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गुस्से को शांत करने के 11 उपाय Gusse Ko Control Karne Ka Mantra

June 4, 2021 By Surendra Mahara 2 Comments

गुस्से को शांत करने के 11 उपाय Gusse Ko Control Karne Ka Mantra

Table of Contents

  • गुस्से को शांत करने के 11 उपाय Gusse Ko Control Karne Ka Mantra
    • Gusse Ko Control Karne Ka Mantra
      • 1. धैर्य रखे
      • 3. विफलता का पूर्वविचार करे
      • 5. शीतल जल से मुंह धोयें
      • 6. शारीरिक परिश्रम करे
      • 7. इतिहास को खँगालें
      • 8. अहंकार त्यागें
      • 9. परिणाम और विचार करे
      • 10. मिल बैठकर संवाद करे
      • 11. आगे की सुध ले

Gusse Ko Control Karne Ka Mantra

क्रोध ऐसा आवेश अथवा आवेग होता है जो तात्कालिक रूप से किसी स्थिति का प्रतिकार करने के लिये प्रेरित करता है. क्रोध में प्रायः व्यक्ति के विवेक का नाश हो जाता है, इसीलिये इसे एक दुर्गुण के रूप में गिना जाता है।

मनुष्य के में 6 दुश्मनों में से दूसरा स्थान क्रोध का है.. काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, मात्सर्य। इस आलेख में क्रोध से बचने व इसके नियन्त्रण के उपाय बताये जा रहे हैं ताकि व्यक्ति क्षणिक आवेश में कोई अनिष्ट न कर बैठे.

Gusse Ko Control Karne Ka Mantra

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Control Anger

1. धैर्य रखे

जब भी क्रोध आये तो तुरंत ही ठहर जायें, कुछ क्षण बीतने देने पर क्रोध का आवेश स्वयं मंदा पड़ जायेगा। क्रोध आवेग में आकर कोई निर्णय आकस्मिक रूप से न करें। ठण्डे मन से किये निर्णय हितकारी हो सकते हैं, अन्यथा दूरगामी दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं जिनके बारे में किसी न सोचा तक न हो।

2. गहरी साँसें ले – जब भी क्रोध आये अथवा आने की आशंका हो तो धीमे-धीमे गहरी-गहरी साँसें लेने लगें।

3. विफलता का पूर्वविचार करे

क्रोध करने से क्या हो जायेगा ? सुधार तो सम्भव नहीं, परिस्थितियाँ और अवश्य बिगड़ जायेंगी, यह बात याद रहे तो विफलता के विचार के साथ क्रोध करने का किसे मन करेगा।

4. योग करे – ध्यान, योग व प्राणायाम में रुचि बढ़ायें. इनसे सुस्पष्ट प्रभाव पड़ेगा ही पड़ेगा।

5. शीतल जल से मुंह धोयें

जब भी क्रोध आने को हो अथवा आ चुका हो तो नल आदि के जल में मुखमण्डल को अच्छे से धो लें अथवा बहती धार में पूरे सिर को ले जायें। तन को मिली यह ठण्डक मन को भी शान्त करने में बड़ी सहायक निश्चय ही होगी, चाहें तो सिर धोने के बाद खुली हवा में अथवा पंखे के नीचे जायें तो वायु भी शीतल लगने से मन-मस्तिष्क को सामान्य करने में सहायता होगी ही होगी।

6. शारीरिक परिश्रम करे

क्रोध के कारक से ध्यान बँटाने के लिये सायकल चलाने अथवा रस्सी कूदने जैसी हानिरहित शारीरिक सक्रियता बढ़ा दें। तन थकेगा तो मन को आवेग से दूर करने में सहायता होगी।

7. इतिहास को खँगालें

हम सभी ने सभी सभ्यताओं में देखा ही है कि किस प्रकार क्षणिक भावावेष में अथवा बात-बात पर क्रोध करने से किस-किस प्रकार बड़े-बड़े युद्धों का आरम्भ कर दिया गया, कितना विनाश मचाया गया एवं स्वयं के साथ अपनों व अन्यों को भी हानियाँ हुईं, कौरवों-पाण्डवों के मध्य के कौटुम्बिक संघर्ष को यदि बाहर न ले जाया गया होता तो सुदूर देशो के राजाओं का भी पारस्परिक युद्ध व नाश न हुआ होता।

8. अहंकार त्यागें

” मैं ही सही और तुम ही ग़लत ” जैसे पूर्वाग्रह एवं हठपूर्ण आग्रह तो बनती बातों को भी बिगाड़ सकते हैं; अतः अहं को नष्ट कर सामने वाले को मनाना हर हाल में जारी रखें, क्रोध अथवा आँख़ें दिखाकर अपनी बात मनवा भी ली किन्तु उसके मन में आपके प्रति भय अथवा बैरभाव बैठ गया तो क्या लाभ ? क्रोधरूपी आँधी में भी मृदुता व सौम्यता रूपी घास बने रहते हैं परन्तु अहंकार में तने बाँस टूटकर बह जाते हैं। यदि सामने वाला क्रोध करे तब तो आपका अक्रोध रहना और भी अधिक आवष्यक हो जाता है, अन्यथा आग से आग को बुझाना सम्भव कैसे हो पायेगा !

