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अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी की जयंती पर विस्तृत निबंध

October 1, 2017 By Prakash Singh 2 Comments

अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी की जयंती पर निबंध – Mahatma Gandhi Jayanti Nibandh In Hindi

मोहनदास करमचंद्र गाँधी (महात्मा गाँधी) जिसे पूरा देश राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारता है. महात्मा गाँधी अहिंसा के पुजारी थे. अहिंसा एक उनका मुख्य अस्त्र था, गाँधी जी के 3 हथियार थे – सत्य, प्रेम और अहिंसा.

गाँधी जी के जीवन से देश और विदेश के लोगो को शिक्षा मिलती हैं. भारत को आजादी की जंजीरों से बाहर निकालने में गाँधी जी का योगदान सारा विश्व जानता हैं. गाँधी जी ने अंग्रेजो के खिलाफ हिंसा न करते हुए अहिंसा का मार्ग अपनाया था, इन्होंने पुरे देश को एकजुट करके भारत की आजादी में हिस्सा लेने की एक प्रेरणा दी थी.

महात्मा गाँधी, Mahatma Gandhi Jayanti

Mahatma Gandhi

पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी
उर्फ नाम – राष्ट्रपिता और बापू
पिता का नाम – करम चन्द्र गाँधी
माता का नाम – पुतली बाई
शादी – कस्तूरबा गाँधी
बच्चें – हरिलाल, मणिलाल रामदास और देवदास
जन्म- 2 अक्टूबर 1869, काठियावाड़, पोरबन्दर, गुजरात
मृत्यु – 30 जनवरी 1948 दिल्ली (मर्डर)
अध्यन – वकालत इंग्लैंड (ब्रिटेन)
कार्य – स्वतंत्रता सेनानी
आन्दोलन – साउथ अफ्रीका में आंदोलन, असहयोग आंदोलन और नमक आंदोलन
उपाधि – राष्ट्रपिता और बापू
फेमस शब्द – अहिंसा परमो धर्म
सिद्धांत – सत्य, प्रेम और अहिंसा

आज पूरा देश गाँधी जी के जन्म दिवस पर स्वच्छता ही सेवा है कार्यक्रम को मना रहा हैं. वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी गाँधी जी मार्ग पर चलते हुए देश को स्वच्छ बनाने का अच्छा कार्य कर रहे हैं.

देश की गुलामी की गन्दगी को साफ करना उनका एक कर्तव्य था. जिसमे देश के सभी लोगो का योगदान महत्वपूर्ण था. हमारा भी एक कर्तव्य बनता हैं कि अपने आस-पड़ोस की गन्दगी और अपने समाज की गन्दगी को साफ करें और एक स्वच्छ भारत बनाये. इसलिये मोदी जी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत 2 October गाँधी जी जन्म दिवस के दिन रखी हैं.

Mahatma Gandhi Life History In Hindi

गाँधी जी का जीवन :

महात्मा गाँधी का जन्म 2 October सन 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. देश ही नहीं पूरा विश्व Mahatma Gandhi को जानता हैं. 2 अक्टूबर यानि कि इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं.

भारत में इसे गाँधी जयंती और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं. भारत की आजादी में गाँधी जी ने अपने 3 हथियारों का सहारा लिया था- सत्य, प्रेम और अहिंसा.

आज हम सभी सोचते है कि गाँधी जी ने अहिंसा से भारत को अंग्रेजो से कैसे आजादी दिलाई होगी लेकिन उस समय गाँधी जी ने देश के हर आदमी के अन्दर एक जादू जैसा मन्त्र डाल दिया था जिसमे ये लोग जेल जाने को भी तैयार थे.

