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गौमूत्र से होने वाले 21 स्वास्थ्य-लाभ Cow Urine In Hindi

June 8, 2020 By Surendra Mahara 1 Comment

गोधन अर्क के फायदे और नुकसान – Cow Urine Gaumutra Health Benefits Harm In Hindi

Table of Contents

Cow Urine Gaumutra Health Benefits Harm In Hindi

अभी गौमूत्र की उपयोगिता के सन्दर्भ में दो पक्ष बने हुए हैं : एक पक्ष के अनुसार गौमूत्र के लाभों को बढ़ा-चढ़ाकर गिनाया जा रहा है तो दूसरा पक्ष कहता है कि गौमूत्र वास्तव में इतना अधिक उपयोगी है, इस कारण इस बार हम प्रामाणिक तथ्यों के साथ गौमूत्र का विष्लेषणात्मक Article प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे पाठकगण स्वयं निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।

पंचगव्य ( गोबर, मूत्र, दूध, दहीं व घीं ) में गौमूत्र की भी उपयोगिता प्राचीन काल में आयुर्वेद से लेकर वर्तमान आधुनिक काल तक बनी हुई है। इसमें यूरिया, गंधक (सल्फ़र), अमोनिया, फ़ास्फ़ेट, पोटेशियम, सोडियम, मैगनिशियम, मैंगनीज़, कार्बोनिक अम्ल, सिलिकान, लौह, क्लोरीन, सिट्रिक अम्ल, टाइट्रिक अम्ल, लॅक्टोज़, विभिन्न विकर (एन्ज़ाइम्स), हिप्यूरिक अम्ल, क्रियेटिनिन इत्यादि की उपस्थिति इसे त्वचारोग इत्यादि मानवीय रोगों के उपचार में सहायक बनाती है।

भारतीय गौवंश के गोबर व मूत्र से 30 से अधिक औषधियों का निर्माण किया जा रहा है जो कि अनेक राज्यों व देशो द्वारा मान्यता प्राप्त है। कई देशो में पेटेण्ट व शोध कार्यों में इनका प्रयोग किया जा रहा है। गौमूत्र-चिकित्सा की पुरातनता: अथर्ववेद, चरकसंहिता, राजनिघंटु, भाव प्रकाश निघंटु, अमृत सागर इत्यादि में गौमूत्र से उपचार-विधियों का उल्लेख है।

Cow Urine Gaumutra Benefits Harm In Hindi

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देसी गौमूत्र के परोपकारी तत्त्व

1. अमोनिया : यह रक्त-शोधक है।

2. नाइट्रोजन : यह वृक्क (किड्नी) की कार्यप्रणाली सुधारने व रक्त से विष निकालने में सहायक है।

3. यूरिया : यूरिया जीवाणुनाशक है एवं रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

4. यूरिक अम्ल : यह व गौमूत्र में अन्य कई तत्त्व कैंसर-कोशिकाओं से लड़ने वाले माने गये हैं. इस सन्दर्भ में विविध अनुसंधान जारी हैं।

5. यूरोकाइनेज़ : यह रक्तस्कन्द (ख़ून के थक्के) को घोलने व हृद्वाहिका तन्त्र (कार्डियोवॅस्क्युलर सिस्टॅम) सुधारने में सहायक है।

6. इरिथ्रोपायटिन : यह हीमोग्लोबिन व रक्त-कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक है।

7. गोनेडोट्रापिन : यह मासिक चक्र की अनियमितता व पुरुष-स्वास्थ्य में उपयोगी है।

8. एल्लॅण्टाइन : यह गौमूत्र सहित अनेक पौधों में भी पाया जाता है जो घाव ठीक करने व त्वचा में निखार लाने में उपयोगी है, यह उन मुख्य पदार्थों में सम्मिलित है जिनके कारण सौन्दर्य-प्रसाधनों में गौमूत्र का ख़ूब प्रयोग किया जाने लगा है।

9. गन्धक : गौमूत्र में उपस्थित गन्धक (सल्फ़र) बड़ी आँत की गति को सामान्य करता है।

10. फ़ास्फ़ेट : यह मूत्रमार्ग से पथरियाँ हटाने, छाती में जलन दूर करने में सहायक है।

11. विभिन्न विटॅमिन्स : गौमूत्र में उपस्थित कई विटॅमिन्स ( ऐ, बी, सी, डी, ई इत्यादि ) ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

12. लॅक्टोज़ : हृदय में मजबूती लाये।

13. हिप्यूरिक अम्ल : यह शरीर के विषों को मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है।

14. लवण : रक्त की अम्लीयता घटाये।

15. खनिज : खाद्य-सामग्रियों की अपेक्षा गौमूत्र में पाये जाने वाले कई खनिज मानव हेतु शीघ्र अवशोषण-योग्य होते हैं क्योंकि ये सरल रूप में गौमूत्र में सुलभ हो जाते हैं जिनमें से कई तो मनुष्य के प्रतिरक्षा-तन्त्र को सषक्त बनाने वाले माने जाते हैं।

