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जन्तु जगत के विचित्र आश्चर्य Wonders Of Animal World

June 18, 2021 By Surendra Mahara Leave a Comment

जन्तु जगत के विचित्र आश्चर्य Strange Wonders Of Animal World In Hindi

Table of Contents

Strange Wonders Of Animal World In Hindi

घोड़े खड़े-खड़े कैसे सो लेते हैं

घोड़े खड़े-खड़े कैसे सो लेते हैं क्योंकि घोड़ों में पेशियों व अस्थियों को जोड़ने वाले लिगामेण्ट्स व टेण्डन्स का विशेष अरैन्जमेण्ट होता है जिसे स्टे एपरेटस कहते हैं। घोड़ा तीन पैरों पर खड़े-खड़े सो सकता है (हर बार एक-एक पैर को विश्राम कराते हुए)।

सम्पूर्ण निद्रा के लिये घोड़ों को भी लेटकर सोना आवश्यक होता है। कहा जाता है कि मैदानी भागों में घोड़ों की उत्पत्ति हुई थी जहाँ दूर से आते परभक्षी से बचने के लिये उसे दूर से देख लेने व तुरंत भागने में सुविधा हेतु इनमें खड़े होकर सोने की क्षमता विकसित हुई।

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Animal Wonder

अण्डे देने वाले स्तनपायी – डक-बिल्ड प्लेटिपस एवं विभिन्न उप-प्रजातियों के एकिड्ना होते तो स्तन पायी हैं परन्तु अण्डे देते हैं। आस्ट्रेलिया व न्यू गिनिया में ही ऐसे जीव पाये जाते हैं जिन्हें मोनोट्रीम्स भी कहा जाता है, इनमें चोंच जैसी संरचना होती है।

बच्चे देने वाले साँप – अधिकांश साँप अण्डज होते हैं परन्तु जरायुज (विविपेरस) साँप अपने परिवर्द्धनशील भ्रूण को प्लेसेण्टा व योक सेक में पालते हैं। इस श्रेणी में बोआ कान्स्ट्रिक्र्स व ग्रीन एनाकोण्डा सम्मिलित हैं। इनके सिवाय एक और श्रेणी अण्डजरायुज (ओवोविविपेरस) भी होती है जिनमें मादा अण्डे को अपने भीतर रखती है परन्तु बच्चा बाहर आते समय अण्डे को माता के भीतर की छोड़ देता है। रेटलस्नेक इसी श्रेणी में आता है।

पक्षियों में विश्वकर्मा – सुराही की आकृति में घौंसले बनाने वाली बया के घौंसले दूर से ही किसी का भी ध्यानाकर्षण कर लेते हैं।

मेहनती मधुमक्खियाँ – मधुमक्खियाँ मकरन्द की खोज में पाँच मील तक जा सकती हैं। 50 हज़ार से अधिक मधुमक्खियों वाला बड़ा छत्ता हो तो इनकी कुल उड़ान पृथ्वी से चँद्र तक प्रतिदिन यात्रा करने के बराबर है।

खण्डित केंचुए का जन्म – केंचुएँ व कुछ कृमि ऐसे होते हैं जिनका शरीर यदि मध्य से कट जाये तो दो जीव बन जाते हैं जिनका जीवन एक-दूसरे से स्वतन्त्र होता है क्योंकि ऐसे जीव खण्डों से बने होते हैं जिनमें अधिकांश खण्ड अलग होकर स्वयं एक जीव बनने की सामथ्र्य रखते हैं।

मादाएँ क्यों काट जायें – मच्छरों में मादाएँ ही मनुष्यों को काटती हैं क्योंकि अपने भीतर पल रहे अण्डों को प्रोटीन इत्यादि पोषण प्रदान करने के लिये उन्हें रक्त चाहिए होता है जबकि नर मच्छर बाहर घूमते हुए पुष्पों के मकरन्द पर जी लेते हैं।

मलेरिया मच्छरों से नहीं होता – मलेरिया वास्तव में प्लॅज़्मोडियम वाइवेक्स नामक एक प्रोटोज़ोअन सूक्ष्मजीव से होता है जो मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में आ जाता है, मच्छरों को तो पता ही नहीं होता कि वे इस सूक्ष्मजीव की जीवनयात्रा में वाहक बन रहे हैं।

शव खोद निकाल खाने वाला – कबरबिज्जू एक छोटा प्राणी है तो कन्दमूल खाने के साथ ही उन शवों को भी खोद निकालकर खा लेता है जो मनुष्यों द्वारा दफ़नाये या गड़ाये जाते हैं।

नेत्र खुले फिर सोलें – कुछ जन्तु एक नेत्र की पलक खोलकर भी सो सकते हैं, जैसे कि डाल्फ़िन जिसमें जो नेत्र खुला है उसे नियन्त्रित करते वाला दूसरे साइड का अर्द्धमस्तिष्क भी बन्द जैसा हो जाता है। मगरमच्छ में भी यह क्षमता होती है।

