वे दिन जा चुके – We Din Ja Chuke Kavita Hindi Me
लाचारियों का गर्भपात करवाकर,
उदास दिनों को मसलकर,
सबकुछ होते हुए भी खुद से फिसलकर,
मुलायम रातों में रूठी प्रेमिका बनकर,
माओं की हाथों में चिमटा होकर,
रोटी लेकर भागते बूढों की तरह
और
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पालने में खेलते बच्चों की तरह ही
हम नए दिनों में जी रहे हैं
जहाँ किसी को भी उतना समय नही
बचाकर रखना होना था
मरते हुए आदमियों के लिए
या मरते हुए को बचाने वाले के बारे में पूछने को, की वह कैसे करता है ये सब।
हम नए दिनों में भी आराम से
जी लेते हैं
जबकि जीना भी उतना जरूरी नही
जितना पानी में कूदकर भी न मरना,
या बेसुध पड़े शरीर को बार बार
उठाकर आईने के सामने लाना
रोटी लिए हुए एक हाथ में
जबकि
दूसरे हाथ से
धरती पर पुराने दिन उकेरना।
बार बार हंसना और
फिर सब कुछ भूलकर
नए वादे करना
बनाना एक मिटटी का घोंसला
रखना उसमें अपने विचार,
रोटी बनाती माँ को प्यार से देखना
और पसीने में बहाना अपने सपने,
हम नए दिनों में जीते हैं
जहां न्यूटन और आइंस्टीन के नियमों की जगह
हमारी आत्मा में पीढ़ चलती है,
जहां प्रेमिकाएं हमारी माएं होती जाती हैं
जहां रोना भी द्विगु-समास होता है,
जहां औरत और आदमी में सुई का फर्क
जहां रेहड़ियों पर, भुट्टों की जगह दर्द
जहां रेडियो आकाशवाणी पर मौत
जहां उल्टियों से होकर बहता प्यार
जहां मौत भी गरबा खेलती हंसती जाती
जहां हम जवान होकर “इमरान हाश्मी”
बनकर अपनी ही ज़ेहन में घुटकर मरते
जहां आत्मा केवल एक
ब्लूटूथ बनकर रह गई
या फिर ज्यादा से ज्यादा
कहें तो एक काल्पनिक फ़िल्म
हाँ ! बिलकुल इन्ही दिनों में,
नए दिनों में जीते हैं हम !!
इधर एक रोया गया आँसू गिरा
थोडा और नज़दीक आओ
हाथ रखो मुंह पर
गालों पर मलो पानी
कूदो, गाओ गाने, नाचो
मरो
कि वे दिन मर चुके
जब आदमी केवल आदमी था।
– बृजमोहन स्वामी “बैरागी”
© कॉपीराइट
Hindi Poem “वे दिन जा चुके” यह कविता हमें भेजी है बृजमोहन स्वामी “बैरागी” जी ने राजस्थान से. बृजमोहन स्वामी जी हिंदी और राजस्थानी भाषा के विद्वान, कवि एवं लेखक हैं. साहित्य के क्षेत्र में ये कवि बृजमोहन स्वामी “बैरागी” नाम से लिखते हैं. बृजमोहन स्वामी का जन्म 20 जुलाई सन् 1995 को बरवाली, नोहरहनुमानगढ़, राजस्थान में हुआ. Kavi Bairagi के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े : Hindi Biography Of Kavi Bairagi In Wikipedia
बृजमोहन स्वामी “बैरागी”
नयीचेतना.कॉम में “वे दिन जा चुके कविता ” Share करने के लिए बृजमोहन स्वामी “बैरागी” जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम बृजमोहन स्वामी “बैरागी” जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी कवितायेँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.
Note – – मैं बृजमोहन स्वामी बैरागी 17-10-17 को एतदद्वारा घोसणा करता हूँ की मेरी रचनाऐ मौलिक एवम् स्वरचित हैं ये रचना किसी भी अंतर्जाल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो सकती है, मुझे कोई आपत्ति नही है। लेखक नाम सलंग्न रहने पर किसी भी पत्र पत्रिका में प्रकाशन होने पर मुझे को कोई आपत्ति नही है।
बृजमोहन स्वामी “बैरागी” जी की अन्य कवितायेँ पढने के लिए यहाँ क्लिक करे : हिन्दी कविता संकलन
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