पोषण से भरपूर 5 प्रमुख सब्जियाँ Top 5 Healthy Vegetable In Hindi
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Top 5 Healthy Vegetable In Hindi
दोस्तों, आज मैं आपको इस आर्टिकल में पोषण से भरपूर 5 प्रमुख सब्जियों के बारे में बताने वाला हूँ जो की हमारे Health के लिए बहुत ही लाभदायक है.
अगर आप इनका रोजाना सेवन करते है तो आपकी हेल्थ बढ़िया हो जाएगी और आप बीमारियों से बचे रहोगे तो आइये जानते है इन 5 सब्जियों के बारे में (Top 5 Healthy Vegetable In Hindi).
Top 5 Healthy Vegetable In Hindi
1. कटहल की सब्जी (Jackfruit Vegetable) –
कटहल (Jackfruit) में रेशे, प्रोटीन, विटामिन-ऐ, विटामिन-सी, मैग्नीशियम, पोटेशियम, ताम्र (ताँबा) व मैंग्नीज़ एवं राइबोफ़्लेविन (विटामिन-बी2) सहित विटामिन-बी विटामिन्स अधिक मात्राओं में होते हैं।
कटहल (Kathal) में फ़्लेवोनायड्स, सेपोनिन्स इत्यादि पादप-रसायन (फ़ाइटोकेमिकल्स) होने से यह कैन्सर-रोधी शिमला गुण से युक्त कहा जाता है। कुछ Vitamins व खनिज तो सेब, खूबानी, केला इत्यादि से अधिक कटहल में मिल जाते हैं।
कटहल में फ़ालेट, नियासिन भी होता है। कटहल कॅटेरेक्ट्स व मॅक्युलर डिजनरेशन जैसी नेत्र-समस्याओं से राहत पाने में भी उपयोगी है। कटहल ख़रीदते समय विक्रेता से ही छीलने को कहकर छोटे-छोटे टुकड़े करवाकर घर लाकर पनीर जैसे तैल में सेंक कर सब्जी बनायें। कटहल का अचार भी उपलब्ध होता है।
2. शिमला मिर्ची की सब्जी (Capsicum Vegetable) –
इन्हें मीठी मिर्ची तक कह दिया जाता है क्योंकि इनमें चिरपिरापन बहुत कम होता है एवं सलाद के रूप में भी प्रयोग में लायी जा सकती है। शिमला मिर्च में संतरे से भी अधिक विटामिन-सी होता है। इनमें विटामिन-बी6, फ़ालेट व बीटा-कैराटिन सहित कई एण्टिआक्सिडेण्ट्स होते हैं।
हरी, नारंगी व पीले कई रंगों में शिमला मिर्चें उपलब्ध हैं जिनमें पोषक तत्त्वों में समानता होती है परन्तु एण्टिआक्सिडेण्ट अंश भिन्न-भिन्न होता है।
विटामिन-ऐ की प्रचुरता से ये दृष्टि के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। पोटेशियम की पर्याप्तता इसे हृदय रोगों से बचाव के लिये सहायक बना देती है। लौह की अधिक मात्रा से एनीमिया (Anemia) इत्यादि में शिमला मिर्चियाँ अत्यधिक उपयोगी रहती हैं।
विशेष रूप से हरी शिमला मिर्चों में विटामिन-बी6, विटामिन-के, पोटेशियम, विटामिन-ई, फ़ालेट्स व विटामिन-ऐ की अधिक मात्रा होती है। शिमला मिर्ची को सामान्य सब्जियों जैसे काटकर पकाया जा सकता है अथवा बेसन (Besan) मिलाकर अथवा आलू मिलाकर अथवा आलू व बेसन दोनों मिलाकर भरवाँ शिमला मिर्ची बनायी जा सकती है।
3. मैंथी की सब्जी (Fenugreek Vegetable) –
मैंथी की भाजी (पत्तियाँयुक्त डण्ठल), बीज व अन्य भाग कई सप्लिमेण्ट्स, पाउडर्स, टानिक्स व चाय में प्रयोग किये जाते हैं। मैंथी (Methi) में काउमेरिन्स इत्यादि पादप-रसायन होते हैं जो रुधिर-शर्करा व कालेस्टॅरोल स्तर घटाने में सहायक हैं।
मैंथी से स्तन्यदुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलने की सम्भावना भी है। सूजन कम करने में सहायक फ़्लेवोनायड्स एण्टिआक्सिडेण्ट्स जैसे सूजनरोधी यौगिक भी मैंथी में पाये जाते हैं जो अस्थमा जैसी स्थितियों में राहत प्रदान करने में सहायक हैं।
4. मशरूम की सब्जी (Mushroom Vegetable) –
विटामिन्स व खनिजों में भरपूर मशरूम्स वास्तव में एक खाद्य कवक (खाने योग्य फफूँद) है इसलिये इनका अध्ययन पादप-जगत में किया जाता है, इसे माँसाहार जैसा न समझें।
