गर्भावस्था के दौरान कैसे रखे अपने ध्यान ? 15 तरीके 15 Ways to Stay Healthy During Pregnancy In Hindi
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15 Ways to Stay Healthy During Pregnancy In Hindi
अक्सर यह सवाल सभी दम्पतियों के मन में होता है कि गर्भावस्था में खान-पान कैसा हो ताकि जच्चा व बच्चा को हानि न हो, रहन-सहन कैसा हो कि गर्भस्थ शिशु को लाभ हो। पेट में किसी प्राण का पलना वास्तव में इतना संवेदनशील विषय होता है कि सोच-विचार पर भी संयम होना आवश्यक है कि क्या सोचना है और कैसे सोचना है।
15 Ways to Stay Healthy During Pregnancy In Hindi
गर्भावस्था में क्या बिल्कुल नहीं करना है :
1. धूम्रपान न करें :
गर्भावस्था के दौरान सबसे जरूरी है की आप धुम्रपान से दूर रहे. कई लेडी को सिगरेट पीने की habit होती है. इससे आपको दूर ही रहना है. वैसे इससे तो सभी को हमेशा दूर ही रहना चाहिए, विशेषतया पत्नी की गर्भावस्था में पति को भी क्योंकि धूम्रपान के घण्टों बाद भी उसके श्वासों से निकलने वाले विषाक्त गैसीय अंश कमरे में पत्नी के गर्भ तक पहुँचेंगे ही। इसलिए इससे बचे.
2. जितना जरूरी धुम्रपान से दूर रहना है उतना ही जरूरी है की आप शराब से भी दूर ही रहे. आपको मद्यपान नहीं करना है, अन्यथा समयपूर्व जन्म, फ़ेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसोडर्स, मस्तिष्क-क्षति, जन्मजात् विकार, गर्भपात व गर्भ में शिशु-मरण की आशंकाएँ बढ़ जाती है.
3. अगर आप तम्बाकू का सेवन करने के आदी है तो अपनी इस आदत पर भी Control करे और किसी प्रकार के तम्बाकू का प्रयोग नहीं करना है।
4. सेक्स व सम्बन्धित विचार-व्यवहार से भी दूर रहना है. वर्ना बच्चे के परिवर्द्धन पर भी असर हो सकता है और वैसे भी गर्भावस्था में सेक्स तो प्रायः पशु भी नहीं करते, वैसे इस विषय में ‘Sex करने के 31 बड़े नुकसान ’ नामक Article भी अवश्य पढ़ें।
5. Nonveg खाने यानी अण्डा, माँसादि से भी दूर ही रहें।
6. गर्भावस्था में प्रेग्नेंट महिला को पेट के बल बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए एवं पेट पर दबाव या मरोड़ पड़ने जैसी स्थितियों से भी यथासम्भव बचकर रहे।
7. जहाँ पर रासायनिक छिड़काव हो या पैण्ट- पालिश वाली जगह हो वहां पर न जायें, अन्यथा कीड़े मार दवाओं व वार्निश इत्यादि के रसायनों की विषैली गैसों से श्वसन-नली में गम्भीर एलर्जी हो सकती है जिसकी चपेट में आने से अस्थायी रूप से गर्भस्थ शिशु का दम घुँट सकता है या = वह किसी जन्मजात् प्रतिरक्षात्मक रोग से ग्रसित रूप में पैदा हो सकता है।
8. आपसे गर्भावस्था के दौरान कोई भी करीबी या Relatives मिलने आता है तो उसे अपना पेट दबाकर देखने न दें।
9. बिना Medicle Advice के कोई भी दवाई न खायें. यहाँ तक की टानिक, सप्लिमेंट, खाँसी की दवा भी नहीं. विशेष रूप से Penkiller व नींद लाने वाली Medicins बच्चे को गम्भीर हानियाँ पहुँचा सकती हैं।
10. नेलपालिश, लिप्स्टिक जैसे रासायनिक कास्मेटिक उत्पादों से दूरी बरतें, कई वैज्ञानिक अनुसंधानों में पाया गया है कि त्वचा में लगाने वाले क्रीम तक के केमिकल्स बहुत जल्दी ही गर्भस्थ शिशु के Blood में प्रवेश कर जाते हैं। जो आपके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है.
