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शीघ्रपतन के कारण भ्रांतियाँ बचाव के तरीके

July 26, 2020 By Surendra Mahara Leave a Comment

शीघ्रपतन के कारण भ्रांतियाँ बचाव के तरीके Premature Ejaculation Shighrapatan Causes Treatment in Hindi

Table of Contents

Premature Ejaculation Shighrapatan Causes Treatment in Hindi

सर्वप्रथम इस एक सत्य को गाँठ बाँध लें कि भूख-प्यास की इच्छा नैसर्गिक हो सकती है क्योंकि ये प्राकृतिक आवश्यकताओं से उपजती हैं परन्तु मैथुन, सहवास, सेक्स, सम्भोग कोई नैसर्गिक जरुरत नहीं है, न ही प्राकृतिक इच्छा है, कामेच्छा तो वास्तव में ‘की जाती’ है.

अपने आप’ नहीं होती, सेक्स की बातों से दूर रहोगे, दिमाग से इन बातों को दूर रखोगे तो कामेच्छा भी नहीं हो सकती क्योंकि कामवासना जान-बूझकर की जाती है, अपने-आप नहीं हो सकती।

काम (सेक्स) में कामयाबी किसी काम (उपयोग) की नहीं होती एवं नाकामी से हानि नहीं होती तो फिर सेक्स का सोचना भी क्यों ? तो आइए दुनियाभर की ढेरों बुराइयों की जड़ इस कामेच्छा को ही जड़ से मिटा दें.

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Premature Ejaculation

Premature Ejaculation Shighrapatan Causes Treatment in Hindi

एक शपथ-पत्र तैयार करें : ” मैं ईश्वर, धर्मग्रंथों एवं अपने प्रियजनों की शपथ लेता हूँ कि Porn, हस्तमैथुन, विवाह के बाद या विवाहपूर्व सेक्स इत्यादि से सर्वथा दूर रहूँगा “।

उपरोक्त शपथ को एक कोरे कागज़ पर ज्यों-की-त्यों लिखकर हस्ताक्षर करें एवं इसकी फ़ोटो खींचकर अपने पास रख लें, चाहें तो कागज को छुपा/जला सकते हैं अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को सौंप सकते हैं जो उसे अपने साथ रख सके। इससे आपको बड़ा चमत्कारी मनोबल मिलेगा।

शीघ्रपतन परिभाषा कठिन :

शीघ्रपतन के लक्षण भी अनिश्चित, अनिर्णायक व बड़े ही मुश्किल हैं, किसी एक अथवा कई आधारों, लक्षणों से यह नहीं कहा जा सकता कि आपको या आपके पति को शीघ्रपतन है, अर्थात् शीघ्रपतनः पहचान कठिन –

1. योनि-वेधन (वैजाइनल पेनेट्रेशन) शुरु करने के 60 सेकण्ड्स में वीर्य स्खलन को शीघ्रपतन कह दिया जाता है।

2. चिकित्सा जगत् में शीघ्रपतन की स्थिति 6 माह से अधिक समय तक बनी रहे तो उस स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं।

3. 100 बार सहवास में से कम से कम 75 से 100 प्रतिशत बार तक शीघ्रपतन हो तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है.

4. इस कारण पति व पत्नी में से किसी एक या दोनों को असंतोष, तनाव अथवा कुंठा हो तो उसे स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं किन्तु इस बात का भी खण्डन किया जा सकता है क्योंकि हर स्त्री का शरीर अलग हो सकता है, हो सकता है कि कोई स्त्री 3 मिनट में संतुष्ट हो जाये.

कोई 6 मिनट में और तो और ऐसा भी सम्भव है कि समान स्त्री की संतुष्टि की अवधि पहले कुछ और रही हो अभी कुछ और (अर्थात् बढ़-घट गयी हो) तथा पुरुषों के प्रकरण में भी यही बात ठीक इसी प्रकार लागू होती है।

5. ऐसा कोई मानसिक विकार अथवा ऐसी चिकित्सा-स्थिति जिससे शीघ्रपतन की स्थिति आ सकती हो तो भी शीघ्रपतन कहा जा सकता है।

6. मादक द्रव्य सेवन अथवा ऐसी दवाइयाँ कभी लीं हों जिनके कि शीघ्रपतन हो सकता हो तो इसे भी शीघ्रपतन के दायरे में गिना जाता है।

वास्तव में किसी भी स्थिति को शीघ्रपतन कहना बहुत ही ज़्यादा कठिन है क्योंकि स्खलन के बाद यदि पति-पत्नी निराश न होकर, पलटकर न सोते हुए पुनः प्रयास करें तो फिर से उत्तेजना पायी जा सकती है, पत्नी यदि वृषणकोष सहलाये एवं दोनों परस्पर हल्की-फ़ुल्की बातें करें तो स्खलन के 5-10 अथवा अधिक मिनट बाद उत्तेजना फिर से सम्भव है.

