यदि शारीरिक आकर्षण में पड़कर इसे प्रेम समझकर विवाह कर लिया तो कुछ महीने बाद अथवा शीघ्र ही एक-दूसरे में रुचि कम हो जायेगी, परस्त्रीगमन, परपुरुषगमन की आशंका सो अलग।
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फिर पूरा जीवन एक-दूसरे को झेलने एवं जीवनसाथी के लिये गले की हड्डी बनने में बीत जाता है क्योंकि प्रेम तो कभी था तक नहीं एवं अब तो जो नश्वर आकर्षण था वह भी घटेगा ही।
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विवाहपूर्व सम्बन्ध
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इसके अलग नुकसान हैं, निरोध वास्तव में सुरक्षा का आश्वासन नहीं होता, निरोध के अतिरिक्त भी बात करें तो ऐसे सम्बन्ध एक बार बनाये जायें अथवा कई बार बनाये गये हों,
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समय व ध्यान का नाश
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शारीरिक आकर्षण अकेला हो अथवा इसे प्रेम भी समझ लिया गया हो किसी भी स्थिति में ध्यान व समय का नाश बहुत हो जाता है;