कल वो न जाने कहां होगी Kal Wo Na Jane Kaha Hogi Hindi Kavita
कल वो न जाने कहां होगी ?
किस की दुनिया में खो जाएगी
जिसके वजह से आज मेरा सवेरा होता है
जिसके होने से मुझे खुद से प्यार हो गया है
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कल वो न जाने कहां होगी?
किस आँगन की शोभा बढ़ा रही होगी?
सच कहूं मुझे कल तक अपने आप का अंदाजा न था
लेकिन जब से मुझे वो दिखाई दी..
मैं अपने आप की तरजीही जान गया हूँ
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कल न जाने वो कहां होगी?
किस खुशकिस्मत को मयस्सर होगी ?
उस देख कर बार बार उसे देखने का जी करता है
लेकिन उसे देखने के बाद भी जी नहीं भरता हूं
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कल न जाने वो कहां होगी?
किस घर में उजाला कर रही होगी ?
मेरी किस्मत में वो नहीं है, फिर भी मगर ….
मैं रहना चाहता हूं उसके सोहबत में पलभर
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कल वो न जाने कहां होगी ?
किस तरह से जीवन बीता रही होगी ?
ए खुदा ! वो मेरे हिस्से में ना ही सही
उसको दे देना तु मेरी खुशियां सभी
– Raj kumar Yadav
Hindi Poem “कल वो न जाने कहां होगी हिंदी कविता ” यह कविता हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Blog: rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
राज जी की कई कवितायेँ नयीचेतना में पब्लिश हो चुकी है. राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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