तीन हृदय, नौ मस्तिष्क व नीलरुधिर वाला आक्टोपस – अष्टभुज में तीन हृदय व नौ मस्तिष्क होते हैं एवं रक्त का रंग नीला होता है।

अष्टाक्षी मकड़ी – अधिकांश मकड़ियों में आठ नेत्र होते हैं तो कुछ में एक भी नहीं जबकि कुछ में इनकी संख्या बारह तक हो सकती है।

पाँव पर स्वादग्राही – तितलियों में वास्तविक मुख नहीं होता एवं स्वाद-कलिकाओं जैसी संरचना भी पैरों पर होती है, ये जहाँ बैठती हैं वहाँ की शर्करा घुलने से ये उस पुष्पीय भाग से मकरन्द ग्रहण करने या न करने का निर्णय करती हैं।

तीन साल कौन सो सकता – दैनिक रूप से देखें तो काला रीछ व भूरा चमगादड़ 20 घण्टे सो लेते हैं जबकि महीनों-वर्षों के अनुसार देखा जाये तो भूमि पर रहने वाले कुछ घोंघे शीत निष्क्रियण अथवा ग्रीष्म निष्क्रियण में 3 साल तक भी सो सकते हैं। आप इनके जैसा मत बनिएगा।

चार सींगें सच में किसमें – भारत व नेपाल में पाया जाने वाला चैसिंगा ऐसा हरिण है जिसमें दो सींगें सिर के ऊपर व दो छोटी सींगें भृकुटियों (भौंहों) के पास होती हैं, चारों सींगें एकदम अलग-अलग स्पष्ट दिखायी दे जाती हैं।

मानव जैसे फ़िंगरप्रिण्ट्स किसके – वैसे तो चिम्पान्जी व गोरिल्ला में भी मानवसमान व्यक्ति विशेष फ़िंगरप्रिण्ट्स होते हैं परन्तु आस्ट्रेलिया के वृक्षजीवी शाकाहारी मार्सूपियल जीव कोआला के फ़िंगरप्रिंट्स बिल्कुल मनुष्यों के फ़िंगरप्रिण्ट्स जैसे दिखते हैं।

बीजारोपण करती गिलहरी – गिलहरी फलों, सब्जियों इत्यादि के बीजों को खाने-छुपाने के चक्कर में अनेक बार बीजों को गड़ाकर भूल जाती है जिससे वे अंकुरित हो पौधे बन जाते हैं।

गुदगुदाने से हँसे चूहे

जाँच करने पर पाया गया कि चूहे को गले में हल्के-से गुदगुदाने से उसने वैसी आवाज़ें निकालीं जिसे हँसना कह सकते हैं।

मनुष्यों से संवाद के लिये बिल्ली की विशेष म्याऊँ – मनुष्यों से संवाद करने के लिये बिल्लियों की बोली विशिष्ट रूप से विकसित की गयी होती है, अन्य बिल्लियों से संवाद के लिये वैसी बोली प्रयोग नहीं की जाती।

चींटी के पंख व मरण में क्या सम्बन्ध

चींटी, ततैया सहित मधुमक्खियों व बर्रै के पूर्वज एक माने जाते हैं। चींटी की कई प्रजातियाँ होती हैं। कुछ प्रजातियों की चींटियों में पंख होते हैं किन्तु सन्तानोत्पत्ति में समर्थ में ही। ये पंख कुछ ही अवधि के लिये आते हैं। किसी प्रजाति में रानियाँ लड़ते-लड़ते एक-दूसरे को घायल कर देती अथवा मार देती हैं।

कुछ मामलों में ये पतंगों के समान प्रकाश स्रोत में घुसने के चक्कर में मृत्यु को आमंत्रित कर देती हैं अथवा भवन के भीतर बन्द हो जाती अथवा बाहर खुले में जाने का रास्ता न मिलने के कारण मर जाती हैं। कई चींटी-प्रजातियों में नयी कालोनी बसाने का निर्णय करने अथवा अण्डे देने को तैयार होने वाली मादा चींटियाँ अपने पंख गिरा देती हैं।

छोटी डगर बड़ी उमर

छोटे-छोटे डग भरके चलने वाली, बीजों का परागण करने वाली, मिट्टी को उपजाऊ करने वाली एवं प्रकृति के सड़-गल रहे पदार्थों को खाकर अपमार्जक कहलाने वाली चींटियों में और भी कई गुण हैं, 30 वर्ष की आयु की मादा चींटी पायी गयी है।

चींटियों की कालोनी की विशालता

वल्मीक (बांबी) मीलों तक फैली हो सकती हैं। कई बांबियाँ सुरंगों से जुड़ी भी हो सकती हैं। इनके घौंसले सुरक्षित रहें व खाना पर्याप्त मिलते रहे तो बाम्बी का फैलाव जारी रखा जा सकता है। यूरोप में चींटियों की एक कालोनी का घौंसला 3600 मील की दूरी में फैला पाया गया था।

तो दोस्तों यह लेख था जन्तु जगत के विचित्र आश्चर्य, Strange Wonders Of Animal World In Hindi, Jantu Jagat Ke aaschary. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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