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विश्व एड्स दिवस का महत्त्व समाधान व सावधानियाँ

November 28, 2020 By Surendra Mahara 1 Comment

विश्व एड्स दिवस का महत्त्व समाधान व सावधानियाँ Aids HIV Symptoms Causes Treatment In Hindi

Table of Contents

  • विश्व एड्स दिवस का महत्त्व समाधान व सावधानियाँ Aids HIV Symptoms Causes Treatment In Hindi
    • Aids HIV Symptoms Causes Treatment In Hindi
      • एड्स से जुड़े मुद्दे व समाधान :
      • विश्व एड्स दिवस के 32 वर्षों के 32 थीम :

Aids HIV Symptoms Causes Treatment In Hindi

सन् 1987-88 से 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस (World Aids Day) के रूप में मनाया जाता रहा है ताकि एचआईवी व एड्स से जुड़े मुद्दों के बारे में विश्व में जागरुकता फैलायी जा सके, विशेष रूप से बच्चों व किशोरों में क्योंकि जीवन के इन पड़ावों में यदि ये जागरुक हो गये तो भविष्य में कई Health व सामाजिक समस्याओं से बच सकेंगे, और वैसे भी HIV के शुरूआती मरीज़ों में बहुत बड़ी संख्या में कम उम्र के लोग शामिल थे।

भ्रम : निरोध से संक्रमण नहीं होगा !

खण्डन 1 : वास्तव में निरोध किसी संक्रमण या किसी अन्य कोशिकाओं को पार होने से रोकने की गारंटी नहीं है, वैसे भी लचीलापन लाने के लिये निरोध की संरचना ही ऐसी होती है कि उसमें बहुत सारे छोटे – छोटे छेद होते हैं जिनके बीच से शुक्राणु आर – पार हो सकते हैं तो फिर किसी विषाणु जो बहुत ही छोटे साइज़ के होते है वो तो सरलता से पार हो सकते हैं, कितनी भी सावधानियाँ बरत लें निरोध अधिकतम 70-80 प्रतिशत से अधिक H.I.V. को रोक नहीं पाया है।

भ्रम 2 : एचआईवी मतलब अब कुछ महीनों के मेहमान !

खण्डन 2 : HIV Virus व्यक्ति के शरीर में आने के बाद उसके लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों व कमज़ोरियों जैसे ही होते हैं ( जैसे बुखार, शरीर के भागों में दर्द इत्यादि ) परन्तु दूसरी अवस्था में आने में कुछ सप्ताह लग जाते हैं.

उसके बाद आपकी स्थिति बिगड़ने लगती हैं और इसकी तीसरी अवस्था एड्स की कहलाती है जिसमें व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immune System) इतना अधिक कमजोर हो जाता है कि छोटी सी बीमारी जो की अपने आप ठीक हो जाने वाली बीमारी व कमज़ोरी होती है.

वह भी शरीर में घर बना लेती है और व्यक्ति को कमजोर कर देता है किन्तु संक्रमण की इन तीनों अवस्थाओं में नियमित उपचार कराने से व्यक्ति के जीवन को 3 से 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

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एड्स से जुड़े मुद्दे व समाधान :

1. एड्स अथवा एचआईवी ग्रस्त हर व्यक्ति को यौन सम्बन्धी समझ बैठने की आदत कैसे तोड़ें ? :

मानव-प्रतिरक्षाशोषी विषाणु HIV (ह्यूमन इम्युनो-डेफ़िशियन्सी वायरस) मुख्य रूप से रक्त, गुदा-तरल, संक्रमित माँ के दुग्ध व स्त्री-पुरुष जनन-तरल के माध्यम से फैलता है इसमें कोई संदेह नहीं है परन्तु हर एड्स अथवा एचआईवी ग्रस्त व्यक्ति के बारे में ऐसा न सोचें कि अवश्य ही उसने परस्त्री, परपुरुषगमन किया है अथवा विवाह से पूर्व या विवाह के बाद सम्बन्ध बनाये हैं.