वास्तव में यही पत्नी को चाहिए होती है, इस प्रकार एक रात में 3-4 बार रिस्टार्टिंग सम्भव है। एक स्खलन के बाद फिर से उत्तेजना आने तक का समय विभिन्न लोगों, शारीरिक व मनोअवस्थाओं एवं अन्य स्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।

शीघ्रपतन के चार प्रकार :

1. प्राथमिक – जन्मजात् अथवा आनुवंशिक कारणों से जो कि आजीवन रह सकता है। जैसे कि शिश्न का आकार एवं स्खलन की अवधि आमतौर पर आनुवांशिक होती है, अर्थात् जैसा पिता वैसा बेटा।

2. द्वितीयक – आगे उल्लिखित ‘कारणों’ से उपार्जित कारणों से जिसमें होता यह है कि विवाह के कुछ महीनों तक सब ठीक-ठाक रहता है परन्तु किसी कारणवश अचानक किसी दिन अथवा धीरे-धीरे शीघ्रपतन की स्थिति आती है।

3. व्यापक – विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में उपजी स्थितियों में आने से अथवा आते-जाते रहने वाला शीघ्रपतन।

4. परिस्थितिगत – किसी विशेष परिस्थिति में होने वाला, जैसे कि मेहमान आये हुए हों तो कमरे के अंदर पति-पत्नी को यह डर सता रहा हो कि वे कहीं बुला न लें।

शीघ्रपतन के कारणों व मुक्ति के उपायों को जानने के लिये स्वप्नदोष के विस्तृत कारणों व उपचारात्मक उपायों को देखें ‘ स्वप्नदोष- कारण एवं बचाव ’ नामक आलेख।

शीघ्रपतन के कई कारण :

1. कामोत्तेजक कण्टेण्ट : बारम्बार या कभी-कभी कामेच्छावर्द्धक Video इत्यादि देखने अथवा ऐसी बातें करने से व्यक्ति की वीर्यधारण-क्षमता घटती है तथा अन्य लैंगिक विकार भी होते हैं।

ग़लत वीडियो में कम्प्यूटर-ग्रॅफ़िक्स का प्रयोग कर बढ़ा-चढ़ाकर बतायी गयी उत्तेजना-अवधि से भी युवा अक्सर भ्रमित रहते हैं और स्वयं को कम आँकते हैं। ‘रील’ और ‘रीयल’ में अन्तर कभी समझ नहीं पाते क्योंकि मन-मस्तिष्क में ‘रील’ हावी रहती है।

2. हस्तमैथुन : हस्तमैथुन अपने-आप में ऐसी बीमारी है जो ख़ुद कई बीमारियों की जड़ है, हाथ से कृत्रिम रूप में स्खलन कराने वाले की माँसपेशियाँ व नसें नैसर्गिक स्वरूप में नहीं रह जातीं।

3. परनारी सम्बन्ध : मनुष्य आनुवांशिक व प्रजातीय रूप से मूलतः एकल संगमी (मोनोगेमस) प्रजाति है, अर्थात् आजीवन अधिकतम एक से सम्बन्ध रखने तक सीमित।

एक से अधिक से सम्बन्धों से शारीरिक व मानसिक हानियाँ होंगी ही; शीघ्रपतन की बात करें तो परपुरुष/परस्त्री से सम्बन्ध बना चुके व्यक्ति वर्तमान से अपने पूर्व-अनुभव को तौलते हैं एवं हीनभावना का शिकार हो जाते हैं।

4. तनाव व अवसाद : संगी-साथियों की कुसंगत, ग़लत पढ़ी हुई सामग्रियों एवं समाज में बनी-बनायी भ्रांतियों के कारण व्यक्ति तनाव ग्रस्त हो सकता है अथवा अवसाद में जा सकता है.

