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अपच (बदहज़मी) के लक्षण दूर करने के उपाय

October 23, 2020 By Surendra Mahara Leave a Comment

अपच (बदहज़मी) के लक्षण दूर करने के उपाय Dyspepsia Indigestion Symptoms Causes Upay In Hindi

Table of Contents

  • अपच (बदहज़मी) के लक्षण दूर करने के उपाय Dyspepsia Indigestion Symptoms Causes Upay In Hindi
      • अपच की परिभाषा (Indigestion Defination) :
    • Dyspepsia Indigestion Symptoms Causes Upay In Hindi
      • अपच के लक्षण (Dyspepsia Symptoms) :
      • अपच का जोख़िम अधिक किन्हें :
      • अपच के कारण व जाँचें (Couses Of Indigestion ) :
      • अपच से सावधानियाँ :
      • अपच का उपचार (Apach Ka Upchar) :

Dyspepsia Indigestion Symptoms Causes Upay In Hindi अपच (बदहज़मी, इन्डाइजेशन/डिस्पेप्सिया) दूर करने के उपाय

अपच की परिभाषा (Indigestion Defination) :

अपच स्वयं में कोई रोग नहीं बल्कि अन्य समस्याओं का एक लक्षण होता है, जैसे कि गेस्ट्रोइसोफ़ेगल रिफ़्लक्स डिसीस (Gastroesophageal reflux disease), अल्सर अथवा पित्ताशय के किसी रोग का लक्षण। अपच में खाना शीघ्र अथवा ठीक से पच नहीं पाता व खाने के बाद पेट सहज नहीं रह पाता तथा मल में अधपचे आहार के टुकड़े दिखने भी सम्भव हैं।

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Indigestion Symptoms Causes

Dyspepsia Indigestion Symptoms Causes Upay In Hindi

अपच के लक्षण (Dyspepsia Symptoms) :

1. पेट के ऊपरी भाग में बनी रहने वाली अथवा बार-बार होने वाली असहजता अथवा दर्द

2. पेट के ऊपरी भाग में अथवा आमाशय में जलन (वैसे यह जलन एवं अपच दो भिन्न स्थितियाँ हैं)

3. उदरीय पीड़ा

4. पेट भरा-भरा-सा लगना (बिना खाना खाये अथवा थोड़ा-सा खाने पर भी)

5. डकारें एवं गैस

6. मतली एवं उल्टी

7. मुख में अम्लीय स्वाद बनना

8. आमाशय में गुड़गुड़ाहट

9. पेट से गले की ओर कोई तरल अथवा ठोस जैसा पदार्थ ऊपर उठने जैसी अनुभूति

10. अनावश्यक पसीना आना

इसमें छाती की गहराई में जलन साधारणतया होती ही है किन्तु यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण भी हो सकती है। अस्पष्ट कारणों से भार घट रहा हो अथवा काला मल आ रहा हो अथवा खाना निगलने में कठिनाई हो तो जाँच में शीघ्रता आवश्यक है।

अपच का जोख़िम अधिक किन्हें :

1. मद्यपान
2. तम्बाकू-सेवन करने वाले
3. एस्पिरिन अथवा अन्य ड्रग्स जो पेट में विघ्न लाते हैं जिनमें अन्य दर्द निवारक दवाएँ भी सम्मिलित हैं
4. पाचन-पथ में असामान्यता लाने वाली अन्य स्थितियाँ, जैसे के अल्सर
5. अग्नाशय अथवा पित्तवाहिनी से सम्बन्धित समस्याएँ
6. भावनात्मक समस्याएँ, जैसे कि चिंता व अवसाद, वैसे ऐसी भावनात्मक स्थिति में उपरोक्त लक्षण तेज हो सकते हैं

अपच के कारण व जाँचें (Couses Of Indigestion ) :

1. एक्सरे व एण्डोस्कोपी में अल्सर इत्यादि की उपस्थिति पता की जा सकती है। एण्डोस्कोपी में मुख से एक नली डालकर पेट के ऊपरी हिस्से व आँत को देखा जाता है, इस नली में एक Camera व एक टार्च होता है।

2. जठर शोथ (आमाशय में सूजन) को परखने के लिये आमाषय की बायोप्सी कराकर सूक्ष्मदर्शिय परीक्षण कराया जा सकता है। इस बायोप्सी में अलग से हेलिकोबैक्टर पायलोरी नामक सूक्ष्मजीव की जाँच भी करायी जा सकती है जो अपच का एक कारण हो सकता है।

3. हो सकता है कि मधुमेह, थायराइड रोग, हाइपरपॅराथायरायडिज़्म व गम्भीर वृक्क(किड्नी) रोगों से भी परोक्ष रूप से अपच हो जाये तो सम्बन्धित रोगोपचार अलग से आवष्यक होगा। आँत में ख़ून के प्रवाह की कमी या ब्लाकेज होने से यदि अपच हो तो सम्बन्धित जाँचें व उपचार आवश्यक होंगे।

