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पापों के परित्याग की प्रेरणा देता है दशहरा

October 8, 2018 By Surendra Mahara 2 Comments

दशहरा (विजयादशमी) पर बेस्ट निबंध Dussehra Par Nibandh

Table of Contents

  • दशहरा (विजयादशमी) पर बेस्ट निबंध Dussehra Par Nibandh
    • Dussehra Par Nibandh
    • आदर्श – पुरुष श्रीराम
    • पूजा सार्थक हो जायेगी

भारत (India) में इन दिनो त्यौहारों का सीजन चल रहा है। नवरात्रो के साथ ही दशहरे का सबको बेसब्री से इंतजार होता है। रावण – वध और दुर्गा – पूजन के साथ विजयदशमी की चकाचौंध हर जगह होगी।

दशहरे का त्यौहार जहाँ बच्चो के मन में मेले के रूप में आता है तो बड़ो को रामलीला की याद और स्त्रियो के लिए पावन नवरात्रों के रूप में यादो को जगाता है।

Dussehra Par Nibandh

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Dussehra

यह त्यौहार प्रतीक है की असत्य और पाप चाहे कितने भी बड़े हो, लेकिन अंत में जीत हमेशा सत्य की होती है। इस संसार में कहीं भी असत्य और पाप का साम्राज्य ज़्यादा नहीं टिकता। यही है दशहरा त्यौहार की शिक्षा।

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का आयोजन होता है। भगवान राम ने इस दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन जगह जगह मेले लगते है। दशहरा दस प्रकार के पापों – काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है।

यह एक पर्व एक दिन अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न रूपों में मनाया जाता है लेकिन फिर भी एकता देखने योग्य होती है। इस साल भी हमें आशा है की दशहरे का त्यौहार आपके जीवन से बुराइयों का अंत करेगा और समाज में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा।

दशहरे के दिन हम तीन पुतलों को जलाकर बरसों से चली आ रही परंपरा को निभा देते है लेकिन हम अपने मन से झूठ, कपट और छल को नहीं निकाल पाते है। हमें दशहरे के असली संदेश को अपने जीवन में भी अम्ल में लाना होगा, तभी यह त्यौहार सार्थक बन पायेगा।

आदर्श – पुरुष श्रीराम

चूँकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित्र एक आदर्श पुरुष का चरित्र है इसलिए सभी इस चरित्र और रामायण के अन्य पात्रों से शिक्षा ले, इसलिए नवरात्रों में जगह जगह रामलीला का मंचन किया जाता है।

राजा दशरथ को एक आदर्श पिता के रूप में भगवान राम को मर्यादा -पुरूषोत्तम व रघुकुल रीत रूपी वचनो का पालन के रूप में, भाई लक्ष्मण को बड़े भाई की भक्ति के रूप में, भाई भरत को बड़े भाई के प्रति समपर्ण के रूप में, कौशल्या को आदर्श माँ के रूप में, हमेशा याद किया जाता है।

वहीँ हनुमान जी की राम भक्ति, विभीषण की सन्मार्ग शक्ति, जटायु की पराक्रम सेवा और सुग्रीव की राम सेवा हमेशा अमर रहेगीं। चारो वेद और सभी 6 शास्त्रों को कंठस्थ कर लेने वाले लंकापति राजा रावण को उसके पुतले के प्रतीक में इस बार फिर जलाया जायेगा।

‘यह रावण सदियों से जलता आ रहा है। परन्तु फिर भी रावण हर साल जलने के लिए फिर सामने आ जाता है ! दरअसल, जितने रावण हम जलाते है उतने पैदा हो जाते है

पूजा सार्थक हो जायेगी

रामलीला मंचन के बाद दशहरे पर भले ही हम हर साल रावण जलाकर बुराई का अंत करने की पहल करते हो, परन्तु यथार्थ में रावण का अंत पुतलो को जलाने से नहीं होता। असली रावण तो हम सब के अंदर विकारों के रूप में विराजमान है।

काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार रूपी विकारो को जलाकर हम पावन बन जाए तो भगवान राम की पूजा सार्थक हो जायगी और रावण रूपी विकारो का भी अंत हो जायेगा।

इतना ही नहीं, रावण रूप में जो देश के गददार है, जो देश की शांति और इंसानियत का हरन करने वाले रावण रूप में जो व्याभिचारी है, रावण रूप में जो भ्रष्टाचारी है, रावण रूप में जो हिंसावादी है, रावण रूप में जो घोटालेबाज है.

रावण रूप में जो साम्प्रदायिक का जहर समाज रूप में घोल रहे है, रावण रूप में जो विकास के दुश्मन है, रावण रूप में जो अमानवतावादी है, उनका अंत करने से ही रामराज्य की परिकल्पना साकार हो सकती है।

फिर चाहे कितने ही रावण क्यों न जला लें जब तक घर-घर, गली-गली, गाँव-गाँव, शहर-शहर बैठे रावणो नहीं होगा, तब तक विजय दशमी के पर्व को सार्थक नहीं माना जा सकता।

तो आइए आज ही विजत दशमी पर्व पर यानी दशहरे पर भगवान राम की शपथ ले की हम भगवान राम को के आदर्शो पर चलकर सारे विकारो को त्यागकर उस रावण जगह-जगह से अंत करेंगे जो हमें राम से दूर कर रहा है। तभी रामलीला की पवित्रता और उसके प्रति श्रद्वा कायम रह सकती है।

यह त्यौहार हमें इस बात से भी अवगत कराता है की पाप व अन्याय चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, विजय हमेशा सच्चाई की होती है। सत्य का पलड़ा हमेशा ही भारी रहा है।

सत्य में ऐसा बल है, जो रावण जैसे अत्याचारी व अहंकारी मनुष्यों को जलाकर राख कर देता है, इसलिए हमें पाप व अन्याय से आंतकित नहीं होना चाहिए। हमें इस त्यौहार के वास्तविक अर्थ ग्रहण करना चाहिए। इस पर्व की साथर्कता रावण जलाने में नहीं, बल्कि अपने अंदर की आसुरी प्रवृति को जलाने में है।

दोस्तों, यह था दशहरे पर हिंदी आर्टिकल. आपको यह आर्टिकल कैसे लगा.कमेंट में जरुर बताये.

Vijay Pal

Website : www.helpbookk.com

 Dussehra Festival Essay In Hind यह लेख हमें भेजा है विजय पाल जी ने ellenabad Haryana से. विजय जी की अपनी एक वेबसाइट (helpbookk.com ) है जिसमे ये काफी बेहतरीन आर्टिकल लिखते है

नयीचेतना.कॉम में ” दशहरा (विजयादशमी) पर बेस्ट निबंध – Dussehra Par Nibandh ” Share करने के लिए विजय जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम विजय पाल जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी अन्य रचनाएँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.

All The Best For Your Effort

निवेदन- आपको दशहरा (विजयादशमी) पर बेस्ट निबंध – Dussehra Par Nibandh / Vijaydushmi Par Hindi Article पढ़कर कैसा लगा. आप हमें Comments के माध्यम से अपने विचारो को अवश्य बताये. हमें बहुत ख़ुशी होगी.

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Comments

  1. Aditya says

    October 20, 2018 at 2:10 pm

    Nice article sir ji

  2. विजय पाल says

    October 8, 2018 at 5:26 pm

    Nyc bhai

    Thanks

    👌👌👌

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