मेरी किस्मत – My Luck Poem In Hindi
Meri Kismat Hindi Kavita – Raj Kumar Yadav
दहलीद लाँघकर चली गई
किस्मत मेरी
मैं बैठा, खुद से रुठा
अकेला रह गया.
–
मुझे मारकर चली गई
रहमत खुदा की
मैं बेचारा, बन आवारा
भटकता रह गया.
–
तसल्ली दिलाकर चली गई
आँखें बहन की
मैं कुछ देखता, मैं कुछ समझता
उसे तलाशता रह गया.
–
दीया जलाकर चली गई
रातें क़मर की
फिर भी उदास, बिल्कुल चुपचाप
तंहा रोता रह गया.
–
हाथ छुड़ाकर चली गई
वो छोटी लड़की
उसकी आँखें, उसकी बातें
मैं सोचता रह गया.
–
ख्वाब दिखाकर चली गई
जिंदगी मेरी
आँखें बिछाकर, उम्मीदें लगाकर
राह तकता रह गया.
–
होश उड़ाकर चली गई
फ़िजा पगली-सी
मैं उड़ता, आँखें मूंदता
आहें भरता रह गया.
– Raj kumar Yadav
Hindi Poem “ मेरी किस्मत हिंदी कविता – Best poem on My Luck poem in hindi ! हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Blog: rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
राज जी की कई कवितायेँ नयीचेतना में पब्लिश हो चुकी है. राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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