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प्रकाश और रोशनी का त्यौहार दीपावली पर विस्तृत लेख और निबंध

October 16, 2017 By Prakash Singh 6 Comments

प्रकाश और रोशनी का त्यौहार दीपावली पर विस्तृत लेख और निबंध !!!! Deepawali Essay In Hindi

Table of Contents

  • प्रकाश और रोशनी का त्यौहार दीपावली पर विस्तृत लेख और निबंध !!!! Deepawali Essay In Hindi
    • Diwali or Deepawali Essay In Hindi
    • Deepawali Ka Tyohar Nibandh Hindi Me

दीपावली का सीधा अर्थ हैं – दीपों से जगमगा उठने वाला त्यौहार. दीपावली का पर्व खुशियो, प्रकाश तथा उजाले का पर्व कहलाता हैं. यह त्यौहार हिन्दुओं का साल का सबसे बड़ा पर्व होता हैं जो शरद ऋतू के अक्टूबर या नवम्बर महीने में मनाया जाता हैं. दीपावली एक प्राचीन हिंदू त्यौहार हैं. यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता हैं.

Diwali or Deepawali Essay In Hindi

दीपावली पर , Diwali or Deepawali

Happy Deepawali

नाम – दीपावली और दिवाली
अनुयायी – हिन्दू. सिख, जैन और बौद्ध
प्रकार – हिन्दू, सांस्कृतिक
उद्देश्य – धार्मिक निष्ठा और उत्सव
शुरुआत – धनतेरस, दीपावली से दो दिन पहले
समाप्ति – भैया दूज, दीपावली के दो दिन बाद
तिथि – हिन्दू पंचांग के अनुसार, अक्टूबर 19, 2017
उत्सव – दिया जलाना, घर की सजावट और कुछ खरीदारी
समान पर्व – काली पूजा, दीपावली (जैन)
अन्य कार्यक्रम – मिठाई बाँटना, घरों को प्रकाश से सजाना और एक-दुसरे को बधाई देना

Deepawali Ka Tyohar Nibandh Hindi Me

भारत वर्ष में मनाये जाने वाले सभी तयौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों नजरिये से काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं. इसे दीपोत्सव भी कहते हैं. इस उत्सव को अंधेरे को प्रकाश की ओर ले जाना भी कहते हैं. इसे सिख, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. जैन धर्म के अनुयायी इस पर्व को महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं और सिख धर्म के लोग इसे समुदाय बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं.

कुछ प्राचीन कथाओं के अनुसार इस दिन अयोध्या के राजा श्री राम चन्द्र अपने 14 वर्ष के बनवास काटने के बाद अपने घर अयोध्या वापस आये थे. अयोध्या वासियों के लोगो का दिल श्री राम के प्रति आगमन से उत्साहित था. श्रीराम के स्वागत में अयोध्या वासियों ने घी के दिये जलाये थे. कार्तिक मॉस की सघन अमावस्या की अँधेरी रात प्रकाश के उजाले से जगमगा उठी थीं.

तब से आज तक भारतीय लोग हर साल अक्टूबर या नवम्बर के महीने में यह पर्व मनाते हैं. भारत के लोगो का विश्वास हैं कि सत्य की सदा जीत होती हैं और झूठ का सदा नाश होता हैं. दीपावली स्वच्छता और रोशनी का भी पर्व हैं. इस पर्व के कई दिन पहले से लोग अपने घरों, दुकानों और अन्य जगहों पर साफ – सफाई करते हैं. इस दिन लोग अपने घरों को फूलों से दुल्हन की तरह सजाते हैं. इस दिन को देखकर एक अलग ही आनंद आता हैं और दिल खुशमय हो जाता हैं.

दीपावली शब्द और अर्थ :

दीपावली शब्द की उत्पति संस्कृत के दो शब्दों दीप और दिया तथा आवली के मिलने से हुई हैं. इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों और मंदिरों को प्रकाश से सजाया जाता हैं. दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं, इस त्यौहार को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम हैं. भारत के उड़ीसा राज्य में इसे दीपावली कहते हैं, बंगाल – दीपोबोली, असमी में-दीपावली, गुजरात- दिवाली, महाराष्ट्र- दिवाली, पंजाब – दिवाली और भारत के बॉर्डर से लगे नेपाल में इसे तिहार कहते हैं.

दीपावली का महत्व :

दीपावली भारत और भारत के पडोसी देश नेपाल में सबसे सुखद उत्सवों में से एक हैं. लोग अपने घरों को साफ कर उन्हें उत्सव के लिये सजाते हैं. दोनों देशो में यह बड़े शोपिंग सीजन में से एक है. इस दौरान लोग कारें और गहनों के रूप में महंगे आइटम खरीदते हैं.

