विटामिन्स की कमी के कारण नुकसान और समाधान Lack Of Vitamin Problem Harm Solutions In Hindi
Table of Contents
Lack Of Vitamin Problem Harm Solutions In Hindi
विटामिन्स ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर की सामान्य बढ़त व परिवर्द्धन सहित सामान्य शारीरिक क्रिया-प्रणालियों के लिये आवश्यक होते हैं। वैसे तो विटामिन्स की सूची बड़ी है परन्तु 13 मुख्य विटामिन्स का विवरण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है –
Lack Of Vitamin Problem Harm Solutions In Hindi
विटामिन-ऐ : वसा-विलयशील (वसा में घुलनशील) यह विटामिन यकृत में जमा होता है। यह रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) व कैन्सर को दूर रखने में आवश्यक रहता है। यह गर्भावस्था व स्तनपान अवस्था के दौरान अत्यधिक आवश्यक हो जाता है तथा बुढ़ापे के प्रभावों को घटाने में भी सहायक है। इसके प्रमुख स्रोतों में शकरकंद, शलजम के पत्ते, गाजर, पालक, आम, तरबूज, पपीता, खुबानी (एप्रिकोट), संतरा सम्मिलित हैं।
बी-विटामिन (थियामिन, राइबोफ़्लेविन, नियासिन, पॅण्टोथेनिक अम्ल, बायोटिन, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12 एवं फ़ोलेट) :
थियामिन (विटामिन बी-1) : साबुत अनाजों व सूखे मेवों सहित काली सेम में पाया जाने वाला यह विटामिन नेत्र व पेशियों की कार्यप्रणाली को सामान्य रखने एवं थकान कम रखने में सहायक है। यह विटामिन बुढ़ापे व मद्यपान के प्रभावों को कम करने में भी सहायक है।
राइबोफ़्लेविन (विटामिन बी-2 : सामान्य कोशिका बढ़त में सहायक यह विटामिन रक्त व नेत्र समस्याओं को दूर रखने में सहायक है। इसकी प्रचुर मात्रा सोयाबीन, बादाम व गेहूँ सहित अन्य अनाजों में पायी जाती है।
नियासिन (विटामिन बी-3) : हानिप्रद कोलेस्टॅराल (लाडेन्सिटी लिपिड) के स्तर को घटाने, लाभप्रद कोलेस्टॅराल (हाई डेन्सिटी लिपिड) स्तर को बढ़ाने में सहायक नियासिन कद्दू एवं इसके बीजों, सोयाबीन, मूँगफली, विभिन्न फलियों, धान्य इत्यादि में पाया जाता है।
पेण्टोथेनिक अम्ल (विटामिन बी-5 : दलहनों एवं विभिन्न तरकारी-भाजियों में पाया जाने वाला यह Vitamin लालरक्त कोषिकाओं व पाचन-तन्त्र के सुचारु कार्य-व्यवहार के लिये आवश्यक है।
बायोटिन (विटॅमिन-एच : जल-विलयशील (पानी में घुलनशील) यह विटामिन बालों को झड़ने से व त्वचा के पपड़ीदार होने से बचाता है। बायोटिन केला, मश्रूम, सोयाबीन व साबुत अनाजों में मिलता है।
विटामिन बी-6 (पायरिडाक्सिन : अवसाद को दूर रखने, हीमोग्लोबिन-उत्पादन को बढ़ावा देकर एनीमिया से दूर रखने व नेत्रस्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक यह विटॅमिन आलू, साबुत अनाजों में पाया जाता है।
विटामिन बी-12 (सायनोबेलेमिन : दूध, अंकुरित अनाजों में पाया जाने वाला यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण व विभाजन, तन्त्रिका-तन्त्र के लिये आवष्यक होता है जिसकी कमी से हाथ-पैरों में सुन्नपन व त्वचा का रंग फीका पड़ने जैसी समस्याएँ पनप सकती हैं।
फ़ालेट : फलियों, मशरूम व खरबूज में पाया जाने वाला फ़ालेट आनुवंशिक सामग्री के निर्माण एवं सामान्य शारीरिक परिवर्द्धन में आवश्यक है।
विटामिन-सी : आँवले इत्यादि खट्टे फलों सहित अमरूद, पपीता, आम, अजवायन, अजमोद में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला Vitamin-C सर्दी-खाँसी-ज़ुकाम से दूर रखने में, स्वस्थ त्वचा, अस्थियों-उपास्थियों के लिये सहायक है।
