मेरा गाँव वाला यार ! Mera Ganv Wala Yaar Hindi Kavita
Mera Ganv Wala Yaar Hindi Kavita
आज दिल बेचैन है और बड़ा बेकरार है,
बहुत याद आ रहा वो गाँव वाला यार है,
बार-बार नजर आज उसका चेहरा आ रहा है,
जैसे मुझे वो भी चीख-चीख के बुला रहा है,
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है गुजारा उसके साथ मैने सारा बचपन,
साथ मौज-मस्तियां, शैतानियां करते थे हम,
सबसे अलग, सबसे जुदा बहुत शानदार है,
शांत, सरल, सहज मेरा गाँव वाला यार है,
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बचपन बिताया अपना सारा उसके साथ गाँव में,
लड़ते-झगड़ते, खेलते थे बरगद के नीचे छांव में,
गर कभी भी रूठूं उससे तो मनाने आता था,
अगर कभी उदास बैठूं तो हंसा के जाता था,
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बड़े हुये दब गये है जिम्मेदारियों तले,
यार छूटा, गाँव छूटा हम शहर निकल चले,
सपनों का अपने गला घोंट किया उसने मेरी खातिर बलिदान है,
मुझे तो शहर भेज दिया वो आज गाँव का किसान हैं,
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बहुत सच्चा,बहुत अच्छा और बहुत ही महान है,
गाँव चुना, करके कुर्बान ख्वाब,बना वो किसान है,
आखिर उसका सपना मैंने पूरा किया,
किया था जो उससे वादा उसको निभा दिया,
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अब इस शहर को छोड़ गाँव जाने को तैयार है,
क्योंकि याद बहुत आ रहा वो गाँव वाला यार है,
अगर दोस्त न हो जिंदगी में तो जिंदगी बेकार है,
दोस्तों से ये जिंदगी हैं और उनसे ही ये संसार है,
– Shivankit Tiwari
-शिवांकित तिवारी “शिवा”
युवा कवि एवं लेखक
सतना (म.प्र.)
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पुराने दिनो के य्यादे जग गये भाई इससे पढने के बाद.
bhai amazing post// mere apne gaw ke dosto ki yaad aa gae
bahut hi badiya jankari Share ki hai apne. Thank You