बदलता इंसान – Badlata Insan Hindi Kavita
इंसां को इक खेल बनाया जाता है,
पत्थर में भगवान बसाया जाता है ।
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झूठों की दुनिया है ये झूठी दुनिया,
सच्चाई को सबसे छुपाया जाता है।
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अपने ही अपनों से लड़ते रहते हैं,
देखो तो कैसे बहकाया जाता है ।
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राहों में अब राही दर दर हैं भटके,
उनको देखो अब भटकाया जाता है ।
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पीने को पानी कैसे लाएंगे हम,
जब नदियों में जहर मिलाया जाता है ।
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ख्वाबों का अम्बर दिखलाते हैं पहले,
फिर देखो पर को कटवाया जाता है ।
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प्यार का नशा कहीं भी नजऱ नही आता,
नफ़रत का अब जाम पिलाया जाता है ।
– Talvindra Kumar
रचनाकार का परिचय :-
1- रचनाकार पूरा नाम :- तलविंद्र कुमार
2- पिता का नाम :- प्रभुराम जी कड़ेला
3- जन्म तारीख़ :- 20/05/1998
4- स्थायी पता :- गाँव- डेरिया, तह.- बालेसर, जिला – जोधपुर
5- फोन नम्बर एवं वाट्सएप नम्बर :- 9549256240
1- रचनाकार पूरा नाम :- तलविंद्र कुमार
2- पिता का नाम :- प्रभुराम जी कड़ेला
3- जन्म तारीख़ :- 20/05/1998
4- स्थायी पता :- गाँव- डेरिया, तह.- बालेसर, जिला – जोधपुर
5- फोन नम्बर एवं वाट्सएप नम्बर :- 9549256240
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Bahut hi prerna dene wali kavita
बहुत हि सुन्दर और सच बात, पढ़कर अच्छा लगा ||