गर्भनिरोधन से पहले की तैयारियाँ कैसे करे ! 6 तरीके How To Prepare Before Contraception In Hindi
How To Prepare Before Contraception In Hindi
गर्भनिरोधन अति महत्त्वपूर्ण है, स्वयं के लिये, जीवनसाथी के लिये एवं पर्यावरण के लिये, समस्त परिजनों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिये एवं समूचे परिवार के आर्थिक भविष्य के लिये गर्भनिरोधन की तैयारियाँ विवाह से पूर्व आरम्भ कर दें तो बेहतर। यहाँ इससे सम्बन्धित निर्णय करने से पहले की तैयारियों के बारे बताया जा रहा है ताकि निर्णय में सरलता हो.
How To Prepare Before Contraception In Hindi
1. विवाह से पहले ही सम्भावित वर-वधु आपस में इस सब विषयों में बात कर लें कि बच्चों की संख्या, उनके मध्य अन्तर क्या-कितना रखना है, कन्या भ्रूण जाँच इत्यादि जैसा कोई विचार नहीं करना है तथा कन्या हुई तो भी उसे भेदभावरहित एक सम्मानित जीवन प्रदान करना है.
2. ससुराल में कोई थोड़ा-सा भी कन्याविरोधी अथवा अत्यधिक पुत्रमोही तो नहीं। इसके लिये विशेष रूप से वधु पक्ष के बड़े-बुज़ुर्गों द्वारा सम्भावित वर पक्ष के पूरे कुटुम्ब की सघन छानबीन की जानी आवश्यक है कि वहाँ स्त्रियों के साथ व्यवहार किये जाने का अतीत कैसा रहा है, क्या बेटों के जन्मदिन धूमधाम से मनाये जाते हैं परन्तु बेटियों का जन्म याद नहीं रहता अथवा औपचारिकता में बिता दिया जाता है।
बालकजन्म पर मिठाइयाँ बाँटी गयीं थीं किन्तु बालिका जन्म पर शोकसभा लग गयी थी अथवा प्रसव के समय ‘पुत्र होगा’ यह सोचकर जमा किये गये लड्डू उस समय आसपास ही गुप्त रूप से खपा दिये गये कि अरे ! यह तो बेटी हो गयी।
बेटियों व बेटों की शिक्षा के खर्च का अनुपात क्या रहा, समान स्तर के रोग में बेटी व बेटा को किस स्तर की चिकित्सा-सुविधाएँ उस खानदान में उपलब्ध करायी जाती हैं ! इत्यादि, इन सब में लिंगगत अन्तर को परखें।
यह भी देखें कि ममेरे-चचेरे रिश्तेदारों में कहीं ऐसा तो नहीं कि यदि एक अथवा दो बेटियाँ हुईं हों तो प्रतीक्षा की जाती है कि काश ! अब बेटा पैदा हो जाये अथवा बेटा होने तक बेटियों की फ़ौज तैयार कर दी जाती है !
ये सब जाँचें गुप्त व प्रकट दोनों रूपों में की जायें ताकि आपकी बेटी जिस घर में जाने की सम्भावना है वहाँ उसका भविष्य व उसकी सन्तान यदि बालिका हुई तो उसका भी भविष्य नाश होने से बच पाये।
यदि ससुराल पक्ष ठीक-ठाक हुआ तो उसे आपके इन प्रश्नों व खोजबीन से आपत्ति नहीं होनी चाहिए। संकोच त्यागें, खुलके पूछें। विशेषतः भावी जीवनसाथी एवं उसके परिवार से आमने-सामने परिचर्चाएँ अनिवार्य हैं.
भविष्य में यदि किसी का मन बदला तो भी उससे उत्पन्न परिस्थिति को सँभालने के लिये पहले से ही तैयार रहा जा सके एवं भविष्य में अकस्मात् कुछ ‘अप्रत्याशित’ जैसा न लगे, न ही किसी को कोई आघात् पहुँचे।
3. विवाह के बाद सुहागरात अर्थात् प्रथम मिलनरात्रि से पहले गर्भ निरोधन गोलियाँ अवश्य सेवन करनी आरम्भ कर दी जायें (क्योंकि कुछ गोलियों को लगभग 1 माह पहले से आरम्भ करना होता है).
पुरुष गर्भनिरोधन का इंजेक्शन लगवा दें, ये इंजेक्शन स्त्री व पुरुष दोनों के लिये अलग-अलग उपलब्ध हैं जिन्हें 1 माह से 3 माह में एक बार लगवाने की आवश्यकता पड़ती है। सम्बन्धित शासकीय स्वास्थ्य परिवार नियोजन विभाग में इससे सम्बन्धित जानकारियाँ पहले से पता कर लें।
ऐसा न सोचें कि स्खलन से पहले शिस्न बाहर निकाल लिया तो गर्भधारण की आशंका नहीं रहेगी क्योंकि वास्तव में शिस्नमुख में वह तरल कभी भी आ सकता है जिसमें कुछ मात्रा में शुक्राणु हो सकते हैं।
निरोध सुरक्षा का आश्वासन नहीं हो सकती क्योंकि इसकी लचीली संरचना ही इसमें अतिसूक्ष्म छिद्रों के कारण होती है, ठीक वैसे ही जैसे हमारी त्वचा में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जो ऊपर से अपारगम्य लगती है परन्तु वास्तव में उसमें बहुत कुछ अवशोषित होता रहता है व बाहर निकलता रहता है।
4. हो सके तो स्त्री-पुरुष विशिष्ट हार्मोन्स की जाँच करा लें, ये जाँचें एक पैकेज के रूप में विभिन्न प्रयोगशालाओं में उपलब्ध हैं, ये हार्मोनल गर्भनिरोधन में सहायक होंगी तथा यदि भविष्य में गर्भधारण का विचार आये तो भी आवश्यक होंगी, इन जाँचों में विशेषतया स्त्री-हार्मोन्स, लौह इत्यादि के स्तर के जाँच हो जायेगी।
5. यदि बाद में बच्चा पैदा करना ही हो तो विवाह एक माह पूर्व गोलियाँ सेवन आरम्भ करने के बाद विवाहोपरान्त पति के साथ जाकर कापर-टी लगवायी जा सकती है तथा पाँच साल के लिये इसे लगवाया जा सकता है व इच्छानुसार इस अवधि से पहले भी निकलवाया जा सकता है।
6. सबसे बेहतर तो यह होगा कि विवाहपूर्व नसबन्दी (हो सके तो पुरुष-नसबन्दी) करा ली जाये, विवाह के निर्णय से पूर्व भावी जीवनसाथी को बहुत पहले इस विषय में अवश्य बता दें, देखें – ‘परिवार-नियोजन के उपाय’ नामक आलेख।
सात अरब की आबादी में एक और वृद्धि के करने के बजाय किसी ज़रूरतमंद को अपनाकर उसका भविष्य सँवारने का सुख स्वयं बच्चे पैदा करने के सुख से कई गुना बढ़कर होगा। पुरुष अंग बाहर की ओर होते हैं एवं बिना चीरा, बिना टाँके की छोटी-सी सर्जरी के बाद व्यक्ति तुरंत घर भी जा सकता है।
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