जैसे कि तथाकथित दोस्तों व रिश्तेदारों के बहकावे में आकर सुहागरात ( प्रथम मिलनरात्रि ) को फ़ाइनल एग्ज़ाम जैसा मान लेता है ( जबकि यह तो रीहर्सल मात्र होती है ).

आगे की रातों में भी अजीब-अजीब से टार्गेट्स सेट करके सम्बन्ध बनाता है मानो कोई किला फ़तह करना हो जिससे शीघ्रपतन न भी होने वाला हो तो भी हो ही जाता है अथवा वास्तव में शीघ्रपतन नहीं होता, बस उन दोनों का लगता है कि शीघ्रपतन हो गया।

5. तथाकथित दोस्तों का बहकावा : बचपन से पचपन तक, ख़ासतौर पर स्कूल-कॉलेज, ऑफ़िस में लोगों से सुनी हुई या ग़लत जगहों पर पढ़ी हुई भ्रामक बातों में आकर भी व्यक्ति स्खलन के असम्भव दावों को सच मान बैठता है एवं उन्हें मील का पत्थर मान स्वयं की तुलना उनसे करने की कोशिश करता है क्योंकि उसने अपने जान-पहचान वालों की मनगढ़ंत बातें मन में सेव करके रखी होती हैं – ” मेरा डिस्चार्ज जो कल 15 मिनट में हुआ था, तू तो अभी बच्चा है “।

6. अतीत का लैंगिक शोषण : अतीत में बड़ी औरतों अथवा रिश्तेदारों द्वारा अथवा समलैंगिक उत्पीड़न किया जा चुका हो तो तन-मन व अवचेतन पर उसकी गहरी छाप पड़ चुकी होती है जिससे व्यक्ति अपनी पत्नी के समक्ष सामान्य नहीं रह पाता एवं अतीत की दुःखद स्मृतियाँ उसका स्खलन शीघ्र करा देती हैं।

7. चिकित्सात्मक कारण : थायरॉइड विकार (विशेष रूप से हाइपरथायरॉइडिज़्म), प्रोस्टेट ग्रंथि व उत्तेजना सम्बन्धी अन्य समस्याओं से भी शीघ्रपतन सम्भव है।

8. अधिक सम्बन्ध : अधिक यौन सम्पर्क से भी शीघ्रपतन होता है।

9. मद्य, धूम्रपान व जीन्स पैण्ट से व्यक्ति के शरीर की भीतरी व बाहरी स्थिति इस तरह से बिगड़ती जाती है कि उत्तेजना अधिक समय तक बनाये रखना सम्भव नहीं हो पाता।

शीघ्रपतन से समाधान :

1. ऊपर उल्लिखित अधिकांश कारणों से सरलता से स्वयं दूर हो जायें तो समस्या सहजता से दूर हो सकती है। समस्या यदि शारीरिक स्तर की व गम्भीर हुई तो पुंरोगविज्ञानी (एंड्रोलॉजिस्ट) से मिलें जो केवल पुरुष विशिष्ट शारीरिक रोगों का चिकित्सात्मक उपचार करता है.

नीम-हकीम ख़तरा-ऐ-जान बात को याद रखना; इधर-उधर से पता चले अजीब प्रयोग करने अथवा दुकानों से मालूम करके कुछ खा-पी लेने जैसे चक्करों का सोचना भी नहीं। आवश्यकतानुसार पेट-आँत रोग विशेषज्ञ, यूरोलॉजिस्ट अथवा न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क किया जा सकता है।

2.‘ बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे सँजोयें ’ आलेख अवश्य पढ़ें।

3. शपथ द्वारा अधिकांश समस्याओं का समाधान हो जायेगा क्योंकि शीघ्रपतन के अधिकांश एवं अन्य कई यौन-समस्याओं में मनोवैज्ञानिक समस्या होती है जिसे किसी औषधि अथवा बाहरी तत्त्व द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता, अपने मन का शुद्धिकरण करते हुए भीतरी कारण-निवारण सहज उपाय है।

4. सम्बन्ध के समय जल्दबाजी न करें, कमरा भीतर से ठीक से बन्द रखें, फिर लगभग अँधेरा जैसा कर दें, शिश्नमुख (लिंग की खाल का अन्तिम भाग) को हाथों व किसी भी चीज़ की रगड़ से विशेष रूप से बचायें।

5. किसी भी विषय में व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिये सम्पर्क कर सकते हैं : मार्गदर्शक 09425605432, हर केस को अलग से समझकर ही समाधान सम्भव

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