चोरी व झूठ की आदत कैसे छोड़ें 7 टिप्स How To Avoid Thieves Dishonest Habit In Hindi
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How To Avoid Thieves Dishonest Habit In Hindi
चोरी व झूठ ऐसी आदतें हैं जो कई लोगों में बहुत पहले से होती हैं किन्तु उन्हें इनकी गम्भीरता का ज्ञान उन्हें नहीं रहता. चोरी व झूठ ये दोनों आदतें एक साथ या एक-दूसरे के कारण-प्रभाव के रूप में या अलग-अलग भी हो सकती हैं।
कोई बात थोडा, पूर्णतया छुपाना या झूठ बोलना भी एक तरह से चोरी भी है। यहाँ पर ऐसी आदतों को जड़ से मिटाने के कुछ उपाय बताये जा रहे हैं जिन्हें सरलता से अपनाकर कोई भी इन बुरी आदतों से तुरंत ही व हमेशा के लिये पीछा छुड़ा सकता है.
How To Avoid Thieves Dishonest Habit In Hindi
1. सच्चाई ध्यान रखें –
डाउन-टू-अर्थ रहें, ज़मीनी जुड़ाव रखें, जितनी चादर उतने पैर पसारें, संतोषी जीवन सुखी जीवन, संतोष परमधन इत्यादि सुप्रवचनों को याद रखेंगे तो ईर्ष्या-द्वेष, हीनभावना जैसे विकारों से ग्रसित होने की आशंका न्यूनतम हो जायेगी। यहाँ तक कि यदि आपके पास पर्याप्त पैसा हो तो भी उसकी बचत व सदुपयोग पर ज़ोर दें, न कि विलासिता या संसारी इच्छाओं में उड़ा डालें।
प्रायः ऐसा देखा गया है कि बच्चे-किशोर बड़े होते-होते अपने आसपास सम तुल्य आयु वर्ग के लोगों को खर्चे करते हुए देखते हैं तो स्वयं परिजनों से धन माँगने को कुप्रेरित होते हैं व यदि परिजन उन्हें ‘ना’ बोल दें तो फिर वे बाइक या मोबाइल इत्यादि की चारियों में लिप्त हो जाते हैं क्योंकि उन्हें दूसरों से होड़ का नशा चढ़ जाता है जबकि बड़े आराम से वे सीमित संसाधनों में साफ़-सुथरा व सादगीपूर्ण जीवन जी सकते थे।
2. अपनी तुलना से बचें –
आस-पड़ौस या अपने संगी-साथियों को देखकर उनसे अपनी या अपनी जीवन-स्थितियों की नाप-तौल न करें. तथाकथित मान-सम्मान, धन कमाना, खर्च करना सुख की निशानी नहीं है बल्कि यह तो एक दुष्चक्र है.
तभी तो वर्तमान अत्यधिक दुःखी व तनावग्रस्त जीवन खेल-फ़िल्म-राजनीति व बड़े कारोबार वाले व्यापारों से जुड़े लोगों का होता है जो आये दिन निवेश, कोर्ट-केस, अवमानना नोटिस, अधिकार-दुरुपयोग, दीन-दुःखयों के शोषण जैसी परिस्थितियों से घिरे रहते हैं.
जबकि सुख से सोवे कुम्हार जाकी लूट न लैवे मिटिया, यानी निर्धन या सीमित संसाधनों में भी संतुष्ट जीवन जीने वाला कुम्हार सुख से सो पाता है क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ है ही नहीं जिसके लुट जाने की चिंता उसका सुख-चैन छीने रहती हो। इ
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3. आवश्यकता व इच्छा में अन्तर समझें –
कोई भूखा रोटी चुराये तो फिर भी समझ आये कि शायद सब जगह से लाचार होकर बेचारे को ऐसा कदम उठाना पड़ा हो क्योंकि भूख-भोजन एक जरुरी जरूरत है.
किन्तु घूमने-फिरने, महँगे कपड़े-गहने, गाड़ियों की चाहत केवल कृत्रिम चाहत है, न कि कोई आवश्यकता, इसलिये मजबूर भूखे को रोटी चुराने के आरोप से बरी भी किया जा सकता है या उसे न्यूनतम सज़ा में छोड़ा जा सकता है परन्तु इच्छाओं की घुड़दौड़ में गाड़ी चुराने वाले को क्षमा करना अपराधियों को पनाह देने के बराबर हो सकता है !
