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बिना किसी डर के कैसे जीये ?

November 12, 2021 By Surendra Mahara 1 Comment

बिना किसी डर के कैसे जीये ? How To Be Live Without Fear In Hindi

Table of Contents

How To Be Live Without Fear In Hindi

आजकल हर कोई अनेक पहलुओं में हर समय किसी न किसी डर के साये में जी रहा है, यह डर मानसिकता, शारीरिक स्थिति अथवा किसी पूर्वाग्रह पर आधारित हो सकता है. स्वयं को किसी परिस्थिति में सँभालने के सन्दर्भ में कम समझने का हीनभाव भी डरे-डरे रहने का एक कारण होता है।

यहाँ डर को मिटाकर निडर जीने के नुस्खे सिखाने का प्रयास किया जा रहा है..

How To Be Live Without Fear In Hindi

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1. पोल खुल जाने का डर

मन-वचन-कर्म में एकरूपता रखकर एवं पीठ पीछे बोलने की आदत छोड़कर इस डर को मिटाया जा सकता है, झूठ बोलकर बाद में यह सोचते फिरने कि मैंने इसे उस बारे में क्या बोला था, इससे बचने का एकमात्र उपाय है कि हर स्थिति में सबसे सच ही कहा जाये। यदि कभी किसी से झूठ बोला हो तो उसे अब बता दें, जब जागो तभी सवेरा।

2. पूर्वाग्रहों को त्यागें

क्या आपको पता था कि अधिकांश साँप विष विहीन होते हैं जिनके द्वारा काटे जाने से मात्र निशान पड़ता है परन्तु व्यक्ति व्यर्थ की भयभीत होकर स्वयं को हृदयाघात् जैसी आत्मघाती स्थितियों में ढकेल देता है, उसे देह से निकलने के बाद ज्ञात होता है. ” मैं तो बिन बात के ही शरीर छोड़ आया “।

इसी प्रकार और भी बहुत सारे ऐसे पूर्वाग्रह होंगे ही जो आपके मन में पैठ बनाये बरसों या दशको से बैठे हुए हैं। मन में घुसे भय से शरीर पर मनोदैहिक (सायकोफ़िज़िकल) प्रभाव पड़ने से घबराहट से व्यक्ति का रक्तचाप व धड़कन बढ़ने से कई शारीरिक समस्याएँ आन पड़ती है जिनसे बचाव सरलता से सम्भव है यदि मन से उस डर को मिटा दें।

3. ज़िम्मेदारियाँ सँभालने की क्षमता में ही उठायें

आस-पड़ौस, परिवार-कार्यालय इत्यादि की ढेर सार ज़िम्मेदारियाँ उठाकर हैरान-परेशान घूमने के बजाय देखें कि कौन-कौन-सी ज़िम्मेदारी आपके द्वारा उठानी आवश्यक नहीं है अथवा किनके लिये आपके विकल्प उपलब्ध हैं या हो सकते हैं.

दिनभर घबराये-घबराये भटकने से बचते हुए प्रसन्न चित्त रहें, अन्यथा डर सताता रहेगा कि कहीं यह कार्य न छूट जाये, कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये, अरे ! कहीं मैं कुछ भूल न जाऊँ….

4. डायरी व सूची बनाते रहें

आज क्या-क्या करना है यह सूची सुबह बना लें तथा आज क्या-क्या कर लिया यह सूची रात को सोते समय बना लें। इससे कार्यों में संतुलन रहेगा एवं असमंजस व दुविधाओं से भी मुक्ति मिल सकेगी।

5. सक्रिय रहें

आलस्य त्यागें, बीते व आने वाले कल-परसों अथवा बरसों के जितने कार्य आज वर्तमान में किये जाने हैं अथवा किये जा सकते हैं उन्हें कर डालें, कल किसने देखा ? भूत व भविष्य के मध्य कई प्रकार के डरों के बीच डूबते-उतराते हुए झूलने के बजाय स्पष्ट रहें।

6. बोलें कि आपसे कोई अपेक्षाएँ न रखे

अपनों-परायों व परिचितों को समय-समय पर सचेत करते रहें कि वे आपसे अपेक्षाएँ न रखें, अपनी व्यवस्था स्वयं करके रखें ताकि आप उस गहरे आन्तरिक भय से मुक्त रह सकें कि इसका-उसका यह-वह कार्य मुझे करना पड़ेगा, समय पर या ठीक से नहीं हुआ तो व्यक्ति क्या सोचेगा-बोलेगा, मेरी छवि ख़राब होगी इत्यादि।

