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अश्वगंधा के होने वाले लाभ एवं हानियाँ

September 1, 2020 By Surendra Mahara Leave a Comment

अश्वगंधा के होने वाले लाभ एवं हानियाँ Ashwagandha Benefit Side Effect In Hindi

Table of Contents

  • अश्वगंधा के होने वाले लाभ एवं हानियाँ Ashwagandha Benefit Side Effect In Hindi
    • Ashwagandha Benefit Side Effect In Hindi
      • अश्वगंधा से होने वाले लाभ :
      • अश्वगंधा से हानियाँ व विरोधाभास :

Ashwagandha Benefit Side Effect In Hindi

अश्वगंधा के नाम का आधार इसकी जड़ों की गंध है जो अश्व की गंध के समान लगती है। अश्वगंधा एक सदाबहार पौधा है जो भारत, मध्य-पूर्व एवं अफ्ऱीका के कुछ भागों में पाया जाता है। इसकी जड़ व नारंगी-लाल रंग के फल का सेवन हज़ारों वर्षों से विविध चिकित्सात्मक प्रयोजनों से किया जाता रहा है। अश्वगंधा को इंडियन जिन्सेंग अथवा Winter Cherry भी कहा जाता है। आधुनिक वनस्पति विज्ञान में इसे विथानिया सोम्निफ़ेरा कहते हैं।

इसकी पत्तियों, बीजों का भी प्रयोग विभिन्न रोगोपचारों में सुझाया जाता रहा है। अश्वगंधा का प्रयोग एकल औषधि अथवा अन्य औषधियों के साथ सम्मिश्रित रूप से Tablet, कैप्शूल व चूर्ण के भी रूप में कराया जाता रहा है, जैसे कि अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण, अश्वगंधा रसायन, अश्वगंधा घृत, अश्वगंधा एक्स्ट्रॅक्ट कैप्शूल ।

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Ashwagandha

Ashwagandha Benefit Side Effect In Hindi

अश्वगंधा से होने वाले लाभ :

1. अश्वगंधा में फ़ास्फ़ोरस, कैल्शियम, पोटेशियम व मैग्नीशियम इत्यादि विविध खनिज होते हैं। मैंग्नीज़, लौह, जस्ता व ताँबे की मात्राएँ भी इसे उगाये जाने वाले विभिन्न अँचलों में काफ़ी देखी गयी हैं। ऐसा माना जाता है कि शुष्क जलवायु में उगे अश्वगंधा में पोषणात्मक मान सर्वाधिक होता है। गुज़रे ज़माने से अश्वगंधा के कई लाभ गिनाये जाते रहे हैं.

2. कोष्ठबद्धता (Kabj/कब्ज़) से दूर होने में – आथ्र्राइटिस से पनपे दर्द को दूर करने में Ashwagandha एक पीड़ानाशक के रूप में जाना जाता है। इसमें प्रदाहरोधी ( सूजन दूर करने वाले) लक्षण भी पाये गये हैं, इस कारण यह र्हूमेटायड आथ्र्राइटिस सहित आथ्र्राइटिस के अन्य रूपों में लक्षणों की तीव्रता कम करने में सहायक है।

3. अनिद्रा से उबरने में – तनाव का प्रभाव घटाने में अश्वगंधा प्रशान्तक प्रभाव उत्पन्न करता है, अश्वगंधा के सेवन से तनाव-हाॅर्मोन कोर्टिसाॅल का स्तर घटने का दावा किया जाता रहा है

4. त्वचा-सम्बन्धी समस्याएँ दूर करने में

5. जठरान्त्र (पेट व आँत) से जुड़े विकार सुधारने में.

6. मधुमेह के नियन्त्रण में अश्वगंधा का प्रयोग मधुमेह के उपचार में अवश्य किया जाता रहा है परन्तु ध्यान रहे कि तनिक भी लापरवाही विपरीत प्रभाव पैदा कर सकती है क्योंकि नियमित रक्त-जाँचें न करायी जायें तो अश्वगंधा से रक्त-शर्करा असामान्य स्तर पर घट सकती है जो कि असामान्य स्तर पर उच्च रक्त-शर्करा जितनी घातक स्थिति हो सकती है।

7. नर्वस ब्रेकडाउन्स ठीक करने में

8. मूत्रवर्द्धक : अश्वगंधा के बीज मूत्रवर्द्धक कहे जाते हैं, इस प्रकार वृक्क(किडनी) को साफ रखने में सहायता होती है।

9. ज्वर (बुखार) उतारने में

10. सर्पदंश उतारने में

11. उच्चरक्तचाप को घटाकर सामान्य करने में : अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण दूध के साथ सेवन कराये जाने पर उच्चरक्तचाप के उपचार में सहायक पाया गया है। अनुपान के रूप में जल का उपयोग करने पर भी प्रभावी पाया गया किन्तु अनुपान के रूप में दूध का उपयोग अधिक प्रभावी पाया गया था। आयुर्वेद में ‘अनुपान’ शब्द का अर्थ वह पदार्थ होता है जिसके साथ औषधि का सेवन कराया जा रहा .