विटामिन-डी : सुदृढ़ अस्थियों के लिये एवं माँसपेशियों की कमज़ोरी से बचने के लिये Vitamin-D आवश्यक है। हृदयरोगों से बचने में भी यह आवश्यक है। विटामिन-डी के लिये धूप में भी अपने अनेक कार्य करें एवं दूध, नारंगी व सोयाबीन का सेवन करें।
विटामिन-ई : धमनियों व शिराओं के स्वास्थ्य सहित रक्त में हानिप्रद पदार्थों को मिटाने में यह विटामिन आवश्यक है जो वायु-प्रदूषण व धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों को घटाने में भी सहायक है। यह सूर्यमुखी-बीजों, अखरोट, पालक, टमाटर में पाया जाता है।
विटामिन-के : यह हड्डियों व हृदय के कार्य सुचारु रखने सहित चोट लगने पर अत्यधिक रक्तस्राव न हो जाये इसके लिये रक्तस्कन्द (ख़ून का थक्का) जमाने में आवश्यक है। यह दुग्धोत्पादों व पालक में पाया जाता है।
शरीर में अधिकांश विटामिन्स का प्रवेश सामान्य भोजन से प्रायः हो जाया करता है परन्तु आजकल Vitamin B-12 की प्राप्ति सहज नहीं हो पाती क्योंकि वानस्पतिक विविधता घटी है एवं लोगों में खान-पान के प्रति बहाने भी बहुत बनाये जाने लगे हैं. विटामिन-डी व विटामिन-के का संष्लेषण शरीर स्वयं कर लेता है इस कारण इनकी चिंता करने की आवश्यकता साधारणतया नहीं पड़ती।
भ्रांति : आजकल Vitamins के सप्लिमेण्ट्स सेवन करने आवष्यक हो जाते हैं तभी स्वस्थ रहा जा सकता है !
निवारण : समस्त पोषक तत्त्व नैसर्गिक रूपों में सेवन किये जाने पर ही लाभप्रद होते हैं, कृत्रिम अथवा रासायनिक अथवा अन्य प्रकार के सप्लिमेण्ट्स किन्हीं विशिष्ट चिकित्सा-स्थितियों में चिकित्सक की देखरेख में अति सीमित मात्रा व अवधि के लिये सुझाये जा सकते हैं किन्तु ये नैसर्गिक जितने लाभकारी नहीं रहते एवं दुष्प्रभाव निश्चित पड़ते हैं, जैसे कि विटामिन -ऐ सप्लिमेण्ट्स से दृष्टि सम्बन्धी समस्याएँ, संधियों (जोड़ों) व अस्थियों में दर्द, जी मिचलाना, सूर्य प्रकाश के प्रति अनावश्यक संवेदनशीलता, बाल झड़ना, सिरदर्द, सूखी त्वचा.
थियामिन सप्लिमेण्ट्स से एलर्जिक Reactions, त्वचा का रंग बदलना.
राइबोफ़्लेविन सप्लिमेण्ट्स से साँस लेने में कठिनाई, चेहरे, होंठों, जिह्वा व गले में सूजन.
नियासिन सप्लिमेण्ट्स से सिर चकराना, दिल की धड़कन तेज होना, खुजली, जी मिचलाना व उल्टी, पेट दर्द, दस्त, गाउट (आथ्र्राइटिस का एक प्रकार जिसमें शरीर में यूरिक अम्ल बढ़ चुका होता है), यकृत-क्षति एवं मधुमेह.
पेण्टोथॅनिक अम्ल सप्लिमेण्ट्स से पेशीय पीड़ा, संधियों में दर्द, मधुमेह, गले में सूजन.
बायोटिन सप्लिमेण्ट्स से त्वचा पर चकत्ते, बालों का झड़ना, हृदयक समस्याएँ.
विटामिन बी-6 सप्लिमेण्ट्स से तन्त्रिका-तन्त्र को हानि.
विटामिन बी-12 सप्लिमेण्ट्स से रक्तवाहिनियों की समस्याओं सहित रक्त-कैंसर. फ़ालेट के सांष्लेशक रूप फ़ालिक अम्ल सप्लिमेण्ट्स से बच्चों में मानसिक परिवर्द्धन में बाधा एवं बड़ों में कैन्सर की आशंका.
विटामिन-सी सप्लिमेण्ट्स से पेट में दर्द, दस्त व गैस की संमस्या.
Vitamin-D सप्लिमेण्ट्स से वृक्काष्मरी (गुर्दों की पथरी), अस्थि-पीड़ा, कोष्ठबद्धता (कब्ज़).
Vitamin-E सप्लिमेण्ट्स से चक्कर आना, असामान्य कमज़ोरी, पेट में ऐंठन, नाक व मसूढ़ों से अपने आप रक्तस्राव होने लगना.
विटामिन-के सप्लिमेण्ट्स से पेशियों का लचीलापन कम हो जाना, यकृत का आकार बढ़ना, साँस लेने में कठिनता, पूरे शरीर में सूजन इत्यादि की आशंकाएँ मँडराने लगती हैं।
भ्रांति – कुछ विटामिन्स केवल माँसाहार में मिल सकते हैं !
