स्वामी विवेकानंद के जीवन की 3 प्रेरक बाते ! 3 Inspirational Words Of Swami Vivekananda’s life In Hindi
Vivekanand Life Succes Tips In Hindi
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के माध्यम से मानवता के कई ऐसे बेहतरीन उदाहरण पेश किये, जिन्हें अपनाकर सामान्य व्यक्ति भी खुद के साथ- साथ समाज और देश को आगे ले जा सकता है.
Vivekanand Life Succes Tips In Hindi
सन 1898 में कोलकाता में प्लेग फ़ैल गया. विवेकानंद उसी समय हिमालय की यात्रा कर लौटे थे. उनका शरीर थोडा कमजोर हो गया था. अपने शरीर की परवाह न करते हुए भी उन्होंने खुद को रोगियों की सेवा में लगा दिया. इस कार्य के लिए धन का अभाव न हो, इसलिए उन्होंने शिष्यों को आदेश दिया की नए बन रहे मठ की जमीन बैच दे.
हमें हमेशा पेड़ के नीचे सोने और भिक्षा मांगकर पेट भरने के लिए तैयार रहना चाहिए. विवेकानंद स्वयं एक निर्धन बस्ती में जाकर रहने लगे. उन्होंने छात्रो की टोलियाँ बना ली और घर-घर जाने लगे. वे स्वयं सफाई करते थे जिससे दूसरे लोगो को उनसे प्रेरणा मिलती थी. इसी तरह विवेकानंद जी ने कई बार ऐसे example पेश किये जिसे कोई भी आम इंसान अपना सकता है.
- हमेशा सीखने की सीख :
एक बार एक नवयुवक ने विवेकानंद से गीता समझाने को कहा. उन्होंने उससे पुछा- क्या आपने कभी फुटबॉल खेला है ? जाइये घंटे भर खेलकूद लीजिये. स्वामी विवेकानंद मानसिक के साथ – साथ शारारिक विकास भी जरुरी मानते थे. विवेकानंद जब युवा थे तब उनका शरीर काफी विशाल था और उनकी मांसपेशियां भरी-पूरी थी. कुश्ती, बोक्सिंग, दौड़ और तैराकी में वे काफी दक्ष थे. वे संगीत के भी बहुत बड़े प्रेमी थे. तबला बजाने में वे उस्ताद थे.
स्वामी विवेकानंद जी का कहना था – किसी भी कला या चीज को नकारने के बजाय उसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए. कुछ नया सीखने की चाह जीवन भर बनी रहनी चाहिए.सीखने से न केवल हमारे पूर्वाग्रह टूटते है बल्कि वह आगे के जीवन में भी फायदेमंद साबित होता है.
वे हमेशा कहा करते थे की भारत का कल्याण शक्ति की साधना में है. जन-जन में जो साहस और विवेक छुपा है, हमें उसे बाहर लाना होगा. शक्ति और पौरुष के समन्वय से ही भारत में नई मानवता का निर्माण हो सकेगा.
- जिज्ञासु प्रवृति बहुत जरुरी है :
अक्सर हम लोग दोनों पक्षों को जाने बिना ही अपनी एक धारणा बना लेते है. किसी साहित्य , फिल्म, किसी प्रथा या किसी व्यक्ति के बारे में जाने बिना ही उसके सही और गलत होने का आकलन कर लेते है. विवेकानंद जब युवा थे तो उस समय हिन्दू धर्म को श्रेष्ठ मानने का चलन था और दूसरे धर्मो की निंदा की जाती थी. विवेकानंद जी जिज्ञासु प्रवृति के थे. उन्होंने निंदको के सुर में सुर मिलाने के बजाय खुद ही प्रमाण खोजने की कोशिश की.
उन्होंने अंग्रेज दार्शनिक हर्बर्ट स्पेंसर और जॉन स्टुअर्ट की फिलासफी का गहन अध्ययन किया. इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला की यूरोपीय सभ्यता निरंतर खोज और अनुसंधान में लगी रहती है, जो किसी भी कथन को प्रमाण न मानकर प्रत्येक विषय का विश्लेषण स्वयं करना चाहती है. वह सत्य की खोज में सिर्फ विवेक और बुद्धि का ही सहारा लेती है. इसके अलावा उन्होंने संस्कृत के प्रमुख ग्रंथो और इस्लाम का भी बारीकी से अध्ययन किया.
भारत और विश्व की समस्याओ पर विचार किया. इसके आधार पर उन्होंने व्यवहारिक सिद्धांत और समाधान निकाले. वे कहते थे की यदि हमें अपने देश और धर्म को विकसित करना है तो निंदा करने के बजाय जिज्ञासु प्रवृति का होना बहुत जरुरी है.
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- आगे बढ़ने के लिए एकाग्रता जरुरी है :
कभी-कभी आम इन्सान को लगता है की क्या आध्यातिमक आनंद पाने के लिए संन्यास जरुरी है ? विवेकानंद जी स्वयं संन्यासी थे, लेकिन गृहस्थो के प्रति उनमे अत्यधिक प्रेम था. उनका विचार था की एक गृहस्थ भी उच्चकोटि के विचार और एक संन्यासी भी निम्न कोटि के विचार रख सकता है.
स्वामी विवेकानंद जी कहते थे – मैं संन्यासी और गृहस्थ में कोई भेद नहीं करता हूँ. जिनमे भी मुझे ह्रदय की विशालता और चरित्र की पवित्रता के दर्शन होते है. मेरा मस्तक उसी के सामने झुक जाता है.
रोज की दिनचर्या से आप यदि पांच या एक मिनट भी समय निकालकर चित्त एकाग्र कर सके, तो वही पर्याप्त है. बाकि समय विद्या अध्ययन और सामान्य हित के कार्यो में लगाया जा सकता है.
विवेकानंद का जीवन हमारे लिए एक ऐसी प्रेरणा है जो हमारे जीवन के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है. हमें विवेकानंद जी द्वारा दिए गये इन बातो को अपने जीवन में जरुर उतारना चाहिए. आज विवेकानंद को पूरे विश्व में youth का आदर्श माना जाता है. इसका प्रमुख कारण यही है की विवेकानंद जी ने युवाओ के विकास के लिए कई प्रयास किये और उन्हें हमेशा आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया.
All The Best !
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Rahul Sharma says
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lifequoteses says
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Naman says
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