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महान विद्वान आचार्य चाणक्य की जीवनी ! Great Chanakya In Hindi

September 8, 2017 By Surendra Mahara 3 Comments

महान विद्वान चाणक्य (कौटिल्य) की जीवनी – Great Chanakya Biography In Hindi

आपको अगर अपने जीवन को सफल बनाना है और अपने जीवन की छोटी – छोटी परेशानियों को दूर करना है तो आपको विद्वान आचार्य चाणक्य की बातों को अपने जीवन में उतारना शुरू कर देना चाहिए. Aacharya Chankya ने जिस तरह से कूटनीति और राजनीति की सरल व्याख्या की है उससे हर व्यक्ति अपनी Life को आसान बना सकता है. आपको अपने जीवन को शानदार बनाना है तो चाणक्य नीति पढना शुरू कर देना चाहिये.

चाणक्य , कौटिल्य, Chanakya Biography

कौटिल्य

प्रसिद्ध पुस्तको में शुमार चाणक्य नीति, अर्थशात्र, अर्थनीति, कृषि, और समाजनीति आदि ग्रन्थ स्वंय चाणक्य ने लिखी हैं इनको इन ग्रंथो का जनक भी माना जाता हैं. चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन में महामंत्री थे और चाणक्य के चाल से ही नन्द वंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया और भारतवर्ष में चाणक्य को एक समाज का सेवक और विद्वान माना जाता हैं. इनके जन्म और मृत्यु के विषय में अभी साफ-साफ उल्लेख नहीं है फिर भी लोग इनका जन्म ईसापूर्व से 375 को मानते हैं और इनकी मृत्यु ईसापूर्व से 283 को मानते है.

चाणक्य का जन्म पंजाब में हुआ था और मृत्यु पाटलिपुत्र में हुई थी. चाणक्य हिन्दू धर्म को मानते थे व इनके अनेक नाम है जैसे – चाणक्य, कौटिल्य, विष्णु गुप्त आदि. चाणक्य को राजसी ठाट मिलते हुए भी ये एक छोटी सी कुटिया में अपना जीवन – यापन करते थे.

Mahan Chanakya Ki Famous Jeevani

चाणक्य का परिचय :::

चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय उनके मंत्रीमंडल में महामंत्री थे. चाणक्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इनकी शिक्षा महान शिक्षा केंद्र ” तक्षशिला ” में हुई. 14 सालो तक चाणक्य ने अध्ययन किया और 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशात्र, समाजशात्र, और राजनीति विषयो में गहरी शिक्षा प्राप्त की. एक बार की बात है जब मगध वंश के दरबार में इनका अपमान किया गया तब से इन्होंने नन्द वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य के राजगद्दी में बिठाने के बाद इन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और नन्द वंश का नाश कर दिया.

उन्होंने वहां मौर्य वंश को स्थापित कर दिया. उस समय नन्द वंशो ने गरीबो की दशा खराब कर रखी थी तब प्रजा की रक्षा की और अपना कर्तव्य का पालन किया. उन्होंने नन्द वंशो को भारत से बाहर किया और एक राजा चन्द्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की. मौर्य वंश को बनाने में चाणक्य को श्रेय जाता हैं. चाणक्य कूटनीति को अहम मानते थे. इसलिये इन्हे कुटनीति का जनक भी माना जाता है. इस लिये राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने इन्हे महामंत्री का दर्जा दिया.

चाणक्य का जीवन – चरित्र :::

हालाकि चाणक्य के जीवन के विषय में इतिहास में कम जानकारियां हैं. चाणक्य के जन्म और मृत्यु के सम्बन्ध में भारत के कुछ विद्वानों की राय अलग – अलग हैं. कुछ लोग इनका जन्म पंजाब के चणक क्षेत्र को मानते हैं. कुछ विद्वान इनका जन्म सौत भारत को मानते हैं. कुछ लोगो की राय में इनका जन्म केरल (भारत) को मानते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायी इनका जन्म तक्षशिला को मानते हैं.

कुछ विद्वानों की मजबूत राय भी मिली है की इनका जन्म तक्षशिला में रहा होगा. इनके पिता का नाम चणक था क्योंकि इनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण के घर में हुआ था. इतिहास में एक बात सत्य मिलती है इनका जन्म और बचपन काफी गरीबी में बीता. चाणक्य बचपन से एक क्रोधी इन्सान थे व जिद्दी थे और इसी कारण नन्द वंश का विनाश हुआ. चाणक्य शुरू से ही साधारण रहे हैं. कहा जाता है की महामंत्री का पद और राजसी ठाट होते हुए भी इन्होंने मोह माया का फ़ायदा नहीं उठाया. चाणक्य को धन, यश, मोह का लोभ नहीं था.

