आओ जियें जिन्दगी बन्दगी के लिए Let’s Enjoy Life Poetry In Hindi
Let’s Enjoy Life Poetry In Hindi
दोस्तों, आज हम जैसा जीवन जी रहे है उसमे आप देख रहे होंगे की कैसे लोग आज अपनी नैतिकता को खो रहे है और कैसे छोटी – छोटी चीजो के लिए हम बहुत दुखी हो जाते है. हमारे पास जो भी चीजे है हम उसके प्रति कृतग्य होने बजाय जो हमारे पास नहीं है उसके लिए परेशान होते है.
आज का आदमी मेहनत करने से कतरा रहा है और शॉर्टकट से कमाई का जरिया ढूंढ रहा है तो आइये प्रभात पाण्डे द्वारा लिखी गयी इस बेहतरीन कविता का मूल भाव समझते है और आज के आदमी की कहानी को जानते है.
Let’s Enjoy Life Poetry In Hindi
पता नहीं किस बात पर इतराता है आदमी
कब समझेगा अर्थ ढाई आखर का आदमी
भूल बैठा है आज वो निज कर्तव्य को
खून क्यों मानव का बहाता है आदमी
क्यों शब्दों के बाण से
औरों का दिल दुखाता है आदमी
“जियो और जीने दो “कब समझेगा ये आदमी
खुद से क्या भगवान से है बेखबर
आज आस्था के मंदिर गिराता है आदमी
एक दूजे से बाबस्ता है हर आदमी
सोंचकर कल की मरता है आज आदमी
आज धर्म के हिस्सों मैं बंटा है आदमी
जाति वर्ण की चक्की में पिस रहा है आदमी
है नहीं उसे संतोष छूकर के फलक को
नर्क जीवन को बना रहा है आदमी
क्यों किसी को अच्छी नहीं लग रही मेहनत की कमाई
पाप के निवालों को शौक से खा रहा है आदमी
जब सुख में होता है ,तो ईर्ष्या करता है आदमी
और उपदेश दिया जाए ,तो मुंह मोड़ लेता है आदमी
ये लूट, हत्या अपहरण किसके लिए
जब अंत में, कुछ न लेके साथ जाता है आदमी
‘प्रभात’ थोड़ी सी जमीन ही तो चाहिए बाद में
फिर जमीन के वास्ते क्यों लड़ रहा है आदमी
ये रूपया पैसा काम नहीं आएगा हमेशा
फिर क्यों मोह रूपी गठरी ढ़ो रहा है आदमी
आओ मिल कर जला दें ख़ुशी के दिये
कुछ चमन के लिए कुछ अमन के लिये
आदमी आदमी से मोहब्बत करे
आओ जियें जिन्दगी, बन्दगी के लिए ……
-Prabhat Pandey
This Best Poetry ( Let’s Enjoy Life Poetry In Hindi) Share By Prabhat . Thankyou Prabhat Ji Sharing Your Poetry In Nayichetana.com
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