मशरूम एण्टिआक्सिडेण्ट्स से भरपूर होते हैं तथा यदि पराबैंगनी विकिरण में उगाये गये हों तो इनमें विटामिन-डी भी आ जाता है जो कि अस्थियों व प्रतिरक्षा-तन्त्र (Immunity System) के लिये सहायक है।
मशरूम में सोडियम कम व पोटेशियम अधिक होता है जिससे ये रुधिर-वाहिकाओं में तनाव घटाते हैं एवं उच्चरक्तचाप को सामान्य करने में उपयोगी हैं।
पोटेशियम शरीर में सामान्य तरल-संतुलन के रखरखाव व खनिज-संतुलन बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण होता है। मशरूम में एर्गोथियोनॅईन नामक नैसर्गिक रूप से पाया जाने वाला अमीनो अम्ल होता है जो Antioxidants के रूप में शरीर की कोशिकाओ को शीघ्र नष्ट होने से बचा सकता है।
5. तोरई की सब्जी (Sponge Gourd Vegetable) –
कद्दू वर्गीय फसलों में सम्मिलित तुरई (रिज गार्ड) के फूल-पत्ती सहित बीज भी औषधीय महत्त्व के होते हैं, प्रायः इसके फल की सब्जी बनाकर खायी जाती है।
तोरई से मस्तिष्क में रुधिर व आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है जिससे थकान व अन्य मानसिक स्थितियों में सुधार हो सकता है एवं शरीर के ऊतक स्वस्थ होते हैं। बीजों में फ़िनालिक अम्ल की पर्याप्त मात्रा से तोरई की सब्जी दर्द व सूजन दूर करने में सहायक हो सकती है।
तोरई में प्रतिसूक्ष्मजैविक (एण्टिमाइक्रोबियल) सक्रियता होती है जिससे संक्रामक कवक (फफूँदी), विषाणुओं व दूषित जल में रहने वाले इष्चॅरिचिया कोलाई जैसे जीवाणुओं से राहत पाने में सहायता रहती है।
सीज़्नल एलर्जी एवं नाक की समस्याओं को दूर करने में तोरई उपयोगी पायी गयी है, कुछ होम्योपॅथी टेबलेट्स में तोरई सत होता है।
बीटा-कॅरोटिन के रूप में Vitamin-a की अधिकता से यह बुढ़ापे में दृष्टि व सामान्य नेत्र-स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है। लौह की कमी से होने वाले एनीमिया को दूर करने में तोरई बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है क्योंकि इसमें लौह एवं विटामिन-बी6 प्रचुर मात्राओं में होते हैं।
विटामिन-बी6 लौह के साथ मिलकर शरीर में लालरक्त कोशिकाओं के सुचारु संश्लेषण में बड़ी भूमिका निभाता है। मोटापे व तोंद से परेशान लोगों के लिये तोरई बड़ी उपयोगी है क्योंकि इसमें कॅलोरीज़, सॅचुरेटेड फ़ैट्स व कोलेस्टॅराॅल नाममात्र के ही होते हैं।
इसके प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स व वसा शीघ्र पच जाते हैं एवं शरीर के ऊतकों में अतिरिक्त रूप में जम जाने की सम्भावना कम रहती है।
मधुमेह ग्रस्त व्यक्तियों को तोरई अवश्य सेवन करनी चाहिए क्योंकि इसके इन्स्युलिन जैसे पेप्टाइड्स व एल्केलायड्स रुधिर-शर्करा नियन्त्रण में सहायता करते हैं।
तोरई में जल व सेल्युलोज़ नामक प्राकृतिक आहारीय रेषों की मात्रा बहुत अधिक होने से मलबद्धता अथवा कब्ज़ी दूर करने एवं आँतों की गति सामान्य करने में यह उपयोगी है।
यकृत-कार्य व लीवर-फ़ंक्षन में सुधार लाने में तोरई उपयोगी है क्योंकि यह विषैले पदार्थों व अनपचे खाद्य-कणों को हटाकर रक्त के शोधन में सहायता करती है।
यकृत से निकलने वाले पित्त (बाइल) के स्रावण (सीक्रेशन) में भी तोरई सहायक है जिससे लिपिड्स व फ़ैट्स को तोड़ने कार्य होता है तथा तोरई पीलिया व यकृत सम्बन्धी अन्य संक्रमणों को दूर करने में भी प्रभावी पायी गयी है |
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