मेरी हस्ती हिंदी कविता – Meri Hasti Hindi Kavita
I am Improve Myself Always In Hindi
अब मैं अपनी कहानी बताता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के
बड़े साफ तफसील से सुनाता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के
–
बेवजह ही बन गया था शायर मैं,
रोज मैं गजल गुनगुनाता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के
–
इश्क का मरीचिका को सच मान कर
उसके पीछे भग जाता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के
–
पता नहीं कि कल मुझे कोई पहचानेगा भी कोई,
इसलिए कुछ मैं बचाता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के.
–
कितने आए और कितने चले गए “राज”
रोज मैं अपनी हस्ती बनाता हूँ थोड़ा थोड़ा कर के.
– Raj kumar Yadav
Hindi Poem “ रोज मैं अपनी हस्ती बनाता हूँ हिंदी कविता – Best poem on I am Improve myself always Poetry in hindi ! हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Blog: rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
राज जी की कई कवितायेँ नयीचेतना में पब्लिश हो चुकी है. राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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