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महान ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर की जीवन कहानी Varahamihira Biography history in hindi

May 12, 2016 By Surendra Mahara 6 Comments

महान ज्योतिष वराहमिहिर की जीवनी और परिचय Varahamihira Biography history in hindi

Varahamihira Biography history in hindi

Table of Contents

      • Varahamihira Biography history in hindi
  • Varahamihira Biography history in hindi
      • वराहमिहिर की प्रमुख रचनाएँ :
      • * पंच सिद्धान्तिका
      • * बृहतसंहिता
      • * बृहज्जाक

सम्राट विक्रमादित्य ने एक बार अपने राज ज्योतिषी से राजकुमार के भविष्य के बारे में जानना चाहा. राज ज्योतिष ने दुखी स्वर में भविष्यवाणी की कि अपनी उम्र के 18वे वर्ष में पहुँचने पर राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी.

राजा को यह बात अच्छी नहीं लगी. उन्होंने आक्रोश में राज ज्योतिषी को कुछ कटुवचन भी कह डाले. लेकिन हुआ वही, ज्योतिषी के बताये गये दिन को एक जंगली सूअर ने राजकुमार को मार दिया.

राजा और रानी यह समाचार सुनकर शोक में डूब गये. उन्हें राज ज्योतिषी के साथ किये अपने व्यवहार पर बहुत पश्चाताप हुआ. राजा ने ज्योतिषी को अपने दरबार में बुलवाया और कहा- राज ज्योतिषी मैं हारा आप जीते. इस घटना से राज ज्योतिषी भी बहुत दुखी थे.

Varahamihira Biography history in hindi

Varahamihira
ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर

पीड़ा भरे शब्दों में उन्होंने कहा- महाराज, मैं नहीं जीता. यह तो ज्योतिष और खगोलविज्ञान की जीत है. इतना सुनकर राजा बोले- ज्योतिषी जी, इस घटना से मुझे विश्वास हो गया कि आप का विज्ञान बिल्कुल सच है. इस विषय में आपकी कुशलता के लिए मैं आप को मगध राज्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘ वराह का चिन्ह ‘ प्रदान करता हूँ. उसी समय से ज्योतिषी मिहिर को लोग वराहमिहिर के नाम से पुकारने लगे.

वराहमिहिर के बचपन का नाम मिहिर था. वराहमिहिर का जन्म कपिथा गाँव उज्जैन में सन 505 ई. में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्हें ज्योतिष की शिक्षा अपने पिता से मिली.

एक बार महान खगोल विज्ञानी और गणितज्ञ आर्यभट्ट पटना (कुसुमपुर) में कार्य कर रहे थे. उनकी ख्याति सुनकर मिहिर भी उनसे मिलने पहुंचे. वह आर्यभट्ट से इतने प्रभावित हुए कि ज्योतिष और खगोल ज्ञान को ही उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया.

मिहिर अपनी शिक्षा पूरी करके उज्जैन आ गये. यह विद्या और संस्कृत का केंद्र था. उनकी विद्यता से प्रभावित होकर गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने मिहिर को अपने नौ रत्नों में शामिल कर लिया और उन्हें ‘राज ज्योतिषी’ घोषित कर दिया.

वराहमिहिर वेदों के पूर्ण जानकार थे. हर चीज को आँख बंद करके स्वीकार नहीं करते थे. उनका दृष्टिकोण पूरी तरह से वैज्ञानिक था. वराहमिहिर ने पर्यावरण विज्ञान (इकोलोजी), जल विज्ञान (हाईड्रालाजी) और भू – विज्ञान (जिओलाज़ी) के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य उजागर कर आगे के लोगो को इस विषय में चिंतन की एक दिशा दी.

वराहमिहिर द्वारा की गयी प्रमुख टिप्पणियाँ-

* कोई न कोई ऐसी शक्ति जरुर है जो चीजो को जमीन से चिपकाये रखती है. (बाद में इसी कथन के आधार पर गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की गयी)

* पौधे और दीपक इस बात की ओर इंगित करते है की जमीन के नीचे पानी है.

वराहमिहिर ने अनेक पुस्तको की रचना भी की. संस्कृत भाषा और व्याकरण में अतिदक्ष होने के कारण उनकी पुस्तके अनोखी शैली में लिखी गयी है. उनकी सरल प्रस्तुती के कारण ही खगोल विज्ञान के प्रति बाद में बहुत से लोग आकृष्ट हुए. इन पुस्तको ने वराहमिहिर को ज्योतिष के क्षेत्र में वही स्थान दिलाया जो व्याकरण में ‘पाणिनि’ का है.

वराहमिहिर की प्रमुख रचनाएँ :

* पंच सिद्धान्तिका

* बृहतसंहिता

* बृहज्जाक

अपनी पुस्तकों के बारे में वराहमिहिर का कहना था- ज्योतिष विद्या एक अथाह सागर है और हर कोई इसे आसानी से पार नहीं पा सकता. मेरी पुस्तक एक सुरक्षित नाव है, जो इसे पढ़ेगा यह उसे पार ले जाएगी. उनका यह कथन कोरी शेखी नहीं है, बल्कि आज भी ज्योतिष के क्षेत्र में उनकी पुस्तक को ”ग्रन्थरत्न” समझा जाता है. 

Thanx For Reading  Varahamihira Life  Story In Hindi

 इन प्रेरणादायक सच्ची घटनाओ को भी जरुर पढ़े :
*. महाराणा रणजीत सिंह की जीवनी
*. महान चिकित्सक चरक की जीवनी
*. संत रामानंद की प्रेरक जीवनी

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Image Credit

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Comments

  1. Surendra Mahara says

    January 17, 2020 at 5:48 pm

    Ji jarur. jaldi hi banayenge.

  2. Rakesh vasava says

    January 16, 2020 at 8:16 pm

    Sir aap ek application banaye or daily new story add Kare. aapki story bahot aschi hai bhai

  3. Dilip joshi says

    October 7, 2019 at 12:56 pm

    Sir aap kripya Barah mihir ke bansajo ki jankari aur de.aapka blog ati uttam hai.

  4. Surendra mahara says

    May 13, 2016 at 8:45 am

    आपका बहुत धन्यवाद सर। बिना आपके help के यह सब संभव नहीं हो पाता. नयीचेतना के साथ ऐसे ही जुड़े रहे सर.

  5. जमशेद आज़मी says

    May 13, 2016 at 8:17 am

    आपके माध्‍यम से मुझे वारहमिहिर के बारे में पढ़ने और समझने का मौका मिला। इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद। अब आपका ब्‍लाग बहुत अच्‍छा लग रहा है। आपके इस ब्‍लाग की थीम की एक खासियत है, वह यह कि लोडिंग टााइम कम लेती है। यह बहुत अच्‍छा संकेत है। किसी साइट के लिए अच्‍छा नेविगेशन सिस्‍टम और अच्‍छी साइट लोडिंंग स्‍पीड बहुत माएने रखती है। अभी मैं कुछ वेबसाइट पर कमेंट करने के मकसद से वहां गया था। तो उन वेबसाइटों के पेज भी ठीक ढंग से नहीं खुल रहे थे और कमेंट भी क्लिक करने पर फंस रहा था।

  6. Raghav Tripathi says

    May 13, 2016 at 6:23 am

    yeh blog aapne Bahut acha likha hai. aap blogging ke baare me kuch poochna chahte hai to Hindisehelp.com ke sath judiye.

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