असली कर्म का मतलब क्या है ? Real Karma ka Matlab Kya Hai
दो दिन पहले मैं अपने शहर के एक बड़े मंदिर में अपनी Family के साथ दर्शन के लिए गया था. मंदिर में दर्शन करने के बाद हम लोग मंदिर (Temple) में हो रहे सत्संग में शामिल हुए और महात्मा जी के प्रवचन सुनने लगे. महात्मा जी उस समय कर्म के बारे में प्रवचन दे रहे थे और तभी उन्होंने कर्म से जुड़ी एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई जो मैं यहाँ आपके साथ शेयर (Share) कर रहा हूँ.
एक बार एक युवक ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत दूर से एक स्वामी जी के आश्रम में आया. उसने स्वामी जी से सत्संग में भाग लेने की अनुमति मांगी. स्वामी जी ने उसे अनुमति दे दी. स्वामी जी ने अपने प्रवचन में खेती-किसानी से जुड़ी काम की बातों पर चर्चा की.
जब प्रवचन पूरा हो गया तो उस युवक ने स्वामी जी के एक शिष्य से कहा, ” यह तो बड़ी अनोखी बात है. मैं तो यहाँ इस उम्मीद से आया था की मुझे आत्मज्ञान और पाप – पुण्य के बारे में ज्ञानवर्धक प्रवचन सुनने को मिलेंगे परन्तु स्वामी जी ने तो टमाटर उगाने, सिंचाई करने और ऐसी ही बातो का जिक्र किया.
जबकि सभी अन्य गुरु तो यह कहते है की हमें सदैव भगवान की भक्ति करनी चाहिए व भगवान की आराधना करनी चाहिए. यह तो कोई नहीं कहता की हमें टमाटर उगाना चाहिए.
उस व्यक्ति की बात सुनकर शिष्य ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, ” हम यह नहीं मानते जो आप मानते हो. हम यह मानते है की भगवान ने अपने हिस्से की सभी जिम्मेदारियां बहुत अच्छी तरह निभा दी है और अब यह हमारे ऊपर है की हम उसके काम को आगे बढ़ाये.
दोस्तों सिर्फ पूजा – पाठ करना ही ईश्वर की पूजा नहीं होती बल्कि अपने कर्तव्यो को अच्छी तरह से निभाना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है. हमें बाहरी आडम्बर से दूर रहना चाहिए और अपने काम पर Focus करना चाहिए.
हमें हमेशा अपने कर्म करने पर ध्यान देना चाहिए अगर हमारे कर्म अच्छे होंगे तो भगवान भी हमारा साथ हर समय निभाएगा. कर्म की चिंता करो, उस कर्म के फल की चिंता मत करो. अच्छे कर्म करे होंगे तो उस कर्म का फल भी अच्छा ही मिलेगा.
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