उदाहरण के लिये अश्वगंधा का सेवन यदि दूध के साथ करने को कहा गया हो तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि अश्वगंधा का अनुपान दूध है। रक्तचाप की नियमित जाँचें Necessary हैं, अन्यथा Ashwagandha के सेवन से रक्तचाप अचानक घट अथवा बढ़ सकता है जिससे शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है।

12. स्मृतिलोप (याददाश्त भूल जाने की समस्या) ठीक करने में : परखनलियों एवं पशुओं में किये अध्ययनों में ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अश्वगंधा से स्मृति व मस्तिष्क कार्यसम्बन्धी ऐसी समस्याओं में कुछ राहत हो सकती है जो चोट अथवा किसी रोग से आयी हों

13. प्रतिरक्षा-तन्त्र को सुदृढ़ करने में : मानवों में किये अध्ययनों में ऐसा पाया गया है कि अष्वगंधा के सेवन से शरीर में प्राकृतिक मारक कोशिकाओं की क्रियाशीलता बढ़ जाती है जो कि प्रतिरक्षात्मक कोशिकाएँ हैं जो संक्रमण से लड़ती हैं एवं दैहिक स्वास्थ्य की रक्षा करती हैं परन्तु किसी आटो-इम्यून डिसआर्डर अथवा अंग-प्रत्यारोपण जैसी स्थितियों में अश्वगंधा का प्रयोग एलोपॅथिक व आयुर्वेदीय चिकित्सकों संग अत्यधिक विचार-विमर्श से ही किया जा सकता है।

14. हृदयक स्वास्थ्य में उपयोगी : अश्वगंधा से उच्चरक्तचाप, उच्च कोलेस्टॅराल, सीने में दर्द के उपचार में सहायता होती है एवं इस प्रकार यह हृदय के स्वास्थ्य के लिये उपयोगी है। अश्वगंधा से ट्राईग्लिसराइड्स का स्तर घटता है जो कि वसा (वसाभ अर्थात् लिपिड) का एक प्रकार है जो रक्त में पाया जाता है।

भोजन के दौरान जितनी कैलोरी तात्कालिक प्रयोग में न आवश्यक हो उसे ट्राईग्लिसराइड्स में परिणत कर दिया जाता है। येट्राईग्लिसराइड्स शरीर की वसा-कोशिकाओं में संचित हो जाते हैं एवं बाद में धीरे-धीरे रक्त में निकलते रहते हैं। इनकी अधिकता हृदय व रक्तवाहिकाओं के लिये ठीक नहीं होती।

अश्वगंधा से हानियाँ व विरोधाभास :

ध्यान रखें कि अब तक अश्वगंधा के स्वास्थ्यगत लाभों के दावे मुख्य रूप से पशुओं में किये गये अध्ययनों पर आधारित हैं, मनुष्यों में निम्नांकित हानियों की आशंकाएँ हैं –

1. गर्भवतियों में अश्वगंधा से शीघ्र प्रसव का जोख़िम रहेगा।

2. कुछ कैंसर्स, अल्ज़ाइमर्स एवं चिंता इत्यादि के उपचार में किये गये दावों में अभी और अनुसंधान की आवश्यकता है। अश्वगंधा का प्रयोग ‘एडॅप्टोजेन्स’ के रूप में किया जाता रहा है, एडॅप्टोजेन्स ऐसे विषरहित पौधों को कहा जाता है जिनका विक्रय समस्त प्रकार के तनावों को दूर करने में किया जाता रहा है फिर चाहे वे शारीरिक तनाव हों, रासायनिक व जैविक तनाव।

3. कम से मध्यम मात्राओं में अश्वगंधा के औषधीय सेवन का उल्लेख तो मिलता है परन्तु सम्भावित दुष्प्रभावों को जानने की ओर दीर्घावधिक अध्ययन नहीं किये गये हैं।

4. कई बार अश्वगंधा-मिश्रित ऐसे पदार्थ बाज़ार में ले आये जाते हैं जो फ़ार्मास्युटिकल कम्पनियों व खाद्य-उत्पादकों की कसौटियों में खरे नहीं उतर रहे होते; उदाहरणार्थ एक अध्ययन के निष्कर्ष में देखा गया कि यूनाइटेड स्टेट्स व भारत में बनाये गये 20 प्रतिषत् से अधिक उत्पादों में सीसा (लेड), पारा (मर्करी) एवं आर्सेनिक की मात्रा सेवन-योग्य मात्रा से अधिक पायी गयी।

5. थायराइड स्तर बढ़ने की आशंका : अश्वगंधा से थायराइड स्तर बढ़ सकता है। इसलिये थाइराइड-औषधि सेवन करने वालों को अश्वगंधा से बिल्कुल दूर रहने की सलाह दी गयी है। यदि जाँचों में थाइराइड स्तर ऊपर-नीचे पाये जाते हों तो भी विशेष सावधानी बरतनी पड़ेगी।

6. पेट में व्रण (अल्सर) रहा हो अथवा आशंका हो अथवा शरीर के किसी भी भाग में शल्य क्रिया करायी हो अथवा कराने की सम्भावना हो अथवा प्रतिरक्षा-तन्त्र अथवा तन्त्रिका-तन्त्र से सम्बन्धित कोई समस्या रही हो तो भी अश्वगंधा के प्रयोग में सतर्क रहने की आवश्यकता होगी.

7. अश्वगंधा को किसी रोग के उपचार की औषधि के रूप में न देखें, इसे मात्रात्मक व अवधिगत रूप से सीमित रूप में चिकित्सात्मक औषधियों के साथ एक अवयव के रूप में देखा जा सकता है किन्तु इसमें भी सुयोग्य चिकित्सक स विचार-विमर्श आवश्यक।

8. अश्वगंधा का सेवन यदि अधिक अवधि तक अथवा अधिक मात्रा में अथवा बारम्बार किया जाये तो पुरुषों में स्तन-विकास पाया जा चुका है।

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