गाँधी जी का भारत की आजादी में योगदान :

गाँधी जी एक बहुत ही सीधे साधे व्यक्ति थे. गाँधी जी ने इंग्लैंड से वकालत की शिक्षा पूरी की. गाँधी जी की माँ ने एक बार गाँधी जी को मांस और शराब से दूर रहने की शिक्षा दी थी और यही से एक अलग विचारों की रूप रेखा तैयार हो गयी थीं. वकालत करने के बाद गाँधी जी भारत वापस आ गये व उसके बाद गाँधी साउथ अफ्रीका में आजीविका के लिये चले गये थे.

गाँधी का दक्षिण अफ्रीका दौरा :

सन 1893 से 1914 तक का यही समय था जब गाँधी जी को एक साधारण इंसान से एक स्वतंत्रता सेनानी बनने की प्रेरणा मिली थी. उस समय साउथ अफ्रीका में रंग-भेद का माहौल चरम सीमा पर था.

गाँधी जी भी वहां गये थे और उनको इसका शिकार बनना पड़ा था. एक बार गाँधी जी साउथ अफ्रीका में रेल का सफर कर रहे थें, गाँधी जी का First Class का टिकट होते हुए भी उनको थर्ड क्लास में जाने को कहा गया था. वहां के लोग यहाँ तक भी नहीं रुके. उन्होंने गाँधी जी को ट्रेन से भी बाहर फेंक दिया था.

इन सभी गतिविधियों के कारण गाँधी जी के मन में कहीं ना कहीं अपने देश – प्रेम की भावना का विचार तेजी पर था. उन्हें महसूस होने लगा था कि देश के लोग किस तरह से अधीन होकर अपने आप को हर दिन अपमानित देख रहे हैं और यही से गाँधी जी साउथ अफ्रीका से भारत वापस आ गए और भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया. अगर उस समय गाँधी जी ने योगदान नहीं दिया होता तो आज हम गुलामी की जिंदगी काट रहे होते.

भारत लौटने के बाद गाँधी जी ने सबसे पहले देश के किसान भाइयों को एकता की डोर में बाँध कर लुटेरे जमींदार और साहुकारो के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिये प्रेरित किया और ये जमींदार भी अंग्रेजो के आदेश में रहते थे. इस तरह लोगो को जिंदगी देखकर गाँधी जी ने सन 1918 में गुजरात के चम्पारन और खेड़ा गावं में लोगो को इकठ्ठा किया.

गाँधी ने उन लोगो को सही दिशा में जाने और अपने देश की मर्यादा का पालन करने को कहा था. गाँधी जी ने कहा था की यह देश पहले आपका हैं व बाहर के लोगो का इस देश में कोई हक़ नहीं हैं.

इस रैली से लोगो में जागरूकता आने लगी और यही से देशव्यापी एकता की शुरुआत होने लगी थीं और इसी बीच लोगो ने गाँधी जी एक नया नाम दे दिया था बापू और बाद में लोग इसी नाम से जानने लगे थे.

Mahatma Gandhi Essay In Hindi

जलियांवाला बाग हत्याकांड :

पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 के समय जलियांवाला बाग के अन्दर एक महासभा हो रही थीं. वह बैसाखी का समय था. जलियांवाला बाग की जो बनावट हैं वह चारो ओर से बंद है और सिर्फ एक तरफ से मेन गेट हैं. इसी का फायदा अंग्रेजो ने उठाया था, अंग्रेजो ने यह सोचा था कि अगर कुछ भगदड़ हुई तो लोग बाहर नहीं निकल पायंगे.

बाग के मेन गेट पर भी सिपाही मौजूद थें तो पूरा जलियांवाला बाग महासभा के लिये तैयार था और तभी अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने बिना किसी ऐलान के अपने सिपाहियों से बाग में बैठे हजारो लोगो के ऊपर गोलियां चलाने को कहा और देखते ही देखते पूरा मैदान लाशों से भर गया था.

जब गोलियां चली तो कुछ तो दीवारों की सहायता से घायल अवस्था में अपनी जान बचा के भाग खड़े हुए और कुछ भगदड़ में दब गये और कुछ लोग बाग में मौजूद कुँए में कूद गये.

