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खुद की तुलना करने के 12 गंभीर नुकसान

March 14, 2020 By Surendra Mahara 2 Comments

खुद की तुलना करने के 12 गंभीर नुकसान Side Effects Of Comparison In Hindi

Side Effects Of Comparison In Hindi

तुलना ईर्ष्या – हीनभावना रूपी जुड़वा बहन विकृतियों की जननी है। देखें ‘ ईर्ष्या व हीनभावना से कैसे बचें’ आलेख। माता-पिता ही नाप-तौल का भाव बच्चों के मन में भर देते हैं जैसे की अगली बार तुम्हें पड़ौसी से ज़्यादा नम्बर लाने हैं..

वो जीत कैसे गया. बच्चों को संस्कारित कैसे करें ’ नामक आलेख भी जरुर पढ़ें। यहाँ कुछ प्रचलित विषयों का उल्लेख किया जा रहा है जिनमें व्यक्ति तुलना करके अपने, अपनों व दूसरों के जीवन के सुखों का नाश स्वयं करता फिरता है.

Side Effects Of Comparison In Hindi

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Effects Of Comparison

1. सम्पति की तुलना करना :

जान-पहचान वालों अथवा समान सामाजिक या शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले दो अथवा अधिक व्यक्तियों के बीच चल-अचल सम्पत्तियों के गुणा-भाग के रूप में इस प्रकार की घृणित तुलना को आसानी से समझा जा सकता है जहाँ ” मेरे साथ पढ़ा है, आज उसके पास कितना कुछ है और मेरे पास…“, ”उसके और मेरे बैंक-बैलेन्स में इतना अन्तर क्यों ? “ जैसे विचार अथवा वाक्य सोचे-कहे जाते हैं। धन या पैसे में स्वयं अथवा दूसरों को तौलना मूर्खता का ही एक प्रसिद्ध रूप है।

2. परिवार की तुलना करना :

इसका ही परिणाम है कि व्यक्ति ईर्ष्यालु रहता है कि पड़ौसी की सन्तान कितनी आज्ञाकारी है, उसकी पत्नी कितनी गुण सम्पन्न है, तुम्हें तो भिंण्डी पकानी नहीं आती जैसे निरर्थक वाक्यों में स्वयं व अपने अपनों का जीना दुसवार कर देता है। कोई समझने का प्रयास ही नहीं करता कि हर कोई वास्तव में अतुल्य होता है। जिस व्यक्ति को नीचा दिखाया जा रहा है वह वास्तव में कई गुणों में दूसरों से बेहतर है।

3. सामाजिक तुलना करना :

पद, प्रतिष्ठा व लोकप्रियता को आधार बनाकर भी लोग तुलना करते पाये जाते हैं क्योंकि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। उच्च प्रशासनिक पदों पर आसीन् व्यक्तियों को ‘उत्कृष्ट’ व अन्य व्यक्तियों को ‘निकृष्ट’ मानने की नकारात्मक मानसिकता त्यागें।

उन पदों पर आसीन् व्यक्तियों के भ्रष्टाचारी होने का विवरण अथवा अधीनस्थों या अधिकारियों के असहयोगी होने की स्थिति या Funds की कमी और सरकार का हस्तक्षेप इत्यादि जनित लाचारियों के रूप में विडम्बनाओं को पास से देखेंगे तो आपको उनकी स्थितियों से घृणा हो जायेगी एवं आप समझ जायेंगे कि उनसे बेहतर तो आप हैं।

4. दिखावे करने की तुलना :

आसपास के लोग तुलना प्रेरक हों अथवा स्वयं के मन में तुलना का गुब्बार बनते रहता हो तो व्यक्ति सुखी-संतुष्ट होकर भी दुःखी अनुभव कर सकता है। नए ट्रेण्ड, नया माडल इत्यादि जैसी नाशक चाहें जगाने में कम्पनियों व संगी-साथियों की बड़ी भूमिका रहती है जब व्यक्ति जरूरी सामान की चाह में उस इच्छा मात्र को अपनी जरूरत समझ बैठने के भ्रम में उसे ख़रीदने पर तुल जाता है, इस प्रकार अपने संतोष का नाश स्वयं कर डालता है।

5. नागरिकता सम्बन्धी तुलना :

टीवी पर दूर से देखने पर दूर या आस-पड़ौस के देश या राज्य के नागरिक बेहतर स्थिति में लग सकते हैं परन्तु वास्तव में सबकी अपनी-अपनी समस्याएँ होती हैं जिन्हें यहाँ बैठे-बैठे समझ पाना असम्भव जैसा है, अतः उजले दिख रहे पक्ष के आधार पर घोषणा नहीं कर देनी चाहिए, न ही लोक लुभावन चकाचैंध में यथार्थ परिस्थितियों को अनदेखा करना चाहिए।

बाहर से तथाकथित रूप से सर्वाधिक शक्तिशाली व समृद्ध कहलाने वाले अमेरिका की आन्तरिक स्थितियाँ ऐसी हैं कि बेरोज़गारी तो कभी बढ़ती आपराधिकता के कारण लोग पलायन कर रहे हैं तो कहीं कर्जे में डूबे-डूबे आभासी विकास का गान कर रहे हैं।

6. उपभोगवादी तुलना :

लोग व्यर्थ ही ऐसा सोचकर चलते हैं एवं इसी आधारहीन सोच में पूरा जीवन गुज़ार देते हैं कि जितनी अधिक सेवाओं या उत्पादों का उपयोग वह स्थिति उतनी अच्छी व इससे विपरीत स्थिति वाला व्यक्ति ख़राब अथवा चिंतास्पद।

इस परम सत्य को आत्मसात् कर लें कि जितनी भौतिकता का आप उपयोग किये जा रहें हैं वास्तव में आप उनपर आश्रित हो रहे हैं। बिना वातानुकूलित के एवं बिना Coolar के क्या पहले के लोगों का जीवन ज़्यादा अच्छा हुआ करता था कि आज आप मई के मौसम में लू युक्त सड़क पर उतरने से भी कतराते हैं यह स्थिति अच्छी है ?

