वायु प्रदूषण के कारण व निवारण Essay On Effect Air Pollution In Hindi
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Essay On Effect Air Pollution In Hindi
वायु प्रदूषण क्या है परिभाषा ?
वायु में ऐसे कारकों व तत्त्वों (जैसे हानिकर गैसों, ठोस कणों) की उपस्थिति को वायु-प्रदूषण कहते हैं जो वायु की गुणवत्ता व पेड़-पौधों सहित जन्तुओं के स्वास्थ्य एवं समूची प्रकृति के लिये हानिप्रद होते हैं .
इसीलिये वायु-प्रदूषक कहलाते हैं। यदि मात्र पत्थर जैसी निर्माण-सामग्री के निर्माण की बात करें तो यह Global कार्बन डाई-आक्साइड उत्सर्जनों के 7 प्रतिशत भाग के लिये ज़िम्मेदार है, अर्थात् दुनिया भर के सब ट्रकों से भी अधिक। आइए अब की दफ़ा वायु प्रदूषण से सभी रूपों में निपटने के समाधानों की ओर बढ़ें।
Essay On Effect Air Pollution In Hindi
वायु प्रदूषण के उदाहरण
पार्टिकल-पाल्यूशन अथवा पार्टिक्युलेट मॅटर, कार्बन मोनोक्साइड, सल्फ़र डाई-आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, धरती की सतह के निकट की ओज़ोन तथा साॅल्वेण्ट्स, वूड प्रिज़र्वेटिव्स, एरोसोल स्प्रे, क्लीन्ज़र्स, मच्छर-मक्खी भगाने वाले रिपेलेण्ट्स, तथाकथित एयर-फ्रेशनेर्स, आटोमोटिव प्रोडक्ट्स, हाबी सप्लाईज़, ड्राए-क्लीनिंग क्लोदिंग.
पीड़कनाशियों (पेस्टिसाइड्स), बिल्डिंग मटैरियल्स, फ़र्निशिग्स, कापियर्स, प्रिण्टर्स, करेक्षन फ़्लुड्स, कार्बनलेस कापी पेपर, ग्रॅफ़िक्स, क्राफ़्ट मटैरियल्स, ग्लु, एढेसिव्स, पर्मनेण्ट मार्कर्स, फ़ोटोग्रॅफ़िक साल्यूशन्स में पाये जाने व लगातार रिसने वाले एवं लकड़ी, पत्ते, प्लास्टिक जलाने से उत्पन्न होने वाले वोलेटाइल आर्गेनिक कम्पाउण्ड्स(जैसे कि बेन्ज़ीन, एथाएलीन ग्लायकाल, मिथाईलीन क्लोराइड, ज़ायलीन, टालुईन) इत्यादि।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
1. ऊर्जा उपयोग व उत्पादन :
संसार का अधिकांश वायु-प्रदूषण ऊर्जा उपयोग व उत्पादन से ही निकलता है, जल-विद्युत व कोयला, पेट्रोलियम व अन्य जीवाश्म ईंधनों इत्यादि के उत्पादन-स्थल पर सटीक फ़िल्टर्स व शोधन सहित पर्यावरण-सुधार मापदण्डों का दृढ़ता से पालन करते हुए इस पर अंकुश लगाया जा सकता है तथा जनसाधारण भी बिजली सहित अन्य समस्त ईंधनों का प्रयोग कम से कम करने के प्रयास करें.