आज भी विश्व में ऐसी घटना कभी नहीं हुई और यह घटना इतिहास में एक निंदनीय घटना मानी जाती हैं. उस आम सभा को जनरल डायर ने शोक सभा में बदल दिया था जिसमे हजारो निर्दोष लोग मारे गये थे. इस घटना ने महात्मा गाँधी जो बहुत आहत किया.

देशव्यापी असहयोग आन्दोलन :

इस घटना के बाद गाँधी जी ने देश में एक देशव्यापी स्तर पर असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिया. 1 अगस्त 1920 को इसकी शुरुआत हुई थीं. इस घटना के बाद देश की जनता की रगो में खून का स्तर बढ़ गया और जनता काफी आक्रोश हो गयी थी. इस आन्दोलन ने सीधे शासन के विरुद्ध आवाज उठाई थीं. इसके बाद कई आंदोलनों की शुरुआत हुई.

सविनय अवज्ञा आन्दोलन और गाँधी जी ने एक नारा भी दिया था ”’ स्वदेशी अपनाओ. उसके बाद दांडी यात्रा की शुरुआत हुई जिसमे गाँधी जी ने नमक कानून को तोड़ा था और अपना असहयोग अंग्रेजो के खिलाफ प्रकट कर दिया था. पूरा देश गाँधी जी के साथ आ खड़ा हुआ था. इसी बीच गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था. इसके बाद गरम और नरम दल का निर्माण हुआ था.

भारत छोड़ो आन्दोलन :

दुसरे विश्वयुद्ध के बाद भारत में एक आन्दोलन ने जन्म लिया – वह था भारत छोड़ो आंदोलन. 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब देश में गरम और नरम दल के लोग आंदोलन कर रहे थे.

इस बीच सुभाष चन्द्र बोस ने भी एक अपनी अलग फौज तैनात कर दी. इसका नाम रखा ” आजाद हिन्द फौज ” इसके बाद श्री बोस ने एक नारा भी दिया था ”’ दिल्ली चलो ”’ इस तरह से देश में एक अलग माहौल पैदा हो गया.

एक तरफ गाँधी दूसरी तरफ गरम और नरम दल के लोग और तीसरी तरफ नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की सेना थी. इसी बीच गाँधी जी को फिर गिरफ्तार किया गया था और देश में उस आन्दोलन की आग तेजी से फैलनी लगी थीं.

आजादी का दिवस :

भारत के इतिहास में सन 1942 से 1947 तक काफी बदलाव देखने को मिले थें और धीरे-धीरे अंग्रेज लोग डरने लगे थे. इसी समय जहाँ देश आजाद होने की तरफ था, वहीँ दूसरी तरफ देश के दो धर्मों हिन्दू और मुस्लिम के बीच आपस में तनाव पैदा होने लगा था.

तब अंग्रेज जाते-जाते भारत को 2 हिस्सों में बाँट गये थे. वायसराय लार्ड माउंट-बेटन ने संधि के कई रास्ते दिखाई थे. इस संधि में देश को दो हिस्सों में बाटनें पर विचार किया गया था.

हिन्दुओं का भारत और मुस्लिम लोगो के लिये पाकिस्तान देश चुना गया था. उस समय गाँधी जी का पूरा ध्यान देश की आजादी में था और समय आ गया 14 अगस्त 1947 की रात को पाकिस्तान देश का जन्म हुआ था और उसके अगले दिन यानि कि 15 अगस्त को भारत देश बना था.

इस प्रकार यह दोनों दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गये थे तब से पाकिस्तान अपना आजादी का पर्व 14 अगस्त और भारत अपना आजादी का पर्व 15 अगस्त को मनाता हैं और इस प्रकार एक देश को दो टुकड़े हो गये.

