रश्म -ए-मुहब्बत – Rashm Ae Mohbbat Aasan Nahi Hota Hindi Kavita
रश्म -ए-मुहब्बत इतना आसां नहीं होता है
रश्म -ए-मुहब्बत इतना आसां नहीं होता है,
मुहब्बत से अलग कहीं जहां नहीं होता हैं.
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मैं ही नहीं जो मजबूर हूं इश्क में,
कोई इश्क मुकम्मल यहां नहीं होता हैं.
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मुझे मंजूर नहीं है इश्क में सौदागिरी
इश्क में कोई नफा-ओ-नुकसां नहीं होता हैं.
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मैंने माना मेरा प्यार उनके लिए बेमतलब है
लेकिन सच भी ऐसे बयां नहीं होता हैं.
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तुम कभी अपनी फैसला ना बदलना “राज”
प्यार करने वाला हर दिल नादां नहीं होता हैं.
– Raj kumar Yadav
Hindi Poem “रश्म -ए-मुहब्बत इतना आसां नहीं होता हिंदी कविता ” यह कविता हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Blog: rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
राज जी की कई कवितायेँ नयीचेतना में पब्लिश हो चुकी है. राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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