नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें ? 16 तरीके How To Care Newborn Baby Tips In Hindi
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How To Care Newborn Baby Tips In Hindi
वैसे गर्भधारण से पूर्व व गर्भावस्था के दौरान भी कई सावधानियाँ समस्त सम्बन्धितों को बरतनी होती हैं। बिना पर्याप्त तैयारियों के बच्चा पैदा करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।
घर में बच्चा होने के तुरंत बाद उसकी देखभाल की बड़ी ज़िम्मेदारी सभी परिजनों की हो जाती है। नवजात बच्चे को पालना बच्चों का खेल नहीं होता. इस बार हम बतायेंगे कि नवजात की देखरेख में क्या-क्या किया जाना व क्या नहीं किया जाना चाहिए.
How To Care Newborn Baby Tips In Hindi
नवजात शिशु की देखभाल में क्या न करें :
1. बच्चे की नाभिनाल काटनी हो अथवा उसे स्नान कराना, स्वयं को विशेषज्ञ समझकर कुछ भी न करते हुए चिकित्सक अथवा प्रशिक्षित दाई से ऐसा करायें.
2. स्तनपान कराने वाली माँ लिप्स्टिक, नेल पालिश, डियोडॅरेण्ट, पाउडर इत्यादि का प्रयोग भूलकर भी न करें, विशेष रूप से रसायन माँ की त्वचा इत्यादि में होकर शरीर के रक्त में उतर जाते हैं जो दूध के माध्यम से बच्चे के भीतर चले जाते हैं.
3. बात-बात पर अथवा बिना बात के बच्चे के गाल इत्यादि मसलने-दबाने की आदत त्यागें व किसी को भी ऐसा न करने दें, वह बहुत कोमल है.
4. वैसे तो नवजात के सम्पर्क में केवल माता-पिता इत्यादि ही हों, बाहरी व्यक्तियों को दूर रखें. सर्दी-खाँसी, त्वचा रोग इत्यादि से ग्रसितों को तो बिल्कुल दूर रखना है क्योंकि नवजात का प्रतिरक्षा-तन्त्र विकसित नहीं हुआ है जिससे इसे रोग सरलता से अपनी चपेट में ले सकते हैं.
5. बच्चे के आसपास कोई तेज गंध न हो क्योंकि आपको जो गंध सामान्य लग रही है हो सकता है कि वह उसे बहुत तेज लगे.
6. आरम्भिक लगभग 6 महीनों तक उसे केवल स्तनपान करायें, बिना चिकित्सक की अनुमति के कुछ भी नहीं पिलाना-खिलाना है, हो सके तो आरम्भिक दिनों में पानी भी न पिलायें क्योंकि उसकी ख़ुराक बहुत कम है, यदि उसने पानी पी लिया तो उससे दूध नहीं पिलायेगा जिससे पोषक तत्त्वों की नियमित आपूर्ति बाधित हो सकती है तथा पानी इत्यादि कुछ भी देने से उसके शरीर में विभिन्न रोगाणु व अन्य हानिप्रद पदार्थ प्रवेश कर सकते हैं.
7. उसे ठण्ड लग रही होगी ऐसा सोचकर गर्म कपड़े अनावश्यक रूप से न उढ़ायें, अन्यथा छोटे-से चद्दर से भी उसका दम घुँट सकता है.
8. बच्चे की मालिश स्वयं करने में असहजता हो तो अपनी देख रेख में किसी दाई को मासिक पारिश्रमिक से कुछ मिनट्स बुलवाकर उससे अत्यन्त हल्के हाथों से मालिश करवायें, स्वयं अपने कड़क हाथों से उसे न रगड़ें, न ही विज्ञापन में दिखाये तैल-क्रीम लगायें; बच्चे के नाखून बड़े हो रहे हों तो वह स्वयं को खुरचकर बड़ी हानि पहुँचा सकता है, इसलिये दायी से उसके नाखून कटवायें.
नवजात शिशु की देखभाल में क्या करें :
1. बच्चे को पहला स्तनपान उसके जन्म के एक घण्टे में करा दें.
2. नवजात के रोये बिना भी अपने आप उसे स्तनपान बारम्बार कराते रहें, रात को भी अपने आप उठ-उठकर 2-3 घण्टे में एक अथवा उसकी आवश्यकता व इच्छा के अनुसार अनेक बार
3. आरम्भ में बच्चा आसानी से दूध नहीं पी पाता, इसलिये उसके पूरे शरीर को अपने पूरे पेट पर रखकर उसके सिर को अपनी ओर हाथों से सँभालते हुए दूध पिलायें तथा आपकी व बच्चे की स्थिति ऐसी हो कि बच्चे का मुख उसके शेष शरीर की अपेक्षा ऊपर की ओर हो किन्तु सिर सहित पूरा शरीर सीध में हो.