9. परिणाम और विचार करे

क्रोध में व्यक्ति प्राय: ऐसा कुछ करने की सोचता अथवा कर बैठता है जिसका प्रभाव दूसरों व इसके स्वयं के भी प्रतिकूल अथवा किसी प्रकार से समग्रता में अवांछनीय होगा। अतः यदि परिणाम का विचार प्रारम्भ में ही कर लिया जाये तो गुस्से वाली अवस्था में भी संयम रखा जाना अपेक्षाकृत सरल हो सकेगा।

जैसे कि अपेक्षा पूर्ण न होने पर कोई सामग्री उठाकर पटकने से पूर्व यह विचार करके देखें कि इससे क्या होगा ? अपना व दूसरों का आर्थिक घाटा एवं अपने हाथों अपनी ही मानहानि, अन्त में भी कोई लाभ नहीं होगा, बस हानियों की संख्या बढ़ती चली जायेगी।

हो सकता है कि हानियाँ कई गुनी होती जायें, जैसे कि सामने वाले व्यक्ति ने यदि प्रतिशोध लेने की ठानी तो क्रिया व प्रतिक्रिया की शृंखला बनती चली जायेगी जिससे बैर, मनमुटाव अथवा चिढ़न बनी रहेगी एवं सुधार की सम्भावना घटती जाती है।

10. मिल बैठकर संवाद करे

संवादहीनता मनमुटाव को पैदा करती है एवं बढ़ाती भी है। हो सकता है कि दोनों पक्ष समग्रता में एकमत हों परन्तु किन्हीं पहलुओं में मतभेद हों तो एसएमएस, वायस फ़ोन काल अथवा आमने-सामने मिलकर खुलकर चर्चा की जा सकती है, यदि किसी मुद्दे में असहमति हो तो उस असहमति को अपने सम्बन्ध पर हावी न होने दें।

असहमति खुलकर पूछें व अच्छे से जतायें, किसी चिढ़चिढ़ाहट अथवा खीझ में न आयें, सामने वाला यदि कुपित अथवा रुष्ट हो रहा हो एवं ग़लती उसकी हो तो भी उसे स्वयं आगे बढ़कर मनायें, अकड़ें नहीं, तने नहीं, भृकुटियाँ तानने से सम्बन्धों की नाज़ुक डोर टूट जाया करती है, कुछ छोटी बातों को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।

ताने मारने अथवा विषयों को पकड़कर बैठने से उनका विष फैल सकता है। ‘अब कुछ नहीं हो सकता’ जैसे भाव न पालें, सम्भावनाओं के द्वार कभी बन्द नहीं हो सकते, स्वयं पहल लगातार करते रहें। तर्कों को करने व सुनने के लिये उन्मुक्त मन से तैयार रहें, किसी विषय में चर्चा से डरें नहीं, हर नये-पुराने विषय में नये-पुराने तरीकों से संवाद सदैव जारी रखें।

11. आगे की सुध ले

बीती ताहि बिसार देहि, आगे की सुधि लेहु.. जो बीत गया उसे पकड़े रहने का क्या औचित्य, अब भविष्य को देखें। अतीत के बस स्टैण्ड को पकड़े रहेंगे तो आगे के गंतव्य तक कैसे पहुँचेंगे ? मन में कभी किसी के प्रति कोई द्वेषभाव न रखें, जो होना था सो हो गया, अब आगे का विचार करें। जो कुछ खोना था सो खो गया, अब जो अभी है उसे सँभालकर रखने पर ज़ोर दें।

यह न सोचें कि उसने क्रोध किया तो मुझे भी आ गया, ताली एक हाथ से नहीं बजती, वास्तव में एक हाथ से भी बहुत कुछ सम्भव है, एक हाथ से कुएँ की रस्सी पकड़ी जा सकती है, एक हाथ से लेखनी थामी जा सकती है, एक हाथ से डूबते को निकाला जा सकता है, एक हाथ से जिस प्रकार युद्ध किये जाते हैं उसी प्रकार एक हाथ से शान्ति की पतवार भी सँभाली जा सकती है। उसी एक हाथ से ढाल पकड़ी जा सकती है।

तो दोस्तों यह लेख था गुस्से को शांत करने के 11 उपाय, How to Control Anger tips in Hindi,Gusse Ko Control Karne Ka Mantra. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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Comments

  1. Surendra Mahara says

    June 15, 2021 at 11:23 am

    Thankyou Ruchi JI..

  2. Ruchi singh Chauhan says

    June 9, 2021 at 7:07 pm

    आपका पोस्ट पढ़ने में बहुत दिलचस्प है। यह बहुत जानकारी पूर्ण और सहायक है। आमतौर पर, मैं कभी भी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करती हूं लेकिन आपका लेख इतना आश्वस्त करता है कि मैं खुद को इसके बारे में कहने के लिए नहीं रोक पाई । आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे बनाए रखें।

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