निवारण – वास्तव में यदि खाने में विविधता रखी जाये तो बिना किसी विशेष प्रयास के सभी विटामिन्स शाकाहार में सुलभ हो जाते हैं. प्रचलित के साथ ही कम जानी-मानी एवं आजकल ग़ुमनाम हो चुकी पुरखों द्वारा उगायी जाने वाली भाजी-तरकारियों में वह सब मिल जाता है जिनकी कि मनुष्य को आवश्यकता है तथा ब्रेड, दहीं व अन्य किण्वित उत्पादों में भी कुछ पोषक तत्त्व सुलभ हो जाते हैं।
विटामिन्स की कमी का मुख्य कारण एवं हल :
1. पसन्द-नापसंद की आदतें :
तोरई, गिल्की, रोंसा फली, कटहल, सेम, चैलाई, पालक व धनिया इत्यादि सब्जी-भाजियों व तरकारियों के प्रति कई लोग अनिच्छा का भाव रखते हैं जिस कारण इनमें ही अधिक मात्रा में पाये जाने वाले पोषकों से वंचित रह जाते हैं। अतः यदि स्वाद पसंद न हो तो किसी अन्य व्यक्ति से अथवा अन्य प्रकार से उसकी सब्जी बनवायें।
चुकंदर की उपयोगिता बहुत अधिक है किन्तु इसमें यदि मीठापन कम हो तो लोग इसे पसन्द नहीं करते, स्वाद बढ़ाने के लिये चुकंदर को चिप्स जैसे फलकों में काटकर उनके मध्य अचार लगाकर खाया जा सकता है।
2. थाली में सर्व-समावेश का अभाव :
अनेक पोषक तत्त्व दूसरे पोषक तत्त्वों के अवशोषण में सहायक होते हैं एवं कुछ पोषक तत्त्व शरीर में स्वयं बनते हैं किन्तु उन्हें बाहर से अन्य पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है.
इन सब कारणों से यह आवश्यक हो जाता है कि थाली में विविध पोषकों की एक साथ उपलब्धता हो, जैसे कि कई प्रकार की भाजी-तरकारियों से बनायी मिश्रित सब्जियाँ, दालों व सागों को मिलाकर बनायी गयी सब्जियाँ, विभिन्न अनाजों के सम्मिश्रण से तैयार खिचड़ी, साथ में सलाद इत्यादि। खाना पकाने के तैलों को भी मासिक अथवा पाक्षिक आधार पर बदल-बदल कर प्रयोग करें।
3. अत्यधिक पकाना-प्रोसेस करना :
अधिक समय तक तलने-भूनने इत्यादि से अनेक पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं एवं डिब्बाबंद प्रोसेस्ड व फ़ास्ट फ़ूड्स में भी पोषक तत्त्वों की बहुत कमी रहती है जिनसे पेट तो भर सकता है परन्तु स्वास्थ्य को लाभ नहीं पहुँचता; इस प्रकार शरीर भाँति-भाँति के विटामिन्स व खनिजों इत्यादि से वंचित रह जाता है।
उपरोक्त सावधानियों को बरतते हुए अंकुरित अन्न का सेवन करना बेहतर रहेगा तथा आजकल विभिन्न स्थानों पर सुलभ कराये जाने वाले जवारे, ग्वारपाठे के रस, अंकुरित अनाज के पैकेट्स इत्यादि का भी समावेश नित्य किया जाये तो अच्छा रहेगा परन्तु रेशे सहित भी खायें क्योंकि रेशो में कुछ ऐसे पोषक तत्त्व होते हैं जो रसों से नहीं मिल पाते।
तो दोस्तों यह लेख था विटामिन्स की कमी के कारण नुकसान समाधान – Lack Of Vitamin Problem Harm Solutions In Hindi, Vitamin Ki Kami Ke Kaaran Nuksan Aur Samadhan Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
@ आप हमारे Facebook Page को जरूर LIKE करे ताकि आप मोटिवेशन विचार आसानी से पा सको. आप इसकी वीडियो देखने के लिए हमसे Youtube पर भी जुड़ सकते है.
tx for sharing….bahut hi achha likha hai aapne
विटामिन बी कॉन्प्लेक्स का हमारे जीवन में बहुत के लिए बहुत उपयोगी है इसके साथ-साथ आपने विटामिन k & H के बारे में जो जानकारियां लेख के माध्यम से दी हैं वो वाकई बहुत उपयोगी हैं । उनके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा ।
विटामिंस की कमी हमारे शरीर में क्यों हैं इन बिंदुओं को भी लेख में शामिल करके आपने इसलिए को और अभी महत्वपूर्ण बना दिया है जैसे भोजन को अत्यधिक पकाना एवं थाली में सभी प्रकार की खाद्य सामग्री की कमी इत्यादि। वाकई यह लेख हमें संतुलित भोजन एवं श्रेष्ठ भोजन की तरफ अग्रसर करेगा