7. शहर और गाँव की तुलना :

गाँवों में रहने को अब भी कई लोग ‘पिछड़ेपन की निशानी’ समझते हैं तथा शहरों के जीवन को अच्छा माने चलते हैं। ‘आधुनिकता की घुड़दौड़ से कैसे बचें’ नामक आलेख जरुर पढ़ें। सबको समझना होगा कि गाँव व शहर दोनों में रहने के कुछ लाभ व कुछ हानियाँ होती हैं। वैसे देखा जाये तो गाँव में रहने के लाभ शहर में रहने के लाभों से अधिक हैं तथा शहर में रहने की हानियाँ गाँव में रहने की हानियों से अधिक हैं।

मात्र सुविधा, सामाजिक मान्यता व बहुमत के आधार पर अपना दृष्टिकोण न बना ले। ज़रा पुराने ज़माने की उन सार्थक सीखों की सोचें जब बड़े-बुज़ुर्ग शहरों की जीवनशैली से बचने की सलाह देते थे। शहरों का जीवन यान्त्रिक माना जाता था (अब भी माना जाता है). न तो गाँव को, न ही ग्रामीण जीवनशैली को कमतर समझें।

विभिन्न सांसारिक उपलब्धियों व मन-गढ़न्त आर्थिक मापदण्डों सहित सुख-सुविधाओं को विकास की कसौटियाँ मानकर चले आ रहे देष स्वयं ही अब उन मानकों पर Question लगा रहे हैं; सबके समझ आने लगा है कि सच्ची ख़ुशी बाहरी सुख-सुविधाओं अथवा पैसा-प्रतिष्ठा में नहीं होती।

8. लिंग के आधार पर तुलना :

रही-सही कसर इन्टरनेट, स्मार्टफ़ोन, अधकचरी जानकारियों से लदी पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों सहित पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित तथाकथित एक्सपर्ट ने पूरी कर दी है। स्त्री-पुरुष के गुप्तांगों के आकारों को कम कहना, बढ़ाने का काला कारोबार इत्यादि इसीलिये फल-फूल रहा है क्योंकि अज्ञानियों व अल्पज्ञों की भरमार है. कोई भी वास्तविकता बताने व पूछने की पहल नहीं करता.

अधिकांश व्यक्ति सामान्य होने के बावजूद मीडिया व संगी-साथियों के तुलनात्मक बयानों में आकर स्वयं को असामान्य समझ रहे हैं एवं उन तथाकथित ‘समस्याओं’ के समाधान ढूँढ रहे हैं जो उन्हें वास्तव में हैं ही नहीं।

तुलना के प्रकार तो बहुत सारे हैं जिनमें अत्यधिक घातक तो स्वयं से तुलना है जिसमें उदाहरण के लिये व्यक्ति अपने अतीत व वर्तमान की भौतिक सुविधाओं को तौलने बैठ जाता है एवं सोचता है कि मेरी सम्पत्ति बस इतनी बढ़ी।

अब स्वयं निष्कर्ष निकाल ले कि तुलना करते समय व्यक्ति पूर्वाग्रही हो जाता है, किसी लक्षण में ‘कमतर’ लगने वाली स्थिति के बेहतर लक्षणों की अनदेखी कर देता है एवं गिने-चुने लक्षणों को कसौटी मान बस आँख बन्द कर तुला लेकर चल पड़ता है।

कभी किसी का कोई पलड़ा हल्का तो कभी किसी का कोई पलड़ा भारी, बस इसी नाप तौल में जीवन बिता डालता है एवं होड़ में सुखों को झौंक देता है।भगवान ने हमें जो जितना दिया है उसके प्रति उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। संसार के लाखों-करोड़ों व्यक्तियों के पास तो यह भी नहीं होगा। अपने का कम आँककर भगवान की इस कृपा का अपमान न करें।

तो दोस्तों यह लेख था खुद की तुलना करने के 12 गंभीर नुकसान – Side Effects Of Comparison In Hindi, Khud Ki Tulna Karne Ke Nuksan. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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Comments

  1. Meer says

    March 16, 2020 at 9:44 pm

    Thank you for the information, me apki is post se bilkul sahmat hun. Kyunki dusron se tulana karne wala insan sara time dusron ke bare me sochane me hi gawa deta hai. Agar wo chahe to apne isi time ko khud ko behtar banane me bhi laga sakta h.

  2. Pankaj says

    March 15, 2020 at 8:29 pm

    Tulna krne se hume khud hi nuksan hota h. isse hame door hi rhna chahiye

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