चाणक्य का जन्म और नाम :::

चाणक्य के विषय में इतिहास में ज्यादा प्रमाण नहीं मिलाता है., कुछ विद्वान इनके नाम के पीछे भी अपनी राय रखते है क्योंकि इनका नाम कौटिल्य भी था. कुछ लोग मानते है कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा. भारत में आज भी चाणक्य को चाणक्य और कौटिल्य आदि नामो से ही जाना जाता है. इस सम्बन्ध में महान विद्वान राधाकांत जी ने अपनी रचना में कहा हैं ”’ अस्तु कौटिल्य इति वा कौटिल्य इति या चनाक्यस्य गोत्र्नाम्ध्यम ”. कुछ लोग ने सीधी राय रखी है चणक का पुत्र होने के कारण इन्हे चाणक्य कहा जाता हैं.

कुछ विद्वान मानते है कि इनके पिता ने इनका नाम बचपन में विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाये. कौटिल्य के संदर्भ से यह माना जाता है की इन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता के लिये चाणक्य ने नन्द वंश का नाश कर दिया था. मौर्य वंश की स्थापना की और चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया.

चाणक्य के द्वारा कुछ लिखी कृतियाँ और रचनायें :::

यहाँ भी विद्वानों ने अपनी-अपनी राय रखी हैं. कौटिल्य ने अपने जीवन – काल में कितनी कृतियाँ और रचनायें लिखी यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया. चाणक्य की मुख्य रचनायें जैसे – अर्थशास्त्र, समाजशात्र और राजनीति ये साफ़-साफ मिलती है. चाणक्य के शिष्य कमंदक ने एक शात्र लिखा ” नीतिसार ” नामक ग्रन्थ की रचना की.

इस ग्रन्थ में यह उल्लेख मिलता है की चाणक्य ने नीतिसार को अपने बुद्दी और दिमाग से नीतिसार को नीतिशास्त्र में बदल दिया था. चाणक्य को धातु – कौटिल्य और राजनीति नामक रचनाओं के साथ जोड़ा गया हैं. कौटिल्य के द्वारा लिखित ग्रन्थ अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्र ग्रन्थ के रूप में भी जाना जाता हैं.

बुद्दिमान चाणक्य (कौटिल्य) की राज्य की अवधारणा :::

चाणक्य की राज्य की नीति में आचार्य चाणक्य ने कहा हैं कि ”’ राजा और प्रजा के मध्य पिता और पुत्र जैसा सम्बन्ध होना चाहिए “”. कौटल्य के राज्य की नीति में यह कहा गया है. राज्य की उत्पत्ति तब हुई जब ” मत्स्य न्याय ” के कानून से तंग आकर लोगो ने मनु को अपना राजा चुना और खेती का 6वा भाग और सोने (आभूषण) का 10वा भाग राजा को देने को कहा. राजा इसके बदले में प्रजा की रक्षा तथा समाज कल्याण का उतरदायित्व संभालता था.

चाणक्य बोलते है :
* राज्य का शासक कुलीन होना चाहिए.
* राजा शारीरिक रूप से ठीक होना चाहिए और शासन को प्रजा के हित के लिये लड़ना चाहिए.
* काम और क्रोध तथा लोभ, मोह, माया से दूर रहना चाहिए.
* राज्य के शासक को निडर राज्य का रक्षक और बलवान होना चाहिए.

चाणक्य कहते है की — ” जिस प्रकार दीमक लगी हुई लकड़ी जल्दी नष्ट हो जाती है और उस प्रकार राज्य के शासक के अशिक्षित होने पर राज्य का कल्याण नहीं कर सकता “.

राज्य के 7 सूत्र ::: चाणक्य ने राज्य को 4 भागो में विभाजित किया है-
1. भूमि
2. जनसंख्या
3. सरकार
4. संप्रभुता

कौटिल्य ने राज्य के 7 तत्वों की तुलना मानव शरीर से की हैं-

1. राजा : राजा और शासक राज्य का प्रथम नागरिक होता हैं और उसको कुलीन, बुद्दिमान, बलवान और युद्ध – कला में आगे होना चाहिए.
2. मंत्री : मंत्री शासक की आँख होते है और ईमानदार, चरित्रवान होना चाहिए.
3. जनपद : जनपद राज्य की जांघ और पैर होते है और जिस पर राज्य का अस्तित्व टिका रहता हैं. इसमे नदियो, पशुधन, तालाबो और वनों (जंगलो) आदि को प्रधान भूमि को उपयुक्त बताया.
4. दुर्ग (किला) : किला राज्य की बाहें होती है और जिसका काम राज्य की रक्षा के लिये होता है. जो युद्ध के समय राज्य को बचाने में मदद करता है. इसमे जल, पहाड़, जंगल और मरुस्थल आदि को शामिल किया हैं.
5. राजकोष : राजकोष राज्य के शासक के मुख के समान होता हैं क्योंकि कोष से राज्य चलता है इसके बिना राज्य की कल्पना नहीं की जाती.
6. सेना : सेना राज्य का सिर हैं. राज्य की रक्षा में बल और सेना का अहम रोल होता है.
7. मित्र : दोस्त और मित्र राज्य के कान होते हैं और युद्ध के समय मित्र और शांति युद्ध – काल के समय ये दोनों सहायता करते है.

