लिये Snacks इत्यादि से दूरी बरतें।
13. राजमा व चने को अधिकाधिक सेवन करें।
14. गेंहू के जवारों का रस गायत्री शक्तिपीठ के स्थानीय केन्द्रों इत्यादि अन्य व्यक्तियों व संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराया जाता है उसका नित्य सेवन किया करें।
15. घर में रात को साबुत मूँग, देसी चने इत्यादि को गंजी/तबेली में गलाकर अगले दिन सुबह खिड़की के पास ऊपर की तरफ़ अथवा अन्य खुले स्थान पर मोटे गीले कपड़े अथवा कई पर्तों के गीले कपड़ों में लपेटकर लटकायें ताकि अंकुरण हो सके, वैसे आप चाहें तो आजकल ख़ासतौर पर छोटे-बड़े शहरों में साँची Complex व अन्य दुकानों सहित बाज़ारों से भी अंकुरित अनाज ख़रीदकर खा सकते हैं।
16. कैलारी, प्रोटीन व वसा की नैसर्गिक मात्रा बढ़ाने के लिये सादे पोहे में मूँगफली, मटर, चने जैसे घटक मिलायें।
17. नहाने के बाद शरीर में सामान्य तैलों के साथ सरसों, तिल्ली व नारियल के तैल बदल-बदलकर लगायें।
18. मिश्रित खिचड़ी बनाने के लिये मसूर, उड़द, चने इत्यादि दालों व अन्य अनाजों को मिलायें, हो सकता है कि शुरु में यह पसन्द न आये किन्तु थोड़ा-बहुत परिवर्तन करते-करते अभ्यास हो जाने से खिचड़ी स्वादिष्ट लगने लगेगी एवं खिचड़ी में एक बड़ा लाभ यह भी होता है कि बहुत सारे पोषक तत्त्व नष्ट होने से बच जाते हैं।
19. खाने की थाली में भी एक साथ अधिक से अधिक विविधता हो क्योंकि एक पोषक तत्त्व की अति दूसरे पोषक तत्त्व को पेट में अवशोषित होने से रोकने का प्रयास कर सकती है एवं ऐसा भी होता है कि किसी पोषक तत्त्व के अवशोषण के लिये किसी दूसरे पोषक तत्त्व की उसी खाने में आवश्यकता हो, अन्यथा वह पोषक तत्त्व शरीर से बाहर निकल जायेगा।
20. दिन में कम से कम 3-4 बार देसी गाय अथवा भैंस के गर्म दूध में नारियल की गरी, छुहारे डालकर अथवा हल्का उबालकर सेवन करें। बारम्बार वज़न देखकर या बेल्ट से नापकर अपने आपको परखें नहीं, यदि वास्तव में कोई समस्या हो तो कारण के निदान के लिये चिकित्सक (Doctor) से मिलें।
21. तथाकथित झोलाछाप डाक्टरों के बहकावे में अजीब-अजीब सी बोतलों व दवाइयों का सेवन न करें, याद करेंः ”नीम-हकीमः ख़तरा-ऐ-जान“।
दोस्तों, दुबलापन कोई बीमारी नहीं है बल्कि गलत खानपान और रहन सहन का नतीजा है, अगर आप लगातार अच्छी Diet और Lifestyle पर अपना ध्यान देते है तो आपकी दुर्बलता दूर होने लगेगी और आपका शरीर खिलने लगेगा और आप मजबूत होने लगोगे.
इसलिए जरूरी है की आप ऊपर बताये गये सभी Tips को फॉलो करे और अपनी जिंदगी में अपनाए, मैं आपको गारंटी देता हूँ की यह आपका दुबलापन दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे.
तो दोस्तों यह लेख था शरीर की कमजोरी दूर करने के तरीके – How To Overcome Physical Weakness Kamjori In Hindi, Dublapan Kamjori Door Karne Ke Tarike Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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very good health informaion. I hope more from you abaut this in future
Thanks
bahot hi use ful information for every one
bahut achha likha hai sir aapne…nice thanx