संक्रमित रक्ताधान (ख़ून चढ़ाने), संक्रमित व्यक्ति की शेविंग के दौरान ख़ून के अंश लगी ब्लेड से दूसरे की शेविंग करने व उसमें भी घाव हो जाने जैसे अन्य माध्यमों द्वारा भी यह संक्रमण फैलता रहा है तथा अपने जीवनसाथी द्वारा भी ये आपको हो सकता है.

यदि वह किसी भी कारणवश इस विषाणु से कभी संक्रमित हो चुका हो, रोग कैसे हुआ यह कारण जानने से अधिक ज़ोर रोग के निवारण पर दिया जाना चाहिए तभी भारत में एचआईवी पहुँचने के दशकों बाद अब भारतीय गाँवों में भी यह सुधार दिखे कि एचआईवी संक्रमित स्त्री को इतनी संकुचित दृष्टि से न देखा जाये कि अवश्य ही इसने बाहर किसी से सम्बन्ध बनाये होंगे।

2. अछूत-सा व्यवहार :

एचआईवी संक्रमित व्यक्ति तो अन्य रोगियों समान सहायता का अधिकारी है ही बल्कि इसे तो विशेष मानसिक सहायता की आवश्यकता होगी परन्तु समाज व कई बार अपने ही परिवार तक के द्वारा किये भेदभावपूर्ण व्यवहार से संक्रमित लोग आत्महत्या तक करते पाये गये हैं, अतः उपचार व सामान्य व्यवहार पर ज़ोर दे, न कि संक्रमित को समाज की मुख्यधारा से दूर ढकेलने में, वैसे भी यह संक्रमण छूने अथवा साथ खाने-पीने से नहीं फैलता।

3. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें :

HIV Positive होने के बाद एक्वायर्ड इम्युनो-डेफ़िशिन्सी सिण्ड्राम (एड्स) की स्थिति आती है जो कि एक लक्षण (सिण्ड्राम) है, अर्थात् कई लक्षणों का समूह, इसमें व्यक्ति किसी भी स्वास्थ्यगत परेशानी की चपेट में शीघ्र आ जाता है क्योंकि उसके शरीर में अन्य रोगों से लड़ने व सभी संक्रमणों से जूझने की शक्ति दुर्बल होती चली जाती है। अतः हर्बल उत्पादों व एण्टिआक्सिडेण्ट्स युक्त खाद्यों का सेवन बढ़ायें तथा डॉक्टर के उपचार के नियमों का दृढ़ता से पालन करें।

जरुर पढ़े : रोग-प्रतिरोधक तन्त्र को मजबूत कैसे करें

4. असम्भव वाले भाव को कैसे त्यागे ? :

असाध्य कहकर एड्स रोगी को मरने नहीं छोड़ा जा सकता, रोगप्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के अतिरिक्त अन्य विभिन्न प्रयासों को जारी रखना चाहिए ताकि व्यक्ति के जीवन में कुछ वर्ष और बढ़ाये जा सकें व जब तक वह जिये उसके कष्ट यथासम्भव कम से कम रहें।

एण्टिरिट्रोवायरल थिरेपी इत्यादि विशेषज्ञीय देखरेख में नियमित जाँचें व अन्य उपाय अपनाते रहें ताकि शरीर की पीड़ाओं को कुछ कम किया जा सके। ऐआरटी में हर एचआईवी ग्रस्त को ऐसी औषधियों का सेवन प्रतिदिन कराया जाता है जो उसके जीवन व स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायक हों।

विश्व एड्स दिवस के 32 वर्षों के 32 थीम :

हर वर्ष इस दिन के लिये कोई विषय (Theme) निर्धारित करके रखा जाता है, जो हम आपके साथ शेयर कर रहे है –

