पर्सनल हायजीन रखने के 25 तरीके 25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
Table of Contents
- पर्सनल हायजीन रखने के 25 तरीके 25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
- 25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
- 1. स्नान :
- 2. नाखून काटते रहें :
- 3. बाल कैसे साफ़-सुथरे रखें :
- 4. बाथरूम की सफ़ाई :
- 5. साबुन-सफ़ाई :
- 6. मंजन कैसे करें ? :
- 7. शैम्पू इत्यादि डिब्बों की देखरेख :
- 8. नहाना जरूरी है :
- 9. छींकने-खाँसने का तरीका :
- 10. गुप्तांग धोने का सही तरीका :
- 11. कपड़े, जूते-चप्पल कैसे धोयें ? :
- 12. कपड़े इत्यादि सुखाने के तरीके :
- 13. डीटोल का महत्त्व :
- 14. पाँव व मुख धोना भी आवश्यक :
- 15. हाथ-पैर कैसे धोयें ? :
- 16. शौचालय-प्रयोग का सही तरीका :
- 17. पाँव पौंछने की फट्यिाँ व बोरियाँ :
- 18. ये सामग्रियाँ यथासम्भव अपनी अलग हों :
- 19. बायोमेडिकल वेस्ट का डिब्बा :
- 20. बारम्बार स्पर्श वाले निर्जीव स्थानों की सफाई :
- 21. बिछाने-ओढ़ने की सामग्रियाँ :
- 22. नाक-सफ़ाई :
- 23. कान कैसे साफ़ रखें :
- 24. अनावश्यक न खुजलायें :
- 25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
पर्सनल हायजीन का महत्त्व 25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
आज अधिकांश व्यक्ति न तो आसपास की स्वच्छता का ध्यान रखते हैं, न ही अपनी निजी साफ़-सफाई का परन्तु इन दोनों का महत्त्व बहुत अधिक है, यहाँ हम बात करते हैं पर्सनल हायजीन की जिसे समझना व पालन करना अपने शारीरिक आरोग्य व ख़ुशहाली के लिये काफ़ी जरुरी है।
नियमित स्नान, हाथ-पैर व कपड़े इत्यादि धोने, मंजन, नाखून-बाल काटने इत्यादि निज शरीर स्वच्छता-सम्बन्धी आदतों को संयुक्त रूप से पर्सनल हायजीन कहा जाता है। यहाँ यह बताया जा रहा है कि पर्सनल हायजीन का ध्यान किन-किन प्रकारों से रखा जा सकता है एवं उनका क्या महत्त्व है :
25 Way To Personal Hygiene Tips In Hindi
1. स्नान :
सोकर उठते ही स्नान की आदत सब की होनी चाहिए, रातभर में शरीर पर एक बाहरी पर्त बन चुकी होती है एवं बिछावन व ओढ़ने के चद्दरों से भी काफ़ी धूल-खेन शरीर मे लग चुकी होती है, और वैसे भी ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-पूजन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य सहित धार्मिक रूपों में भी बड़े महत्त्व का होता ही है।
2. नाखून काटते रहें :
नाख़ून बढ़ने की गति कुछ व्यक्तियों में अधिक व कुछ व्यक्तियों में कम रहती है तथा हाथों की अपेक्षा पैरों के नाख़ून धीरे बढ़ते हैं परन्तु शीघ्र ही नाख़ूनों को काटते रहना चाहिए, उनमें मैल जमा होने लगे अथवा नहीं, बस समय पर उन्हें काटते रहना आवश्यक है, इससे आप कई अदृश्य हानिप्रद सूक्ष्मजीवों से भी बचे रहते हैं एवं नाखूनों से आपके व आपके बच्चों के शारीरिक अंग क्षत-विक्षत होने से बच जाते हैं।
नाख़ून काटते समय सावधानी यह बरतें कि नाख़ूनों को अनावश्यक रूप से अधिक गहराई तक काटकर त्वचा को संवेदनशील न बना दें तथा नाख़ून काटने के बाद नैल-कटर को धोकर रख दें। इससे आप काफी समस्या से बचे रहेंगे.