4. उदर (एब्डामेन) में कोई समस्या की आशंका हो तो एब्डामिनल सीटी स्कॅन किया जा सकता है जिसमें शिराओं में एक रंजक (डाए) प्रवेश करा दिया जाता है। रंजक (डाए) माॅनिटर पर दिखता है। इसमें उदर के भीतर की 3डी इमेज उत्पन्न करने के लिये एक्स-रे इमेजेज़ की शृंखला होती है।

अपच से सावधानियाँ :

1. धूम्रपान, कोल्ड, सोफ़्ट ड्रिंक्स, फ़ास्ट, जंक फ़ूड सहित कार्बोनेटेड पदार्थों व सोडा से दूरी बरतें।

2. मुख खुला रखकर पीने अथवा बाॅतल से लगातार धार में पानी पीने एवं हड़बड़ाहट में अथवा जल्दबाज़ी में खाने से बचें।

3. खाना एक बार में न खिलाये तो कई बार खाते हुए पूरी ख़ुराक सेवन करें।

4. पेट के बल न सोयें।

5. माँसाहार त्यागें, ध्यान रहे कि अण्डा भी माँसाहार में सम्मिलित है।

6. कब्ज़ बना रहे, पेट में कुछ चुभता हो अथवा लौह की कमी से होने वाला

7. एनीमिया कभी हुआ हो अथवा मूत्रोत्सर्ग सहज न हो तो इन स्थितियों को उपचार के दौरान चिकित्सक को बतायें।

8. प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिक्स) का प्रयोग अत्यधिक आवष्यक पड़ने पर व चिकित्सकीय निर्देश पर ही करें, ये शरीर के उन उपयोगी सूक्ष्मजीवों को भी नष्ट कर डालते हैं जो पाचन-प्रणाली सुचारु रखने में सहायक रहते हैं।

9. छाती में जलन इत्यादि को दिल की बीमारी समझ तनावग्रस्त न हौवें।

10. भारतीय शौचालय का प्रयोग करें ताकि पेट सरलता से व ठीक से साफ़ हो।

11. यदि समस्या ठीक न हो तो पेट व आँत रोग विशेषज्ञ से मिलें।

12. बच्चों में अपच ठोस सामग्रियों को ठीक से चबाये बिना खाने से हो सकता है अथवा सम्भव है कि उन्होंने कोई अखाद्य सामग्री निगल ली हो तो सम्बन्धित जाँचों व उपचारों की ओर बढ़ें। भूख कम लगने अथवा नींद व साँस लेने में कोई समस्या हो अथवा मल-मूत्र के रंग अथवा गंध में असामान्य परिवर्तन होने पर बाल-रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।

13. गर्भावस्था में अपच होने पर स्त्रीरोगविशेषज्ञा (Gynecologist) से सम्पर्क करें, वैसे साथ में पेट व आँत रोग विशेषज्ञ से भी सम्पर्क की आवष्यकता पड़ सकती है। गर्भावस्था के आरम्भ में शरीर प्रोजेस्टेरान व रिलेक्सिन नामक हार्मोन्स अत्यधिक बना रहा होता है जिनसे हो सकता है कि भोजन धीरे-धीरे गति कर पा रहा हो, इस प्रकार उसका पाचन मंदा हो गया हो, यदि यह स्थिति नियन्त्रण में हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं होती।

14. रात्रि में भोजन के उपरान्त जब भी सोयें तो बायीं करवट में सोयें।

15. कपड़े ढीले पहनें।

16. भोजन के तुरंत बाद गिलासभर पानी न पियें, घूँटभर पीकर बाद में जीभर पियें।

17. चाय-काफ़ी व चोकोलेट का सेवन कम करें, खाने के आधे घण्टे पहले व बाद में चाय-काफ़ी यथासम्भव न पियें।

18. जले-भुँजे, तैलीय व अत्यधिक वसीय खाने कम खायें।

अपच का उपचार (Apach Ka Upchar) :

1. अदरख व कालीमिर्च को आहार में बढ़ायें

2. पानी व तरल पदार्थों को बढ़ायें, पानी का स्वाद यदि न भा रहा हो तो उसमें फल रस, गुड़ इत्यादि हानिरहित स्वाद मिलाकर पी सकते हैं परन्तु पूरे दिन ऐसा न करें, अलग से सादा पानी महत्त्वपूर्ण होता है

3. अंजीर खायें

4. गेहूँ के जवारों व घींक्वार/ ग्वारपाठा का रस पीयें, आजकल ऐसे रस बड़े शहरों सहित छोटे कस्बों में भी मिलने लगे हैं, प्रायः प्रातः काल में जिन्हें घर लाकर कभी भी पिया जा सकता है.

5. नारियल-पानी पीयें, भोजन में पुदीना, अजवायन व जीरे की मात्रा बढ़ायें.

6. भोजन में रेशो (जैसे कि भाजियों, गाजर-मूली इत्यादि) का प्रयोग बढ़ायें।

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