1988- उद्घाटन कार्यक्रम

1989- हमारा विश्व,, हमारा जीवन – आइए एक-दूसरे की देखरेख करें

1990- महिलाएँ एवं एड्स

1991- चुनौती साझी करें

1992- सामुदायिक प्रतिबद्धता

1993- कार्यवाही का समय

1994- एड्स एवं परिवार

1995- साझे अधिकार, साझे उत्तरदायित्व

1996- एक विश्व एक आशा

1997- एड्स युक्त दुनिया में जीते बच्चे

1998- बदलाव के बल – नवयुवाओं सहित विष्व एड्स अभियान

1999- सुनें, सीखें, जिएँ ! बच्चों व नवयुवाओं के साथ विश्व एड्स अभियान

2000- एड्स – बदलाव लायें पुरुष

2001- पुरुष बदलाव ला सकते हैं – ”मैं ध्यान रखता हूँ, क्या आप भी ?“

2002- जियो व जीने दो – लाँछन एवं भेदभाव

2003- जियो व जीने दो -लाँछन एवं भेदभाव

2004- क्या मुझे आज तुमने सुना ?“ महिलाएँ, लड़कियाँ, एचआईवी और एड्स

2005- एड्स रोकें- वादा निभायें

2006- वादा निभायें- जवाबदेही

2007- वादा निभायें – नेतृत्व आगे बढ़े

2008- वादा निभायें – नेतृत्व आगे बढ़े, सशक्त बने व डिलीवर करे

2009- वादा निभायें – वैश्विक पहुँच एवं मानवाधिकार

2010- वादा निभायें – वैश्विक पहुँच एवं मानवाधिकार

2011- शून्य लायें – नये एचआईवी संक्रमण शून्य, शून्य भेदभाव, शून्य एड्स-सम्बन्धी मृत्यु

2012- शून्य लायें – नये एचआईवी संक्रमण शून्य, शून्य भेदभाव, शून्य एड्स-सम्बन्धी मृत्यु

2013- शून्य लायें – नये एचआईवी संक्रमण शून्य, शून्य भेदभाव, शून्य एड्स-सम्बन्धी मृत्यु

2014- शून्य लायें – नये एचआईवी संक्रमण शून्य, शून्य भेदभाव, शून्य एड्स-सम्बन्धी मृत्यु

2015- शून्य लायें – नये एचआईवी संक्रमण शून्य, शून्य भेदभाव, शून्य एड्स-सम्बन्धी मृत्यु

2016- समत्व अधिकारों तक अब पहुँचें

2017- पारदर्षिता, जवाबदेही व साझेदारियों के माध्यम से बढ़ता प्रभाव

2018- अपनी स्थिति (स्टेटस) जानें

2019- एचआईवी एड्स महामारी – समुदाय से समुदाय तक एड्स-एचआईवी से दूरी हेतु सावधानियाँ.

2020 – एचआईवी / एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव ”

1. ऊपर के विवरण से बहुत-सी बातें स्पष्ट हो ही गयी होंगी फिर भी ध्यान रखें कि यौनसम्बन्ध केवल अपने जीवनसाथी से रखें.‘ लिव-इन रिलेशनशिप और विवाहेतर सम्बन्धों से 7 प्रकार के 12 घाटे यह आर्टिकल जरुर पढ़ें।

2. नयी Shaving Blead उपयोग करायें, अपना तौलिया स्वयं अपने घर से लेकर जायें.

3. खून चढाते समय Blood Test पर विशेष ज़ोर डालें.

4. ड्रग-इंजेक्शन जैसे सारी गलत आदतों से सर्वथा दूर रहें.‘नशों के प्रकार व इनसे कैसे बचें’आलेख अवश्य पढ़ें.

5. सबसे जरूरी बात यह की अगर आपको एक बार HIV हो गया तो आप ज़िन्दगी भर से पीड़ित हो जाओगे और कुछ समय बाद आपकी death भी हो सकती है, इसलिए अगर अभी आप ठीक है और यह आर्टिकल पढ़ रहे है तो कोशिश करे की आप कभी भी ऐसे जाल में न फंसे जिससे आपको अपनी ज़िन्दगी से हाथ धोना पड़े.

तो दोस्तों यह लेख था विश्व एड्स दिवस का महत्त्व समाधान व सावधानियाँ – Aids HIV Symptoms Causes Treatment In Hindi, HIV Aids Se Bachav Ke Tarike. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।

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Comments

  1. Yogendra Singh says

    November 29, 2020 at 7:09 pm

    Kya ab bhi sach me is bimari ki koi davai nahi hai. Ki sirf bachav hi ilaj hai.

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