3. बाल कैसे साफ़-सुथरे रखें :
स्टाइल इत्यादि की आड़ में बिना शेविंग के महीनों तक न रहें, अन्यथा रोगप्रद कारकों व प्रदूषक तत्त्वों सहित खाद्य के कणों का जमाव होगा ही एवं हर बार ठीक से साफ करना सम्भव नहीं रहेगा।
सिर को फ़िल्मी स्टाइल में ढालने के बजाय सादे तरीके से हैयर-कटिंग करायें. सिर के बाल आँखों अथवा कानों में न चुभने लगें। काँख, कान व नाक के बाल दुकान में कटवाये जा सकते हैं।
शेविंग के लिये ट्रिमर का प्रयोग न करायें, ब्लेड द्वारा शेविंग से त्वचा भी कुछ गहराई से साफ़ हो जाती है एवं उसमें साँस आने जैसी अनुभूति होती है वह अलग। स्त्री-पुरुष अपने गुप्तांगों के बालों को घटाने, हटाने के लिये रेज़र अथवा क्रीम इत्यादि का प्रयोग न करें, अन्यथा संक्रमण व अतिसंवेदनशीलता की आशंका होगी.
इन अंगों के बाल काटने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि कंघी वहाँ रखकर ऊपर कैंची से उन्हें काटकर छोटा कर लिया जाये जैसे नाई सिर के बाल काटता है, और वैसे भी गोपनीय अंगों में बाल सदा रहने जरुरी होते हैं जो वहाँ की सुरक्षा के भी लिये आवश्यक होते हैं।
हर बार कैंची-कंघी को ठीक से धोकर रखना अनिवार्य है। गुप्तांगों के बाल अधिक होने से वहाँ रोगाणुओं के पनपने की आशंका तो रहती ही है, साथ ही खिंचाव से कपड़े पहनने व चलने-फिरने में भी समस्या आ सकती है।
पुरुष अपने सीने के बाल भी कंघी-कैंची शैली में काटें। दुकानादि में भी हर बार नयी ब्लेड प्रयोग करनी है, आप चाहें तो शेविंग क्रीम इत्यादि ठोस व तरल पदार्थों को अपने साथ लेकर भी दुकान जा सकते हैं व नाई से कह सकते हैं कि वह आपके लिये इन्हीं का प्रयोग करे तथा शेविंग के दौरान प्रयोग के लिये आप उसे अपना रुमाल दें।
4. बाथरूम की सफ़ाई :
जहाँ तक सम्भव हो अपनी हायजीन के लिये बाल-कटाई इत्यादि कार्य बाथरूम में ही करें तथा सफाई से निकली हर सामग्री (कटे बालों सहित) को एक पैकेट में भरकर कचरे वाली गाड़ी में निर्धारित बायोमेडिकल वेस्ट वाले डिब्बे में डालें।
नाख़ून किसी रद्दी कागज़ पर दो इन्च ऊपर हथेली लाकर काटें एवं नाख़ूनों को एकत्र करके ज़मीन में गड़ा दें अथवा बायोमेडिकल वेस्ट में रख लैवें। बाथरूम की दीवारों को भी सर्फ़-साबुन से धोयें।
शौचालय को स्वयं अथवा कर्मचारी बुलाकर पूर्णतया साफ करायें. सप्ताह में कम से कम एक बार अथवा अधिक भी। विदेशी शैली के शौचालय का फ़्लश ठीक रखें एवं सर्फ़ से भी उसे व उससे जुड़ी हर चीज़ को धोकर फिर साफ पानी से धोयें।
5. साबुन-सफ़ाई :
हर बार साबुन का प्रयोग करने के तुरंत बाद उसे धोकर रखें ताकि आपकी कोशिकाएँ, बाल इत्यादि उसकी सतह पर न बचे रह जायें तथा साबुन यदि नर्म होने लगा हो तो बहते दबाव युक्त पानी से उसे पलट-पलटकर धोयें तथा यदि वह अधिक नर्म पड़ गया हो तो कपड़े धोने अथवा पौंछा लगाने अथवा फर्श साफ करने के पानी में उसे मसल-घोलकर प्रयोग करके समाप्त कर दें।
6. मंजन कैसे करें ? :
हो सके तो सुबह उठकर तुरंत ही नित्यकर्मोंपरान्त स्नान से पहले मंजन कर लैवें. ब्रश के बजाय हाथ से कोई हर्बल दंत मंजन अथवा चुटकीभर नमक-हल्दी के मिश्रण से अँगुली की सहायता से मंजन करें। कुल्ले ठीक से लें तथा दाँतों में फँसे खाद्य-अवशेषों को निकालने के लिये कभी किसी नुकीली चीज़ का प्रयोग न करें।
7. शैम्पू इत्यादि डिब्बों की देखरेख :
शेम्पू के ढक्कन ठीक से बन्द करके ऐसे स्थान पर रखें जहाँ से वह गिर भी जाये तो पानी में न गिर सके। सूखे दंत-मंजन को छींटों सहित नमी से भी विशेष रूप से बचाना है।
8. नहाना जरूरी है :
अर्द्ध-स्थान, कटिस्नान, पूर्णस्नान तब भी आवश्यक जब आपने शेविंग/कटिंग करायी हो अथवा शौचालय से आये हों।
9. छींकने-खाँसने का तरीका :
सदैव या तो रुमाल पर खाँसें-छींकें अथवा अपनी बाँह पर। आप चाहे तो जब भी आपको सर्दी या जुकाम हुआ हो तो अपने चेहरे पर मास्क जरुर पहने जिससे आप वायरस दुसरो को न फैला सके और आपके सम्पर्क वाला व्यक्ति संक्रमित न हो.