इस दिन लोग कुछ सामान अपने लिये और कुछ अपने दोस्तों के लिये गिफ्ट के रूप में भी खरीदारी करते हैं. भारतीय महिलाएं घरों के मुख्य दरवाजो और घर के आँगन में रंगोलिया बनाते हैं और युवा और वयस्क लोग इस दिन आतिशबाजी और प्रकाश की व्यवस्था में लगे रहते हैं.

इस दिन लोग भगवान की पूजा करते हैं. धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर देवताओं की विशेष पूजा होती हैं. इस दिन रात को आतिशबाजी से पूरा आसमान रोशनी से रोशन हो जाता हैं. इसके बाद में परिवार के लोग और दोस्त मिठाई और भोजन करके यह रात मनाते हैं.

हिन्दू धर्म के लोग :

दीपावली पर्व धार्मिक महत्व, हिन्दू धर्म और हिन्दू दर्शन तथा मान्यताओं पर निर्भर करता है. प्राचीन समय में ग्रन्थ रामायण में बताया गया हैं कि इस दिन भगवान श्री राम जी अपने 14 साल के बनवास को काटने के बाद अपने घर लौटे थे और हिन्दू महाकाव्य महाभारत के अनुसार कुछ दीपावली को 12 वर्ष और एक साल अज्ञातवास के बाद पांडवो की घर वापसी के रूप में भी मनाया जाता हैं.

कई लोग इसे भगवान विष्णु की पत्नी और उत्सव, धन तथा देवी लक्ष्मी से भी जुड़ा मानते हैं. भारत के पूर्वी क्षेत्र उड़ीसा और वेस्ट बंगाल में हिन्दू लक्ष्मी की जगह काली की पूजा करते हैं. भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा के क्षेत्रो में इसे भगवान कृष्ण से जुड़ा बताते हैं. भारत के कुछ वेस्ट और नार्थ भागों में दीपावली के फेस्टिवल को एक नये हिन्दू वर्ष की शुरुआत का प्रतीक देखते हैं.

दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण और कहानियाँ भी हैं. राम भक्तों के अनुसार दीपावली वाले दिन अयोध्या के राजा श्री राम ने लंका के अत्याचारी राजा रावण का विनाश करके अपने घर अयोध्या लौटे थे. इस रावण वध से जनता में अपार हर्ष और खुशी फैल गयी थीं और दुसरे प्राचीन कहानी के अनुसार इस दिन विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरणा-कश्यव का वध किया था.

दीपावली का आर्थिक महत्व :

दीपावली का त्यौहार भारत में एक प्रमुख उत्सव हैं. इस दिन लोग कई महंगे-महंगे चीजों को खरीदते हैं. उपभोक्ता खरीद और आर्थिक गतिविधियों के सन्दर्भ में दीपावली यूरोपीय उत्सव क्रिसमस के बराबर माना गया हैं. दीपावली के समय भारत में सोने और गहने की खरीद का सबसे बड़ा सीजन माना जाता हैं.

इस दौरान खरीदारी अपने चरम सीमा पर रहती हैं. हर साल दीपावली में 5 से 10 हजार करोड़ पटाखों आदि की खपत होती हैं, जिसे कई कारखानों और निजी क्षेत्र के लोग स्वंय बनाते है और मार्केट में इसका व्यापार करते हैं.

Read : Diwali Best Quotes Status In Hindi

दीपावली पर्वो का समूह :

दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं. दीपावली एक दिन का पर्व नहीं है बल्कि एक पर्वो का समूह हैं. दशहरे के बाद दीपावली की शुरुआत हो जाती हैं इस दिन लोग नये-नये वस्त्र पहनते हैं. दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्यौहार आता हैं. इस दिन बाजारों में चारो तरफ जनसमूह उमड़ पड़ता हैं. बर्तनों की दुकानों पर बहुत भीड़ रहती हैं. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता हैं.

इस दिन लोग तुलसी या फिर घर के मुख्य द्वारो पर दिये जलाते हैं. इस दिन घरों में सुबह से ही तरह – तरह के पकवान बनाये जाते हैं. बाजारों में खिल-बतासे, मिठाई और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तिया बिकने लगती हैं. जगह-जगह पर पटाखों और चाइनीज लाइटों की लड़ियो से दूकान सजे रहते हैं.

