मुंबई का विश्वप्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर की कहानी और इतिहास – High Claas Tempal Mumbai Shri Siddhivinayak In Hindi
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आज हम बात कर रहे है मुंबई के सिद्दिविनायक मंदिर की. इस मंदिर की अपनी एक अलग ही पहचान हैं. यहाँ देश-विदेश से लोग श्रीगणेश भगवान के एक दर्शन पाने के लिये आते हैं. इस मंदिर में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित कर रखी हैं. इस मंदिर के नाम के पीछे भी एक वाकया है इसका नाम सिद्दिविनायक इसलिये पड़ा क्योंकि भगवान गणेश के सूड दाई ओर मुड़ी होती हैं तथा वे सिद्धि पीठ से जुड़ी होती हैं. गणेश के शरीर से ही सिद्दिविनायक नाम पड़ा. इस मंदिर के प्रति लोगो में खास अटूट विशवास है.

Shri Siddhivinayak
Shri Siddhivinayak Temple In Hindi
यह मंदिर आतंकवादियों के हेड लिस्ट में हमेशा से ही रहता हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस मंदिर को काफी सुरक्षा देती हैं. आज भी अगर हम सिद्दिविनायक में जाते है तो हमें मुंबई पुलिस के जवान और भारतीय सेना के जवान दिखते हैं, जिन्होंने इस मंदिर को चारो ओर से घेर रखा हैं. यहाँ काफी ज्यादा संख्या में सेलिब्रिटीज आते हैं तथा इस मंदिर में कोई भी अप्रिय घटना ना हो इसलिये इतनी ज्यादा सुरक्षा दी जाती हैं.
सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास :
सिद्दिविनायक मंदिर के पीछे कुछ इतिहासकार बताते हैं की इस मंदिर की स्थापना सन 1692 में हुई थीं तथा सरकारी खबर से इसका निर्माण 1801 में हुआ था. शुरू में यह मंदिर छोटा था लेकिन बाद में इसका कई बार निर्माण हो चुका हैं जिस कारण अब मंदिर काफी बड़ा हैं. इस मंदिर की इमारत 5 मंजिला हैं.
इस मंदिर में प्रवचन के लिये अलग से हाल है. मंदिर के दूसरी मंजिल पर अस्पताल है जहाँ पर रोगियों का निशुल्क उपचार किया जाता हैं. इस मंदिर में लिफ्ट लगे हुए हैं. इस मंदिर में एक अलग से एक लिफ्ट है जहाँ पर पुजारी लोग गणेश जी के लिये पूजा की सामग्री, प्रसाद तथा लड्डू आदि लाते है.
Shri Siddhivinayak Temple In Hindi
सिद्धिविनायक में स्थित गर्भगृह :
इस मंदिर में एक गर्भगृह भी हैं, गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है कि भक्तगण सभा से ही दर्शन ले सकते हैं. गर्भगृह 10 फीट चौड़ा और 13 फीट ऊँचा हैं. जिसमे भगवान गणेश रहते हैं. गर्भगृह में तीन दरवाजे है और तीनो ही दरवाजो पर आकृतिया लगी हैं. यहाँ भक्तो की काफी भीड़ होती है और भीड़ का 4-5 घंटे के बाद लाइन में नम्बर आता हैं. यहाँ हर साल गणपति पूजा महोत्सव आयोजन होता हैं.
सिद्धिविनायक में स्थित चर्तुभुर्जी विग्रह :
इस मंदिर की एक अलग विशेषता हैं जो की चतुभुर्जी विग्रह गणेश जी के उपरी दाहिने हाथ में कमल के फूल और बाएँ हाथ में अंकुश हैं तथा नीचे हाथ में मोतियों की माला और बाएँ हाथ में लड्डूओं से भरा कटोरा हैं. गणेश जी की दोनों पत्नियाँ रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं जो की धन, सफलता और मनोकामनाओं को पूरा करने का एक प्रतीक हैं. सर पर पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में सांप का हार लिपटा हैं, यह एक काले शिलाखंड से बना होता हैं जो ढाई फीट ऊँचा और दो फिट चौड़ा होता है.
अभी तक आपने अगर इस मंदिर के दर्शन नहीं किये है तो एक बार जरुर कर ले. कहा जाता है की यहाँ मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है और आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. तो एक बार इस मंदिर के दर्शन करना न भूले.
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