11. बिना पश्च्युराइज़ेशन वाला दूध न पीयें, अन्यथा यदि उस पशु को मलेरिया अथवा अन्य कोई वाहक व खाद्य-जनित संक्रमण हुआ तो वह गर्भवती को बड़ी आसानी से हो सकता है. इसलिए दूध सही Quality वाला ही पिए.
12. परिवार को अपशब्दों के प्रयोग, चीखना-चिल्लाना, एक-दूसरे को नीचा दिखाने जैसी मनो दुर्दशाओं से दूर रखें। अगर आपका आसपास का माहौल तनाव पूर्ण वाला होगा तो आपका मन मस्तिष्क भी टेंशन वाला हो जायेगा जो आपके बच्चे के लिए सही नहीं होगा.
क्या किसी चीज का उपभोग कम आवृति व मात्रा में किया जा सकता है ?
1. चाय-काफ़ी का सेवन (वह भी सामान्य ताप के आसपास लाने पर)
2. तैलीय, मिर्च-मसालेदार, नमकीन व चटपटे आहार का सेवन
3. पानी-पुड़ी, गोल-गप्पे, कुल्फ़ी, चाऊमीन इत्यादि का भी सीमित सेवन किया जा सकता है परन्तु स्वयं घर पर बनवायें ताकि उसका पानी इत्यादि पुराना अथवा गंदे हाथ लगे होने की सम्भावना न हो.
कई बार ऐसा पाया गया है कि रात को ठेले पर कुत्ता लेटा हो सुबह उसे ढंग से धोये बिना नूडल्स इत्यादि उस पर बिखराये गये हों अथवा खट-मिट्ठे पानी में हाथ लगाने से पहले व बाथरूम जाने, नाक पौंछने, पीठ खुजलाने के बाद हाथ उपयुक्त रीति में न धोये गये हों अथवा पास के कचरे के डिब्बे से उड़कर मक्खियाँ भिनक रहीं हों इत्यादि.
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गर्भवस्था के दौरान अन्य सावधानियाँ :
1. गर्भधारण का पता चलते ही सर्वप्रथम बिछाने-ओढ़ने के चद्दर डॅटाल से धो डालें ताकि किसी रोगाणु के संक्रमण व एलर्जेन्स की आशंका न्यूनतम की जा सके. ध्यान रखें कि बच्चा भले ही गर्भाशय के सुरक्षा-कवच के भीतर है परन्तु वह बाहर के माहौल के प्रति अत्यधिक संवेदनशील रहता है, यहाँ तक कि ऐसे कई कारकों से भी प्रतिक्रिया कर सकता है जो उसकी माता को मालूम तक न हुए हों.
2. मच्छरदानी में सोयें. मच्छरों से बचने के लिए हमेशा मच्छरदानी का ही प्रयोग करे ताकि आप मच्छरों से बच सके और आपका बच्चा भी Safe रहे.
3. अस्वच्छ स्थितियों से यथासम्भव बचें.
4. ऊँची ऐड़ी की सैण्डल जैसी चीज़ों से दूर रहें जो समग्र स्वास्थ्य के लिये तो हानिप्रद होती ही हैं तथा यदि गर्भवती को इनसे कोई चोट-मोच लग गयी तो गर्भस्थ शिशु की स्थिति बड़ी बिगड़ सकती है.
5. गर्म या गुनगुने पानी के टब में नहीं बैठना है.
6. ठीक से नियमित नहायें.