अन्यथा गैस व कोयला जलने के दौरान पारा, सीसा व बैन्ज़ीन निकलने से ये मानव व अन्य प्रजातियों के स्वास्थ्य सहित वायु की गुणवत्ता को बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभा ही रहे हैं, जैसे कि गैसोलिन के बेन्ज़ीन को कार्सिनोजेन (कैन्सर ला सकने वाला पदार्थ) कहा जाता है जिससे नेत्र, त्वचा व फुफ्फुसों (फेफड़ों) के रोग शीघ्र होने लगते हैं एवं दीर्घकाल में रक्त-विकृतियाँ पनप जाती हैं।
2. आग :
धरती माता के हरित आँचल को फसल-अवशिष्ट समझ जला देने, वनाग्नि व आसपास की सामग्रियाँ बटोरकर जला देने, आतिशबाज़ी से वायुमण्डल में कार्बन डाई-आक्साइड, काला कार्बन, भूरा कार्बन, ओज़ोन प्रिकर्सर्स, डायोक्सिन्स आ जाते हैं जिनसे पृथ्वी के विकिरण पर प्रभाव पड़ता है, मेघनिर्माण की प्रक्रिया बाधित होती है एवं वैष्विक स्तर पर मौसम व जलवायु-जनित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
डायोक्सिन्स प्रतिरक्षा, तन्त्रिका, प्रजनन व अंतःस्रावी तन्त्रों में व्यवधान लाते हैं एवं यकृत को प्रभावित करते हैं। अधिक अवधि तक इनके सम्पर्क में आने से बच्चों के वृक्कों व मस्तिष्क में विकार आने लगते हैं, मीथेन व कार्बन डाई-आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों से जलवायु गर्म हो जाती है, समुद्र जलस्तर बढ़ रहा है, मौसम प्रतिकूल होने लगते हैं, कई रोगों का संक्रमण तेज हो जाता है।
3. आलेख ‘ जल-प्रदूषण कारण एवं निवारण ’अवश्य पढ़ें क्योंकि वायु व जल के कई प्रदूषक व निराकरण समान होते हैं। वैसे भी कई प्रदूषकों के स्रोत एवं स्वास्थ्यगत व पारिवेशिक प्रभावों में भी समता रहती है। वायु हो अथवा जल दोनों के प्रदूषकों के सम्पर्क से आने वाली अतिसूक्ष्म मात्रा भी शरीर में सदा के लिये जम सकती है, फिर चाहे उससे सामना (एक्स्पोज़र) बहुत कम ही क्यों न होता हो।
वायु प्रदूषण के बचाव के उपाय
1. प्रदूषकों के उदाहरणों में ऊपर लिखे पदार्थों को उत्पादों के लेबल में देख लेने पर उनका प्रयोग कम से कम करने का प्रयास करें एवं उनके हर्बल अथवा रसायनरहित विकल्प तलाशे।
2. आग का प्रयोग कम करें – वन की आग बुझाने तुरंत अधिकारियों को सूचित करें, जलाऊ लकड़ी के बजाय रसोई गैस का प्रयोग करें।
3. लकड़ी के बजाय कण्डों उपलों द्वारा शवदाह करें अथवा सर्वश्रेष्ठ होगा कि Light शवदाह गृहों का प्रयोग किया जाये ताकि वृक्ष व विविधता एवं गोबर व खाद की बचत हो जाये।
4. समस्त ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग न्यूनतम करें, 3-4 किलोमीटर्स की दूरी के लिये सायकल को बढ़ावा दें, पर्यावरण व आपके स्वास्थ्य दोनों के लिये उत्तम। इससे लम्बी दूरी के लिये अन्य दुपहिया व चैपहिया सवार-साझेदारी (वेहिकल-शेयरिंग) को प्रेरित हों। बिजली व पेट्रोलियम ईंधनों के प्रयोग में कमी लायें। गाड़ी की सर्विसिंग व ईंधन-बदली निर्धारित केन्द्र से एवं समय पर कराते रहें।