10. गुप्तांग धोने का सही तरीका :
गुप्तांगों पर साबुन अधिक लगाने अथवा उन्हें रगड़ने से व अनावश्यक रूप से छूने से बचें. पेनिस की त्वचा को एकाध बार पीछे खींचने की आदत हो तो इस ग़लत आदत को छोड़ें।
11. कपड़े, जूते-चप्पल कैसे धोयें ? :
यथासम्भव दैनिक कपड़ों सहित तौलिये, रुमाल को रोज़ धोयें. कम से कम 10-15 मिनट्स सर्फ़, साबुन-झाग मिलाने के बाद (हो सके तो शौचालय के दौरान) बाल्टी या टब में रखे रहने दें। लगभग एक पखवाड़े में ऐसा जरुर करें कि दैनिक कपड़ों को अन्तिम धोवन के समय पानी में डॅटोल की कुछ बूँदे मिलायें।
बाहर पहनी जाने वाली चप्पल 3-4 दिनों में पलट-पलटकर धोयी जा सकती है अथवा घरेलु चप्पलों को भी नियमित व शौचालय वाली चप्पल को शौचालय-प्रयोग के बाद तुरंत साबुन-पानी से धोयें तथा जूते को पानी में कुछ घण्टे सर्फ़-पानी में छोड़कर ठीक से खँगाल-खँगालकर धोयें एवं अन्तिम धोवन में कुछ अधिक डॅटोल अवष्य मिलायें ताकि कीटाणुओं से दूरी बरती जा सके।
12. कपड़े इत्यादि सुखाने के तरीके :
कपड़ों को रोज़ धूप में सुखायें, अण्डरगार्मेण्ट्स को तेज धूप में सुखाना आवश्यक है क्योंकि उनमें सूक्ष्मजीव सर्वाधिक पनपने की आशंका बनी रहती है। लगभग हर कपड़े को यथासम्भव उलटकर (अंदर का भाग बाहर व बाहर का भाग अंदर करके) रस्सी पर लटकायें ताकि रोगाणुओं को दूर करने में सहायता हो एवं कपड़ों का रंग कम से कम उड़े। धोने के बाद जूतों को खुले स्थान पर उल्टा टाँगें।
13. डीटोल का महत्त्व :
अधिकतम 2-3 दिन में मौजों व 15-20 दिन मे जूतों को डॅटोल भरे पानी से धोना ही चाहिए तथा दैनिक कपड़ों को भी कभी-कभी डिटाल से धोयें ताकि संक्रमण व सामान्य सर्दी-खाँसी-ज़ुकाम सहित मैल से अधिकतम बचाव सम्भव हो।
14. पाँव व मुख धोना भी आवश्यक :
मूत्रोत्सर्ग के बाद स्त्री-पुरुष दोनों को पाँव घुटनों के पास तक धोना चाहिए तथा सड़क यात्रा से आकर अथवा कार्यालय से घर लौटकर हाथ ठीक से धोने के बाद मुख पर पानी उचटाकर मुख भी अवश्य धोयें ताकि प्रदूषक व कीटाणु आपके मुख-नाक इत्यादि में न आ पायें।
15. हाथ-पैर कैसे धोयें ? :
साबुन अथवा हल्दी लगाकर अँगुलियों से अँगुलियाँ फँसाकर रगड़-रगड़कर दोनों ओर (आगे व पीछे व ऊपर व नीचे)।
16. शौचालय-प्रयोग का सही तरीका :
हो सके जो अपने समस्त अधोवस्त्र (नीचे पहने जाने वाले बाहरी व आन्तरिक वस्त्रों को) निकालकर बाथरूम में एक तरफ़ लटका दें तथा अन्त में कमर के ऊपर तक ठीक से धोकर फिर वापस वस्त्र पहनें।
17. पाँव पौंछने की फट्यिाँ व बोरियाँ :
ये जितनी पतली हो सकें उतनी पतली रखें ताकि धोने व सुखाने में सरलता हो तथा रोगाणुओं के जमाव की आशंका कम रहे तथा इन्हें तेज डिटाल में सप्ताह में अनेक बार अनिवार्य रूप से धोना ही है एवं झाड़ू व अन्य पौंछों के जैसे धोकर तेज धूप में सुखाना जरुरी है।
18. ये सामग्रियाँ यथासम्भव अपनी अलग हों :