आवश्यकता अपने आप होती है, जैसे कि प्यासे होने पर पानी पीने की पिपासा परन्तु ‘इच्छा’ अपने आप नहीं होती बल्कि उसे जान-बूझकर ‘किया’ जाता है। आवश्यकताएँ प्रायः बहुत कम अपराध कराती हैं, वह भी बहुत छोटे-मोटे परन्तु इच्छाओं के जंजाल में तो समूचा विश्व ही अपराधी बना बैठा है।
4. पारदर्शी रहें –
यदि अपनी ज़िम्मेदारी अथवा किसी का सौंपा कार्य आप ठीक से अथवा समय पर न निभा पायें हों तो बहाने के रूप में झूठ का आसरा न लेते हुए सटीक कारण सहित व्याख्या कर दें व खुलेमन से क्षमायाचना करें व आगे से भूल-सुधार की ओर वचनबद्ध रहें.
एक बार झूठ तो ग़लत है ही किन्तु झूठ के एक से अनेक होते समय नहीं लगता, फिर असत्य को असत्य से छुपाने के प्रयास में एक कुचक्र चल पड़ता है जिससे स्थितियाँ और दूभर होती जाती हैं.
अतः इस कुचक्र को आरम्भ होने से पहले ही इसकी पहली तीली अर्थात् पहले झूठ को ही उत्पन्न होने से पहले ही ध्वस्त कर दें। झूठ पकड़ में आये अथवा न आये परन्तु ध्यान रखें कि दूसरों की नज़रों में गिरने से अधिक बुरा होता है अपनी नज़रों में गिरना।
5. दुराव-छुपाव छोड़ें –
किसी भी Question या Condition से असहज मत हो। हो सके तो सामने वाले द्वारा प्रश्न करने से पहले ही सकारण स्पष्टीकरण कर दे इससे सम्बन्धों में कटुता आने से भी बचाव हो जायेगा। बातें छुपाने, घुमाने-फिराने, ध्यान डायवर्ट करने, अपना बचाव या दूसरों पर दोषारोपण करने को आरम्भ में ही नष्ट कर दें।
बाद में बताने की आदत भी मिटायें क्योंकि हो सकता है कि आपकी इस आदत से आपके अपनों को आघात पहुँचता हो कि इसके साथ यह बात कबकी घट चुकी किन्तु इसने मुझे आज जाकर बताया। परायों से भी स्पष्टवादिता का सम्बन्ध होना चाहिए।
6. पूर्ण सत्य कहें –
डाँट से बचने या विरोध से बचने के लिये लोग कई बार अधूरी बात, अधूरी सच्चाई बोलते भी पाये जाते हैं जबकि यह बात बिल्कुल सहन-योग्य नहीं है. डाँट या विरोध की आशंका कितनी भी हो हर बार अपनी पूरी बात, पूरी वास्तविकता पूर्णता से प्रकट करें।
सामने वाला यदि बारम्बार आपकी बात काटे या न सुननी चाहे तो भी पूरी बात तुरंत कहकर ही दम लें, वह भी द्वेष व पूर्वाग्रह से रहित रहते हुए. जैसे कि ऐसी चिंता न करें कि सामने वाला इस बार भी आपकी बात सुनकर भी हर बार के समान अनसुनी कर देगा व उसे यह बात पता है.
यह बात तो Common जैसी पुरानी है या होती ही रहती है तो मैं क्यों बताऊँ अथवा उसे ज्ञात है इसलिये बताने की जरूरत नहीं अर्थात् हर बार पूरी बात सविस्तार बतायें चाहे उसमें कोई नयापन हो अथवा नहीं।
7. पश्चाताप् करें –
उपरोक्त Article पढ़कर आपको समझ आ ही गया होगा कि आपको क्या-क्या नहीं करना है व क्या-क्या करना है. अतः अपनी भूलों व ग़ुनाहों के लिये आपको अब पछतावा होना चाहिए, आज तक जिस-जिस से भूल या नासमझी वश भी यदि आपने कुछ चुराया, छुपाया या झूठ बोला है उस-उस से आप अभी इसी समय क्षमा माँग लें।
क्षमा माँगते समय ‘सामने वाला क्या सोचेगा’ जैसी बातें न सोचें, निःस्वार्थ व निष्काम होकर बस क्षमा-प्रार्थना कर लें. अभी फ़ोन उठायें व सीधे काल लगायें।
क्षमा माँगने से कोई छोटा नहीं हो जाता बल्कि ग़लती का भार हल्का हो जाने से अपनी ऊँचाई कुछ बढ़ अवश्य जाती है व सामने वाले की नज़र में आपकी छवि भी सुधरती है और यदि किसी बात से कोई छोटा-मोटा मन-मुटाव बरसों से दबा बैठा हो तो वह भी साफ हो जाता है।
दोस्तों यह Article था चोरी व झूठ की आदत कैसे छोड़ें 7 टिप्स – How To Avoid Thieves Dishonest Habit In Hindi, Chori Aur Jhuth Ki Aadat Ko Kaise Chhode. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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Nice article 👍