ओ बेपरवाह सांवरिया O Beparwah Saawariyan Hindi Kavita
मेरी भी परवाह कर लो, ओ बेपरवाह सांवरिया
ओ बेपरवाह सांवरिया, मेरी भी परवाह कर लो.
तुम्हारे आने से उम्मीदों का बल्ब जला है
ठहरा ठहरा वक्त मेरा अब चल पड़ा है.
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झूठी इस दुनिया में मेरा प्यार सच्चा है,
रुमी वाले इश्क का अंदाज मुझ पे चढ़ा है.
अब तो मेरी तरफ देखकर..
मेरी भी परवाह कर लो, ओ बेपरवाह सांवरिया
ओ बेपरवाह सांवरिया, मेरी भी परवाह कर लो
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दरगाह दरगाह मिन्नतें मांगी मैंने
रोज-रोज तेरे पैरों के निशां ढूढ़े
और रोजाना चल पड़ते है तेरे पीछे पीछे
मौसम बदलते रहे मगर दिल का मौसम ना बदला,
बालू से भर गये सपनों के बोतल में कुछ ना कर सका.
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सूख गये मन के संमदर
मेरी भी परवाह कर लो, ओ बेपरवाह सांवरिया
ओ बेपरवाह सांवरिया, मेरी भी परवाह कर लो.
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पढ़ लो ना आँखों से आँखों की भाषा
ना इसमें धोखाधड़ी है, ना दिखावा जरा सा
इसमें तो उम्मीद है और प्यार है बेतहाशा.
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क्या फर्क पड़ता है, अगर मैं मर भी जाऊँ
इस अजनबी दुनिया से चला जाऊँ, फिर ना आऊँ
तब अफसोस करना उम्रभर
मेरी भी परवाह कर लो, ओ बेपरवाह सांवरिया
ओ बेपरवाह सांवरिया, मेरी भी परवाह कर लो.
Hindi Poem “ ओ बेपरवाह सांवरिया हिंदी कविता ” यह कविता हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Blog: rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
राज जी की कई कवितायेँ नयीचेतना में पब्लिश हो चुकी है. राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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