अपने अंतःवस्त्र, रुमाल व तौलिया इत्यादि। यदि घर में किसी को अथवा स्वयं को कोई संक्रमण अथवा संक्रमण की आशंका हो तब यह अनिवार्य-सा हो जाता है।
19. बायोमेडिकल वेस्ट का डिब्बा :
आदत बनायें कि ब्लेड, बाल व आपकी व्यक्तिगत साफ़-सफ़ाई से जुड़ी सभी सामग्रियाँ उपयोग के बाद आप बायोमेडिकल वेस्ट वाले डिब्बे में रखें ताकि अन्य मनुष्यों व पशुओं सहित पर्यावरण को कोई हानि न पहुँच सके।
20. बारम्बार स्पर्श वाले निर्जीव स्थानों की सफाई :
खिड़की-दरवाजों, अल्मारियों, यंत्रों (मोबाइल सहित कीबोर्ड) को डिटालयुक्त कपड़े अथवा पानी से अख़बार कुछ गीला कर उसमें कुछ डिटाल की बूँदें डालकर अवश्य पौंछें।
21. बिछाने-ओढ़ने की सामग्रियाँ :
गद्दे-रजाई व तकिये के खोल समय-समय पर डिटाल (अन्तिम धोवन में अवश्य) से धोते रहें। इन्हें रोज़ झटकारें व झटकन को घर के अंदर न उड़ायें। गद्दे-रजाई-तकियों को आवश्यकतानुसार अथवा किसी समय बाद पूर्णतया बदल लें क्योंकि उनमें नाक-कान के तरल, पसीने इत्यादि के कारण ढेरों मानव-कोषिकाएँ जमा होती रहने से ये रोगाणुओं की खदान-सा व्यवहार कर सकते हैं।
22. नाक-सफ़ाई :
स्नान के समय अथवा आवष्यकतानुसार अन्य समय पर भी सर्वप्रथम बाथरूम में जायें, फिर एक हाथ से नाक को बाहर से दबाकर एक नासाछिद्र बंद करते हुए तेजी से साँस छोड़ें व नाक को पानी से साफ करें तथा यही प्रक्रिया दूसरे नासाछिद्र पर दोहरायें, आप देखेंगे कि यह कितना सरल है एवं 24 घण्टों से भी कम में कितनी गंदगी नाक में जमा हो सकती है। अँगुलियों के नाख़ून नाक में न लगने दें।
23. कान कैसे साफ़ रखें :
दियासलाई-काड़ी-रूई जैसी सामग्रियाँ उपयोग नहीं करनी हैं, सादे रुमाल का प्रयोग करें, यदि कान बहने की समस्या हो अथवा सुनना कम हो गया हो तो सटीक उपचार हेतु नाक-कान-कान गला रोगविशेषज्ञ से मिलें, अपने आप घरेलु नुस्खों अथवा फ़ार्मासिस्ट की दुकान में न जायें।
24. अनावश्यक न खुजलायें :
कई लोगों को नाख़ूनों से सिर, नाक, गाल व पेट खुजाने की आदत होती है, विशेष रूप से पुरुषों को अपने गुप्तांग खुजाने अथवा छू-छूकर देखने की आदत होती है जिसे तुरंत सदा के लिये भूल जाना बेहतर है। कोई समस्या वास्तव में हो तो त्वचारोगविशेषज्ञ से जाँच करायें।
नाख़ून तो कहीं पर भी बिल्कुल नहीं लगने देना है, अन्यथा नेत्र अथवा मुख में चुभ सकते हैं, अनदेखे घाव बन सकते हैं तथा मृत कोशिकाएँ नाख़ूनों में जमा हो सकती हैं। चींटी ने काटा हो अथवा मच्छर काट गया हो तो बिना नाख़ून प्रयोग किये बस हल्की हथेली से घिसकर खुजलायें, न कि ज़ोर लगाकर अपनी कोशिकाएँ यहाँ-वहाँ फैलायें।
वैसे और भी अनेक सावधानियाँ बरतते हुए पर्सनल हायजीन ठीक रखी जा सकती है, जैसे कि हर्बल साबुन-शैम्पू ही प्रयोग करें, कभी-कभी मुल्तानी मिट्टी अथवा सादी हल्दी में आटा, बेसन मिलाकर भी चेहरे पर लगायें ताकि वह नहाते समय पूरे शरीर में फैल जाये जिससे आपको अलग ही ताज़गी व स्फूर्ति अवश्य ही अनुभव होगी।
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