Read : Chankya Quotes In Hindi

राज्य के कार्य ::

कौटिल्य ने राज्य को सामाजिक जीवन में श्रेष्ठ माना हैं. चाणक्य के अनुसार राज्य का काम केवल शांति और सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि राज्य के विकास में भी ध्यान देना चाहिए. सुरक्षा सम्बन्धी कार्य, स्वधर्म का पालन, सामाजिक कार्यो के लगातार रहना और जनकल्याण.

कौटल्य ने लिखा है : बल ही सत्ता और अधिकार है. इन साधनों के द्वारा साध्य ही प्रसन्नता है.

चाणक्य की 6 सूत्रीय विदेश नीति :

चाणक्य ने विदेश नीति को ध्यान में रखा हैं जो इस प्रकार है :

1. संधि : राज्य और देश में शांति के लिये दुसरे देश के राजा या शासक के साथ संधि की जाती है जो ज्यादा शक्तिशाली हो. जिसका मतलब शत्रु को कमजोर बनाना हैं.
2. विग्रह : शत्रु के विरुद्ध रणनीति बनाना.
3. यान : युद्ध घोषणा किये बिना युद्ध की तैयारी करना.
4. आसन : तटस्थता की नीति का पालन करना.
5. आत्मरक्षा : किसी दुसरे राजा से मदद मांगना.
6. दौदिभाव : एक राजा से शांति की संधि करके अन्य के साथ युद्ध करने की नीति करना.

चाणक्य के अनुसार गुप्तचर का निर्माण करना ::

कौटिल्य ने गुप्तचर के कार्यो और विस्तार का वर्णन किया है. गुप्तचर विद्यार्थियों, तपस्वी, बिजनेसमैन आदि और भी हो सकते है. गुप्तचरों का कार्य देश – विदेश की गुप्त सुचना को राजा तक देना और गुप्तचरों को धन और मान देकर खुश रखना है.

चाणक्य महान थे और आज भी हमारे देश में उनका स्थान महान व्यक्तियों में गिना जाता है. चाणक्य की ” चाणक्य नीति “ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस जमाने में थी. चाणक्य नीति में बताई गयी बातें आज के ज़माने में पूरी तरह से फिट बैठती है और जो व्यक्ति चाणक्य नीति को अपनाएगा वह अपने जीवन में सफल बनेगा. आज यह महान विद्वान हमारे बीच नहीं है लेकिन इनकी बातें और इनपर आज भी हमें गर्व है.

आचार्य चाणक्य के कुछ ज्ञान की बातें :::

* जिस प्रकार सभी वनों में चन्दन का पेड नहीं होता, ठीक उसी प्रकार सज्जन लोग सभी जगहों पर कम मिलते है.

* जो दोस्त चिकनी-चुपड़ी बाते करते है और पीठ पीछे आपके काम को बिगाड़ देते है तो ऐसे दोस्तों को त्याग देने में ही भलाई है.

* ब्राह्मणों का बल (ताकत) विद्या है, राजाओं का बल उसकी सेना है. वेश्यो का बल उसका धन हैं और शुद्रो का बल दुसरो की सेवा करना है.

* बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उसका विकास उसी प्रकार होता है और माता-पिता का कर्तव्य है की उन्हें ऐसे मार्ग पर लेकर जाये जिससे उनका उत्तम चरित्र का विकास हो, क्योंकि गुणी लोगो से ही परिवार की शोभा बढती हैं.

पढ़े पूरी चाणक्य  नीति : Chankya Neeti In Hindi

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Comments

  1. YOGESH KUMAR says

    June 22, 2018 at 7:08 pm

    Surendra ji apane is article me jyada se jyada Information di hai jo kafi satik bethati hai..
    Nand vansh ka nash aur Morya vansh ke uday me Chanakya ka bahut bada hath hai…

    Mahan Samrat Ashoka ke bare me bhi likhiye.. grandson of Chandragupt

  2. amit saini says

    September 8, 2017 at 4:06 pm

    chankya ek mahan vidwan the. inki kahani padhkar kaphi kuch sekhne ko mila. amit saini rajshthan

  3. Lokesh shah says

    September 8, 2017 at 4:05 pm

    bhut badhiya biography likhi hai prkash ji aapne.. shandar lekhan

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