16. कैल्शियम : हड्डियों को मजबूत करे व रक्तचाप को ठीक करे।

17. लौह : लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ावै।

18. पोटेशियम : माँसपेशियों को खिंचाव से बचाये एवं थकान घटाये तथा हृदय की धड़कन व शरीर में तरलों का संतुलन बनाने में सहायक।

19. सोडियम : ख़ून साफ़ करे एवं अम्ल अधिक बनने से रोके तथा पेषियों व तन्त्रिकाओं की कार्य-प्रणाली सामान्य रखने में सहायक।

20. ताँबा : वसा के अत्यधिक जमाव पर नियन्त्रण करने में एवं रक्त-संचार ठीक रखने में सहायक।

21. मैंग्नीज व कार्बोलिक अम्ल : रोगाणुओं की बढ़त रोकें व कोलॅस्टराल घटायें इत्यादि।

किस रोग में गौमूत्र का प्रयोग कैसे करें ?

बुखार में : दहीं, घीं, काली मिर्च के साथ गौमूत्र का सेवन ज्वरनाशी के रूप में किया जाता रहा है।

एनीमिया में : गौदुध व गौमूत्र को मिलाकर सेवन करने से ख़ून की कमी मे कुछ राहत होती है।

पेट के कीड़ों में : आधी चम्मच अजवायन को चार चम्मच गौमूत्र के साथ सेवन करना सुझाया जाता है; बच्चों के प्रकरण में मात्रा आधी रखें।

त्वचा रोगों में : जीरे को पीसकर गौमूत्र में मिलाकर त्वचा पर मलने से अनेक त्वचारोगों से राहत मिलती है अथवा नीम अथवा अमृता (गिलोय) अथवा नीम-गिलोय ( नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय) का सेवन गौमूत्र के साथ करें। स्थूलता अथवा मोटापे के निवारण मेंः आधी गिलास ताज़े पानी में चार चम्मच गौमूत्र व एक चम्मच नींबू-रस मिलाकर ग्रहण करें।

गले में खराश : गौमूत्र अर्क में हल्दी मिलाकर गरारे करें।

कब्ज़ : तीन ग्रॅम्स हरड़ को गौमूत्र में मिलाकर पीयें। किसी भी रोग में स्थिति अधिक गम्भीर हो तो सम्बन्धित रोग-विषेषज्ञीयन चिकित्सक से सम्पर्क करें।

गौमूत्र उपयोग करने में सावधानियाँ

*. जिस गाय के गौमूत्र का सेवन किया जाना हो उसे खरी (विभिन्न फसलों की खलियाँ), कराई (अनाज के छिलके व भूसी) एवं हरा चारा खिलायें.

*. ताजा गौमूत्र को 5-10 मिनट्स में सेवन कर लेना उपयुक्त रहेगा तथा विधिवत् शुद्धिकरण के बाद पैकेज़्ड किये गये गौमूत्र को वायुरोधी डिब्बे में रखा जा सकता है किन्तु 1-2 माह से अधिक नहीं.

*. गौमूत्र को मुख से सेवन करना हो तो गौमूत्र-चिकित्सा के जानकार आयुर्वेदीय विशेषज्ञ से सम्पर्क करें.

*. गाय देसी हो, न कि संकर (हायब्रिड)

*. गाय गर्भवती अथवा रोगी न हो

*. भोर बेला में एकत्र किया गया गौमूत्र चिकित्सात्मक उपयोग-योग्य होता है परन्तु गाय द्वारा मूत्र उत्सर्जन का आरम्भिक व अन्तिम भाग छोड़कर मध्यभाग एकत्र करना श्रेयस्कर होता है.

*. वन में स्वच्छन्द चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोतम.

*. एक वर्ष से भी अल्पायु की बछिया का मूत्र भी श्रेष्ठ अभी बछड़ा जन चुकी गाय के गौमूत्र में उपयोगी हार्मोन्स, खनिजों, धातुओं के साथ-साथ अन्य ढेरों पोषक तत्त्व भी होते हैं

*. गाय यथासम्भव दुधारु हो क्योंकि लॅक्टोज़ जैसे कुछ पदार्थ प्रायः दूध दे रही गायों में मूत्र में ही पाये जाते हैं

*. छोटे बच्चों को व गम्भीर रोगों अथवा विकृतियों से ग्रसित अथवा असहज स्थिति में गौमूत्र का सेवन नहीं कराना है

*. आजकल आसुत (डिस्टिल्ड) गौमूत्र उपलब्ध कराया जाता है ताकि आज के रासायनिक खान-पान व कृत्रिम रहन-सहन में पली गायों के गौमूत्र में उपस्थित हानिकारक पदार्थ हटाये जा सकें।

इस लेख में आपको Cow Urine Gaumutra Health Benefits Harm In Hindi – Gaumutra Pine Ke Faayde Aur Nuksan और गौमूत्र से होने वाले 21 स्वास्थ्य-लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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Comments

  1. Jay Mishra says

    June 12, 2020 at 8:41 pm

    बहुत ही दिलचस्प लेख । वैसे तो इस बारे में मैंने भी सुन रखा था परंतु इस विषय में इस तरह का विस्तृत जानकारी मैंने कहीं नहीं पढ़ी थी । Nice article

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