गाँधी जी की मृत्यु और हत्याकांड :

30 जनवरी 1948 भारत के आजादी के कुछ महीनों के अन्दर ही गाँधी जी एक प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे. तभी एक मराठी परिवार के आदमी नाथूराम गौडसे ने पहले गाँधी जी को प्रणाम किया और उसी पल अपनी रिवाल्वर से गाँधी को गोली से भून दिया और खुद को आत्म – समर्पण कर दिया. उसने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया था.

इस हत्याकांड के पीछे लोगो ने कई विचार रखें हैं. कुछ लोग तो भारत के विभाजन में पाकिस्तान का जन्म और दूसरा हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई कई ऐसे राज आज भी हमारे बीच मौजूद हैं.

इसके अलावा महात्मा गाँधी ने देश में दलितों की स्थिति सुधारने के लिये देश में आरक्षण शुरू कर दिया था. उस समय देश में हरिजन आंदोलन की जरूरत थीं क्योंकि दलितों की हालत बहुत खराब थीं.

इस आरक्षण के लिये गाँधी को एक मुजरिम के तौर पर देखा जाने लगा था. गाँधी जी ने देश को अंग्रेजो से मुक्त कराया था और अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिये शहीद हो गये थे. तब से महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता के नाम से जाने लगा था.

लोकतंत्र के देशों में राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक के रूप में माने जाते हैं, परन्तु इन्हें राष्ट्रपति से भी बढ़कर सम्मान दिया गया और भारत के डाक टिकटों और भारतीय मुद्रा में ओर अन्य चीजों में महात्मा गाँधी की फोटो छापीं होती हैं.

इसलिये गाँधी जी अहिंसा के पुजारी के रूप में माने जाते हैं. गाँधी जी ने देश को बिना हथियार से लड़कर आजादी दिलाई और आज के समय में परमाणु शक्ति होते हुए भारत अपने पडोसी देशों को सबक नहीं सिखा नहीं पा रहा हैं.

आज हमारे देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं व हर दिन किसी ना किसी के शहीद होने की खबर समाचारों और अन्य मिडिया से पता चलती है. आज भी हमें कुछ ऐसे नेताओं की जरुरत हैं जो देश के दुश्मनों का सही समय पर सफाया कर सकें और देश की गन्दगी को साफ कर सकें और स्वच्छ भारत बन सकें.

तो दोस्तों आप और हम सब मिलकर गाँधी जयंती के साथ-साथ स्वच्छता की सेवा हैं, यह कार्यक्रम को भी बड़े धूम-धाम से मनाएं. गाँधी जयंती हमारे देश का एक राष्ट्रीय त्योहार हैं और इसके साथ स्वच्छ भारत के अभियान को भी बड़े आदर और स्वच्छ मन से अपनाये.

अगर साफ – सफाई होगी तो हम स्वस्थ रहंगे और देश की गंदगी साफ होगी. इससे हमारा देश स्वच्छ होगा और विकासशील देश से विकसित देश बनने में हमें ज्यादा समय नहीं लगेगा और हम भी अमेरिका, रूस, चीन और जापान आदि इन देशों के क्रम में आ सकते हैं.

” मेहनत करेंगे तो उसका फल और परिणाम मीठा मिलेगा ”
” बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता जो समय बीत गया तो बीत गया और हमें नई सुबह और नये दिन के बारें में सोचना चाहिए कि आने वाला समय अच्छा हो और खुशियां लेकर आये सब स्वस्थ रहे और मेरा भारत देश स्वस्थ रहें .

— जय भारत जय हिन्द

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Comments

  1. Mark - Laguna Beach Weather says

    July 14, 2019 at 10:39 am

    Such awesome and informative content! Thank you for making the effort! ~Sat Nam

  2. विजय पाल says

    October 1, 2018 at 10:19 am

    Nyc bhai maan gaye aapko aap bhi kisi se kam nahi
    Vadiya articl

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