रूको नहीं बढे चलो हिंदी कविता – Do Not Wait Grow Up Poem In Hindi
अग्रसर हो राही पथ पर
बढे चलो बढे चलो
रूको नहीं डटे रहो
रूकावटें हजार हों
समय की प्रहार हो
प्रचंड वेग प्रलाप हो
रोग हो संताप हो
तू खण्ड कर प्रचंड को
हर उस संताप को
जो रोकती है राह को
रुको नहीं डटे रहो
बढे चलो बढे चलो
तुझमें वह शक्ति है
जो कि तेरी भक्ति है
दूर नहीं भगवान है
पिता वो,
तू, पुत्र इंसान है
हाथ थाम भगवान का
फिर है मंजिल दूर कहां।
अंजना अंजन।
Hindi Poem “रूको नहीं बढे चलो” यह कविता हमें भेजी है अंजना अंजन जी ने गाजियाबाद से. समाज शास्त्र में एम. ए. व पी. एचडी अंजना अंजन जी 2003 से 2010 तक उ.प्र. मे उच्च शिक्षा विभाग में अध्यापन कार्य से जुड़ी रही. इनकी शिक्षा मगध वि. वि. बोधगया से हुई है. अंजना अंजन का जन्म 21 नवम्बर सन् 1966 को हुआ. इनका निवास स्थान गाजियाबाद है. वर्तमान मे लेखन से जुड़ने की इनकी कोशिश जारी है, यह कविता उसी कड़ी का एक अहम हिस्सा है.
Anjana Anjan
Email : anjanasinghofficial@gmail.com
नयीचेतना.कॉम में “रूको नहीं बढे चलो कविता ” Share करने के लिए अंजना अंजन जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम अंजना अंजन जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी कवितायेँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.
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aapki har kavita kuch bada sanfesh deti hai.. i like
zindagi wahi hai jisme hum aage badhte hai