वक़्त की ठोकर का शिकार Waqt Ki Thokar Hindi Kavita
Waqt Ki Thokar Hindi Kavita
दोस्तों, हमारी ज़िन्दगी में कई बार ऐसा समय आता है जहाँ पर ज़िन्दगी हमें मुश्किल समय में ले आती है और हमें एक जोर का ठोकर देती है जब सब सही चल रहा हो तब कुछ ऐसा हो जाए जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी तब वह एक ठोकर होती है जो हमें फिर से उठने के लिए प्रेरित करते है. तो इस कविता में इसी के बारे में बताया गया है तो इसे अंत तक जरुर पढ़ ले, I Hope की आपको यह बहुत पसंद आएगी.
Waqt Ki Thokar Hindi Kavita
वक़्त की ठोकर का शिकार हुये है,
तबीयत ठीक है जिनकी अब वो बीमार हुये है,
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चट्टानों से मजबूत हौसलें थे जिनके,
वक़्त की मार से अब वो बेकार हुये है,
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हमारे बीच अब तो दोस्ती जैसा कुछ नहीं बचा,
कुछ एहसान फरामोश और खुदगर्ज हमारे यार हुये है,
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इंसान यहां दोहरे किरदार निभा रहा,
अब चोर यहां आज साहूकार हुये है,
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बाप को बात – बात पर अब आँख दिखा रहा है बेटा,
आधुनिकता की चकाचौंध में गायब संस्कार हुये है,
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स्वार्थी संसार पर कुठाराघात करती यह कविता, सत्य के काफी करीब । पढ़कर बहुत अच्छा लगा ।