4. बच्चे को पकड़ते समय उसके पूरे शरीर को अपने दोनों हाथों से सँभालकर उठाना है किन्तु साथ में उसके सिर को भी सँभालना है क्योंकि अभी उसकी गर्दन मजबूत नहीं .
5. बच्चा इतना छोटा है कि उसके लिये अपने आप अपने सोने के आसन को बदल पाना आसान नहीं, आप उसे समतल व धरती के समानान्तर सतह पर लिटायें.
6. बच्चे के कपड़े अत्यधिक मुलायम, ढीले व ठीक से धुले हुए हों.
7. बच्चे की माँ जंक, फ़ास्ट फ़ूड, चिप्स-नमकीन, सोफ़्ट व कोल्ड ड्रिंक इत्यादि के बजाय विशेष रूप से पोषक आहार का सेवन करें क्योंकि यदि यह पौष्टिक पदार्थों का सेवन करेगी तो इसके दूध में भी वे पोषक तत्त्व आयेंगे जो अन्ततः बच्चे को प्राप्त होंगे.
किसी सब्जी-तरकारी विशेष के प्रति अनिच्छा हो तो उस अनिच्छा को त्याग दें, अन्यथा उससे सम्बन्धित विशेष पोषक न आपको मिलेंगे, न बच्चे को तथा यह आशंका भी पनप जायेगी कि वह बच्चा भी बड़े होकर उन खाद्य-सामग्रियों के प्रति अरुचि का भाव रखेगा तथा सम्बन्धित विशिष्ट पोषकों की कमी से जूझेगा.
8. तेज धूप, हवा व अन्य तीव्र प्रतिकूलताओं से उसे बचायें.
9. घर में अगरबत्ती जलाते व भोजन तैयार करने समय खिड़कियाँ खुली हों ताकि संवातन (वेण्टिलेशन) सहज रहे, उसे चैबीसों घण्टे आक्सीजनयुक्त ताज़ी हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करें.
10. यदि कोई चोट-मोच, घाव अथवा अन्य कोई गड़बड़ लगे अथवा उसके व्यवहार में शान्ति अथवा असामान्यता अनुभव हो अथवा पीलापन अथवा नीलापन दिखे, गर्माहट बढ़ी लगे, बहुत रोये, दूध अच्छे से न निगल पा रहा हो, हरी अथवा रक्तयुक्त उल्टी करे, दूध न पी रहा हो तो अथवा साँस ठीक से न ले पा रहा हो तो मन से अथवा फ़ार्मासिस्ट से पूछकर प्रयोग करने के बजाय तुरंत बाल-रोग चिकित्सक के पास जायें.
11. बच्चे के ओढ़ने-बिछाने व पहनने के समस्त कपड़ों को नियमित रूप से धोते व तेज धूप में सुखाते रहें.
12. बच्चे के सोने का स्थान यदि पलंग है तो उसके सोने के सभी ओर तकिये इत्यादि इस प्रकार रख दैवें कि किसी भी प्रकार से वह गिर न पाये तथा साथ ही साथ ध्यान रखना कि कोई तकिया, कपड़ा इत्यादि उस पर गिर न सके क्योंकि अपने ऊपर लुढ़क कर गिरे तकिये व उलझे कपड़े को वह आसानी से हटा नहीं पायेगा.
13. बच्चे के नाक-मुँह पौंछने, पहनाने के कपड़े संख्या में अधिक हों व सूती हों एवं इन्हें अलग रखें जो कि अत्यधिक नर्म व पतले हों जिन्हें बारम्बार धोना-सुखाना भी सरल हो.
14. बच्चे के मलमूत्र लगे कपड़ों को डिटोल अथवा अन्य किसी तेज असरदार पदार्थ से अवष्य धोयें परन्तु वह पदार्थ भी अन्त में धुलकर निकल जाये यह ध्यान रखना.
15. बच्चा अभी इतना छोटा है कि उसे सरलता से कोई भी संक्रमण (जैसे कि कवक/फफूँद संक्रमण) लग सकता है इसलिये उसकी बिछावन व कपड़े किसी में भी किसी भी प्रकार का हल्का-सा भी गीलापन लगे तो तुरंत बदल लें.
16. बच्चे को 6 माह तक केवल स्तनपान पर रखें, बाद में धीरे-धीरे एकदम तरल सामान्य सामग्रियों का बारीक पोषक मिश्रण देना आरम्भ करना है, तत्पश्चात कुछ समय बाद स्तनपान कराना छोड़ देना है एवं अन्य व्यक्तियों जैसे सामान्य पौष्टिक भोजन-पान की ओर ले चलना है.
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