5. धुँध व कालिख के स्रोतों पर अंकुश लगायें – इन दो वायु प्रदूषकों की उत्पत्ति यातायात व परिवहन के साधनों, कारखानों, विद्युत्-संयंत्रों, आग, इन्जिनों इत्यादि से होती हैं क्योंकि उनमें कोयला, गैस अथवा प्राकृतिक गैस इत्यादि का दहन हो रहा होता है, इनके प्रयोग में जितनी कमी ला सकें उतना भला होगा।
ये इतने अधिक घातक हैं क्योंकि ये फुफ्फुसों व रुधिरधारा में उतर सकते हैं एवं ख़तरनाक ब्रोंकाइटिस, Heart Attack जैसी स्थितियाँ ला सकते हैं। किसानों व हम सबकी माता वसुंधरा के हरे आँचल, उनके हरित परिधान नरवई को न जलाकर उसकी खाद बनायें, फ़र्नीचर, चारे के लिये उसे बेचें अथवा गहरी जुताई करके ज़मीन में दफ़ना दें तो स्वतः खाद बन जायेगी एवं आग से बचने के कारण सूक्ष्मजीवों की प्रचुरता नष्ट नहीं होगी, मृदा की उर्वरता बनी रहेगी, वह बाँझ होने से बच जायेगी।
6. वार्निश, पैण्ट इत्यादि किसी भी प्रकार के रसायन का प्रयोग करना ही पड़ रहा हो तो सीमित मात्रा में लायें तथा आवष्यकता समाप्त होने पर ठीक से पैक करके ठोस अपषिष्ट केन्द्र अथवा कचरे वाली गाड़ी वाले को सौंप दें, ये सब रसायन धीरे-धीरे अपने अंष घर के परिवेश में छोड़ रहे होते हैं। डिस्इन्फ़ेक्टैण्ट, सोफ़्टनर्स, कार्पेट क्लीनर्स, साबुन-शैम्पू, नेल वार्निष, नैल हार्डनर्स इत्यादि भी रसायनरहित ही लायें।
7. फ़ार्मेल्डिहाइड-आधारित रेज़िन्स रहित सामग्रियाँ क्रय करें, अन्यथा पार्टिकल बोर्ड, प्लाएवूड, मीडियम-डेन्सिटी फ़ायरबोर्ड, इन्स्युलेटिंग मटैरियल्स से इण्डोर प्रदूषण होता रहेगा क्योंकि इनके रसायन बरसोंबरस आपस में अभिक्रियाएँ करते ही रहेंगे।
8. इलेक्ट्रानिक गजेट्स, सेल, Battry इत्यादि का प्रयोग न्यूनतम करें। इनके ख़राब होने पर Electranic अपशिष्ट प्रबन्धन अथवा इलेक्ट्रानिक शाप में इन्हें सौंपें, न कि साधारण रद्दी-पेपर वाले को।
9. अधिक से अधिक वृक्ष लगायें, विशेष रूप से बड़े पेड़, सुगंध युक्त वृक्ष व बड़े पत्तों वाले पेड़। पेड़ बड़े परोपकारी होते हैं, World व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस काण्ड में पीपल के परोपकारी पत्ते ज़हरीली गैस सोखकर स्वयं काले पड़ गये थे। वृक्ष महान प्रदूषक-निवारक होते हैं।
10. अल्कोहलरहित उत्पादों का प्रयोग करें, Alcohal सम्बन्धी उत्पादों के उत्पादन से लेकर प्रयोग तक में जैव-वैविध्य की हानि, स्वास्थ्य व पर्यावरणीय प्रदूषण भारी-भारी मात्राओं में होते हैं।
11. हुक्का, धूम्रपान, आतिशबाज़ी इत्यादि बिल्कुल न करें, वायु (अर्थात् रामभक्त हनुमानजी के जनक पवनदेव) को प्रदूषित करके कौन-सा उत्सव मनाया जा सकता है ?
#Conclusion –
तो दोस्तों यह लेख था वायु-प्रदूषण के कारण व निवारण– Essay On Effect Air Pollution In Hindi, Air Pollution Kya Hai Aur Nuksan Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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Surendra जी आपने बहुत ही अच्छा article लिखा है |इससे में काफी कुछ नयी चीजे सीखी |