आर्थिक व सामाजिक अपेक्षाओं को समय रहते उखाड़ने पर विशेष बल दें।

7. आप किसी से कोई अपेक्षा न रखें

आप यदि किसी से भी अपेक्षा रखेंगे तो एक भय को आप स्वयं निमंत्रित कर रहे होंगे कि उसने मेरा कार्य किया होगा कि नहीं, कहीं वह कार्य मुझे तो नहीं करना पड़ेगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि उसने भी वह कार्य (जैसे कि रास्ते से दहीं ख़रीदते आना) कर लिया व मैंने भी अथवा बाद में पता चला कि दोनों सोचते रहे कि दहीं यह ख़रीद लेगा एवं अन्ततः किसी ने भी नहीं ख़रीदा।

8. जलभीति मिटवायें

जाने कौन-कौन-सी भीतियाँ (डर या फ़ोबिया) लोगों में दिमाग में भरी होती हैं जिनसे पार पायी जा सकती है किन्तु यह कार्य यथासम्भव अकेले न करें, जैसे कि जलभीति (पानी से डर) दूर करना हो तो एकदम पास में प्रोफेशनल तैराक की प्रत्यक्ष उपस्थिति में उससे लाइफ़-जैकेट लेकर तालाब के उथले भाग में उतरें व कुछ देर टहलें।

इससे आपका डर मिटने के साथ आप बाढ़ जैसी स्थितियों में स्वयं व दूसरों को बचाने की ओर भी सशक्त हो जायेंगे।

9. कीटभीति दूर करायें

कुछ व्यक्तियों की उपस्थिति में कुछ सामान्य से कीड़े-मकोड़ों को अपने हाथ पर चलायें, ध्यान रहे कि डर के मारे किसी कीट इत्यादि को कोई हानि न पहुँचने दें।

10. स्थानीय चिड़ियाघर जायें

वहाँ जाकर वन्यजीवों को सुरक्षित दूरी से देखें व अनुभव करें वे स्वयं भी सुरक्षित दूरी बनाये रखे रहना चाहते हैं तथा आप पर कभी कोई आक्रमण नहीं करना चाहता, साँप व मधुमक्खी भी आत्मरक्षा में ही आपको काटते हैं, जान-बूझकर अथवा आक्रामक रूप से अथवा स्वयं पहल करते हुए नहीं।

वहाँ यदि सर्पशाला हो तो चिड़ियाघर के कर्मचारी-अधिकारी की अनुमति से व निगरानी में साँप को हाथों से उठाकर देखें। सुप्रशिक्षित सर्प प्रेमी सपेरे से सीख भी सकते हैं कि गली-मोहल्ले में साँप घर में घुस आने पर उन्हें सुरक्षित पकड़कर जंगल तक कैसे छोड़ा जा सकता है।

11. छिपकली के साथ रहें

छिपकली इत्यादि को शत्रु समझकर झाड़ू उठाकर उन्हें मारने दौड़ने अथवा छिपकली देखकर बाथरूम व किचन से बाहर भाग निकलने के बजाय समझने का प्रयास करें कि उसका मुख ही इतना छोटा है कि जिसमें बड़ा कीड़ा भी कठिनता से आ पाता है तो वह आपको कैसे काट लेगी ?

वह तो स्वयं ही अति मुलायम छुप (छिप) कर रहने वाली कली के समान है जो स्वयं सुरक्षित रहने के लिये आप से डरकर यहाँ-वहाँ भागती-बचती-छुपती फिरती है उससे आप क्यों डरते हैं ? क्या वह देखते ही देखते मगरमच्छ बन जायेगी ? वस्तुत: वह रातभर मच्छर खाते हुए आपको डेंगू-मलेरिया से बचाती है। परोपकारिणी है छिपकली।

12. सहज रहें

श्वान-शूकर अथवा कोई भी ऐसा जीव अथवा वस्तु दिख जाये जिससे आपको घबराहट होती हो तो उसे अपना निज विरोधी बिल्कुल न समझें, सहज रहें, मन ही मन जबरन डरकर अपने व उसके लिये ख़तरे न पैदा करें। दुर्घटना से बचने गाड़ी रोकनी या धीमी करनी व सतर्कता आवश्यक है, बदहवास होने की आवश्यकता नहीं।

जैसे कि किसी भीड़ में फँस जाने पर घबराहट में यहाँ-वहाँ भागने अथवा दिग्भ्रमित होकर सामूहिक भगदड़ मचा देने के बजाय धीरज धरें, संयम की पतवार थामेंगे तो बड़ी समस्याएँ भी सुलझ सकती हैं। विवेक का नाश होने से बच सकता है।

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Comments

  1. Yogendra Singh says

    November 16, 2021 at 6:09 am

    Aapne ye chhipakali ka jo point bataya hai vo kuchh samajh se bahar hai.

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