इस दिन बच्चें तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाजी व अनारों के जलने का आनंद लेते हैं. देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी अधिक प्रकाश युक्त दिखाई पड़ती हैं. दीपावली के अगले दिन गोर्वधन पूजा मनाते हैं. इसके अगले दिन भाई दूज का पर्व आता हैं यानि कि भैया दूज के दिन भाई – बहिन का गाँठ जोड़ कर यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा हैं. इस दिन बहिन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर उसके मंगल की कामना करती हैं और इस मौके पर अपनी बहिन को कुछ खास गिफ्ट देता हैं

दीपावली के दुसरे दिन व्यापारी अपने पुराने बही खातो को बदल कर नये बही खाते बनाते हैं. ऐसा इसलिये करते है क्योंकि ऐसा करने से इन लोगो में यह विश्वास रहता हैं की धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा बनी रहेगी. किसान लोगो के लिये यह पर्व काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि खरीफ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते हैं. किसान यह पर्व बड़े हर्ष और जोश के साथ मनाता हैं.

दीपावली की परंपरा :

अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में बड़े उल्लास, भाई-चारे और प्रेम का सन्देश फैलाता हैं जो धार्मिक, सामाजिक खुशियाँ देता है. हर प्रान्त और क्षेत्र में दीपावली का पर्व मनाने के कारण एवं तरीकें अलग हैं. लोगो में दीपावली की बहुत उमंग होती हैं. इस मौके पर लोग घरों को साफ-सुथरा रखते हैं. घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायीं जाती है और दिये जलाये जाते हैं. सभी जगहों में कई पीढियों से यह उत्सव चला आ रहा हैं.

दीपावली पर प्रार्थना :

इस दिन लोग तरह-तरह के प्राथनाएं करते हैं :

असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योति गमय |
मृत्यु मा अमृतं गमय
ॐ शांति शांति शांति ||

इसका हिंदी अनुवाद ये हुआ-

असत्य से सत्य की ओर
अंधकार से प्रकाश की ओर |
मृत्यु से अमरता की ओर
ॐ शांति शांति शांति ||

दीपावली पर कुछ विवाद :

इस पर्व में जितनी खुशियाँ हैं उतना ही दुःख भी हैं.

वायु प्रदूषण –

दीपावली के समय आतिशबाजी से इतना वायु प्रदुषण नहीं होता हैं लेकिन आतिशबाजी के बाद ज्यादा वायु प्रदुषण होता हैं. एक अध्ययन से पता चलता हैं कि आतिशबाजी के बाद हवा में धूल के महीन कण en pm2.5 हवा में मौजूद रहते हैं. यह प्रदूषण स्तर से दो गुना बुरा पाया जाता हैं.

आग लगने की संभावना :

दीपावली की आतिशबाजी के दौरान भारत में जलने और आग लगने में काफी वृद्धि होती हैं और काफी नुकसान भी होता हैं. अधिकांश वयस्क इसका शिकार होते हैं. News, अखबारों व अन्य तरीको से इस मौके पर आग लगने और जलने की खबरे आती रहती हैं.

दीपावली के मौके पर कुछ सावधानीपूर्वक कदम उठाने चाहिए. जैसे- बिजली के पास इसका जश्न नहीं मनाना चाहिए जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता हैं. गाँवों में इसके ज्यादा खतरे हैं क्योंकि वहां पर लकड़ियों और घास से दूर आतिशबाजी करनी चाहिए जिससे कोई बड़ा नुकसान न हो सकें.

दोस्तों ! यह दीपावली आपके लिये खुशियाँ लेकर आये और आपके घर और आपके अन्दर से सारी बुराइयाँ दूर हो जाएँ तथा आपको एक खुशियों का एक नया एहसास मिल सकें.

Happy Diwali

पढ़े : दीपावली पर 25 रोचक तथ्य

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Comments

  1. Anjali | 1HindiShare says

    October 16, 2019 at 4:50 pm

    Very Nice diwali essay..Happy Diwali………

  2. Rakesh says

    October 29, 2018 at 5:31 pm

    Woow Very nice essay on Diwali

  3. Rakesh/BestHindiHelp says

    October 27, 2018 at 3:02 pm

    Bahut hi achaa essay diwali par likha hai apne.

  4. saloni says

    October 16, 2018 at 11:12 pm

    Great Article About Diwali Eassy

  5. KANA says

    September 23, 2018 at 10:30 pm

    बहुत अच्छा लेख

  6. atoot bandhan says

    October 16, 2017 at 12:36 pm

    दीपावली पर बहुत ही शानदार निबंध शेयर करने के लिए शुक्रिया

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