7. सुयोग्य स्त्रीरोग चिकित्सिका के सम्पर्क में रहें एवं आवश्यकतानुसार टीकों व जाँचों को ध्यान में रखें.
8. आरामतलब न हो जायें, अन्यथा आशंका है कि बच्चा भी आलसी निकलेगा और उसका मानसिक-शारीरिक विकास पर्याप्त नहीं हो पायेगा. वह आवश्यकता से अधिक भार का होगा; हाथ-पैर चलाते रहें, चलने-फिरने सहित हल्के कार्य अवश्य करें। भारी परिश्रम, अधिक भार उठाने-रखने या खींचने इत्यादि जैसे कार्यों से बचने का प्रयास कर सकती हैं।
9. यथासम्भव जैविक (आर्गेनिक) हर्बल खाना अपनायें, रासायनिक उर्वरकों व रासायनिक पीड़क नाशियों से उपजायी या भण्डारित की गयी फसल शरीर में रासायनिक अंशो की मात्रा बढ़ायेगी। डिब्बाबन्द खाद्यों व ‘रेडी-टू-ईट’ खाद्यों से जितने बचके चलें उतना उत्तम।
10. हो सकता है कि बड़े-बुज़ुर्गों की कई बातें आपकी बेहतरी के लिये हों परन्तु “पपीता व अनन्नास मत खाना, वर्ना गर्भपात हो जायेगा” जैसी भ्रांतियों से दूर रहें एवं हर सब्जी-भाजी व स्थानीय फल-कंदमूल का सेवन अवश्य करें एवं अपने रक्त के माध्यम से बच्चे तक सभी पोषक तत्त्व प्रचुर मात्राओं में पहुँचायें।
11. कसे व सिंथेटिक कपड़ों से दूर ढीले-सहज सादे-सूती वस्त्र पहनें।
12. पति घरेलु कार्यों में सहयोग करे, अपनी भूमिका को ‘परिवार के आर्थिक निवेशक’ तक सीमित न समझे।
13. आवश्यकतानुसार Fulltime कामवाली बाई नियुक्त करें (वृद्ध सास, एकल परिवार जैसी स्थितियों में यह आवश्यक हो सकता है) जो विषेष रूप से गर्भवती की देखभाल अच्छे से करे।
14. बाज़ारवादी या उपभोक्तावादी विज्ञापनों को पढ़ने-देखने से दूरी बरतें, ध्यान रहे कि माता-पिता, विशेष रूप से माता के सोच-विचारों का भी असर बच्चे के समग्र विकास सहित अवचेतन पर भी पड़ता है; इस बात को न भूलें कि चक्रव्यूह में प्रवेष करना अभिमन्यु गर्भस्थ स्थिति में ही सीख चुका था।
15. पत्नी व घर में अन्य व्यक्तियों सहित कामवाली बाई को आपातकालीन नम्बर्स (Emergency Number) पता होने चाहिए, जैसे कि स्त्रीरोग चिकित्सिका, स्थानीय चिकित्सालय, पति व ससुर, आस-पड़ौस, एम्ब्युलेन्स इत्यादि।
16. स्त्री व आसपास के लोग कई धार्मिक पहलें कर सकते हैं जो समग्रता में भी अच्छी अवश्य सिद्ध होंगी, जैसे कि कापी बनाकर मंत्रलेखन की आदत, नियमित पूजा-पाठ, दीवारों पर सूक्तियाँ व अच्छी बातें, श्लोक इत्यादि.
कभी-कभी आस-पास के मंदिर जाना (वैसे इसके साथ गर्भवती की चहल-कदमी भी हो जायेगी), शास्त्रीय संगीत, भजन-कीर्तन व अनुराधा पौडवाल कैसेट जैसे धार्मिक गीत-संगीत की मंद-मंद मधुर स्वर-लहरियों से घर गुँजायमान होता हो तो सोने पे सुहागा।
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shandar post.. aise post likhte rhe