अखबार पर लिखी गयी बेस्ट कविता – Best Poem On Newspaper In Hindi

Newspaper
मेरे प्रिय बंधू तुम्हे प्रणाम
तुम बिन सुबह रहा न जाये
तुम हर उम्र वर्ग के हो शिक्षक
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तुमसे ही तो देश विदेश का हाल जान पाते
तुमसे ही तो सारी दुनिया को अपने समीप पाते
तुम आंदोलित करते हो दुनिया
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तुम्ही न्याय दिलाओ पीड़ित गुडिया को
देश की आजादी में तुम्हारा बड़ा योगदान है
आज तुम्हारी महत्ता से कौन अनजान है
तुमको प्राप्त स्वतंत्र अधिकार है
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तुमसे ही सुरक्षित लोकतंत्र की किताब है
उड़कर तुम छू लेते हो संसार
क्योंकि तुम हो मेरे प्रिय मित्र अख़बार
– Hitesh Rajpurohit
Hindi Poem “अख़बार हिंदी कविता ” हमें भेजी है हितेश राजपुरोहित जी नानरवाडा, तहसील – पिंडवाड़ा, जिला – सिरोही, राजस्थान से . हितेश की शिक्षा एम. बी. ए. , एम. ए. हिन्दी साहित्य-प्रथम वर्ष है. इनकी अभी नयी रचना (वृद्धावस्था की परिपाटी ) लघुकथा गुजरे रविवार को दैनिक भास्कर अहा जिन्दगी में प्रकाशित हुई है।

Hitesh Rajpurohit
नयीचेतना.कॉम में “अख़बार पर हिंदी कविता – Best Poem On Newspaper In Hindi ” Share करने के लिए Hitesh Rajpurohit जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम Hitesh Rajpurohit जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी कवितायेँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.
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बस मुझे ही अपनी गलियों में यूँ ही न बुलाया कर
कभी चाँद बनके तू भी मेरी छत पे आ जाया कर
मैं जाता ही नहीं किसी भी मंदिर और मस्जिद में
बस तू ही मुझे मेरे ईश्वर,खुदा सा नज़र आया कर
मैं क्यों जाऊँ किसी भी काबा या काशी को कभी
मेरी तासीर पर जन्नत बनकर तू बिखर जाया कर
मैं हो जाऊँ पाक-साफ़ बस तेरे एक दीदार से ही
कभी गंगा,कभी जमुना सा मुझमें गुज़र जाया कर
अगर तेरी सूरत के अलावे भी है कोई जीनत कहीं
तो भरी दोपहर मुझे भी कभी ये जादू दिखाया कर
सलिल सरोज
मेरी यह रचना पूर्ण रूप से मौलिक, स्वरचित एवं अप्रकाशित है।
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सलिल सरोज
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