नवाजू से नवाजुद्दीन बनने का प्रेरणादायक सफ़र – Nawazuddin Siddiqui Inspirational Biography In Hindi
आज के वक्त में हर कोई सफल होना चाहता है लेकिन हर सफल व्यक्ति के पीछे एक कठिनाई भरे जीवन की दासता भी होती है. उसके सफल बनने के पीछे ढेरो असफल कहानियां भी होती है. लेकिन जब वे सफल होते है, तो दुनिया को उनकी सिर्फ सफलता की ही मिसालें दी जाती है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स से करने जा रहे है, जिसने सफल बनने के लिए हर वह काम किया जो हम और आप नहीं करना चाहे.
वो अपने सपनो को पूरा करने के लिए रात – रात भर चौकीदारी किया करते थे तो कभी सोने की जगह पाने के लिए खाना बनाया करते थे. जी हाँ हम बात कर रहे है नवाजुद्दीन सिद्धिकी की जिनको आपने कभी Gangs of Wasseypur के गैंगस्टर फैजल खान की भूमिका में देखा है, तो कभी जिद्दी Manjhi – The Mountain Man में देखते है, कभी वे सनकी किलर बने Raman Raghav 2.0 में देखे गये. लेकिन हर बार उनकी Acting को दोगुनी तारीफ़ मिली है.

Nawazuddin Siddiqui
अब हम आपको Nawazuddin Siddiqui बनने के सफर पर लिए चलते है, की कैसे मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गाँव बुढाना का नवाजू मुजफ्फरनगर के रोजाना के कत्लेआम से निकलकर हिंदुस्तान के मायानगरी का दमदार एक्टर नवाजुद्दीन सिद्धिकी बन जाता है. नवाजुद्दीन सिद्धिकी का जन्म 19 मई सन 1974 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के छोटे से कस्बे बुढाना के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता किसान थे और वो 7 बहने और 2 भाई थे. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक थी, इसलिए उन्होंने अपनी 12वी तक की पढाई घर पर ही की.
उनके बाद उन्होंने अपनी graduation गुरुकुल काँगड़ी हरिद्वार से chemistry में पूरी की. अपनी graduation पूरी होने के बाद वे नौकरी के लिए गुजरात चलके गये. वहां वे एक पेट्रो केमिकल कंपनी में बतौर chemist की नौकरी करने लगे. लेकिन नवाज को मजा नही आता था. उनको तो Actor बनना था. उनके सपने तो कुछ और ही थे तो इस पर उनके एक दोस्त ने बताया की अगर उन्हें एक्टर बनना है तो वो दिल्ली के एक स्कूल National School of Drama में एडमिशन लेकर वह पहले एक्टिंग सीख ले. वही पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली निकल लिए.
लेकिन उस स्कूल में एडमिशन के लिए प्ले का कुछ अनुभव होना जरुरी था, जो नवाज के पास नहीं था. इसलिए नवाज ने पहले शाक्षी थियेटर के प्ले ग्रुप को ज्वाइन किया और वहां नवाज ने मनोज वाजपेयी के साथ काम किया. नवाज छोटे – छोटे प्ले करने लगे लेकिन नवाज को छोटे – छोटे प्ले करने से उतने पैसे नहीं मिलते थे जिससे वे अपने रोजाना के खर्चे पूरा कर सके.
इसलिए उन्होंने दिल्ली के एक ऑफिस में वॉचमैन का काम करने लगे. वो रात को चौकीदारी करते और दिन में एक्टिंग सीखते थे. बहुत सारे प्ले करने के बाद उनको National School of Drama में एडमिशन मिल पाया. साल 1996 में वो एनएसडी से पास हो गये. उनके बाद दिल्ली में 4 साल तक बहुत सारे प्ले और थियेटर किये. लेकिन उससे उनकी कमाई अच्छी नहीं होती थी. फिर उन्होंने तय किया की अगर भूखा ही मरना है तो क्यों न मुंबई जा कर मरा जाए.
वैसे तो उनकी पिछली ज़िन्दगी कम कठिनाई वाली नहीं थी लेकिन मुंबई जाने के बाद उनकी कठिनाई और बढ़ गई, रहने के लिए घर नहीं था. खाने और कही जाने के लिए पैसे तक नहीं बचे थे. तब उनके एक National School of Drama के सीनियर ने उनको इस शर्त पर अपने साथ रखने दिया की वो उनके लिए खाना बना दिया करेंगे. वहां बहुत दिनों बाद उन्हें एक टीवी सीरिअल में छोटा सा रोल मिला. लेकिन दुसरे रोल के लिए उन्हें फिर धक्के खाने पड़े क्योंकि ज्यादातर सीरियल में अच्छे दिखने वाले लोगो को ही लिया जाता था.
फिर उन्होंने फिल्मो में जाकर कोशिश करने की सोची. जहाँ भी फिल्मो की शूटिंग होती नवाज चले जाते और वहां काम के बारे में पता करते थे. जब भी उनसे कोई पूछता की क्या काम कर सकते हो तो वो बोलते मैं एक्टर हूँ तो हर कोई उनको मना कर देता था और उनपर हँसता था क्योंकि वे एक्टर बनने के लिए न तो लम्बे – चौड़े थे और न ही खुबसूरत थे. नवाज कभी – कभी सोचते की वे सब कुछ छोड़कर माता – पिता के पास गाँव चले जाऊं.
लेकिन फिर यही सोचकर रुक जाते की वे गाँव जाकर करेंगे क्या उन्हें तो सिर्फ एक्टिंग ही आती है. आख़िरकार कई महीने बीतने के बाद उन्हें आमिर खान की फिल्म सरफ़रोश में एक आतंकवादी का छोटा सा रोल मिला. वो करने के बाद उन्हें ऐसे ही छोटे – छोटे रोल मिलने लगे. वो भी ऐसे जिनसे उन्हें तकलीफ तो होती लेकिन फिर भी वो उन्हें करते थे जैसे – भिखारी का, अपराधी का, रोगी का, धोबी का रोल आदि.
सालो लगातार छोटे – छोटे रोल करने के बाद उन्हें अनुराग कश्यप की फिल्म Black friday में एक अच्छा रोल मिला. उसके बाद ज़िन्दगी सही पटरी पर आ गई. फिर उसके बाद उन्हें आमिर खान द्वारा बनाई गई फिल्म पीपली लाइव में एक रिपोर्टर का रोल मिला. उसके बाद नवाज को प्रसिद्धि मिल चुकी थी और सब उन्हें पहचानने लगे थे. धीरे – धीरे दुनिया में उनको पहचान मिलने लगी थी और नवाज को फिल्मो के इतने ऑफर आने लगे की नवाज के पास समय कम और फिल्मे ज्यादा होने लगी थी.
आज उनके नाम ढ़ेरो हिट फिल्मे है. उनका नाम बॉलीवुड के बड़े सितारों में लिया जाता है. सन 2012 में उन्हें Talaash: The Answer Lies Within, Kahaani, Gangs of Wasseypur, Dekh Indian Circus में बेहतरीन अभिनय के लिए राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार भी मिला.
नवाजुद्दीन सिद्धिकीकी कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है की अपने सपनो को पूरा करने के लिए हमें हार नहीं माननी चाहिए. जब तक हम सफल न हो जाए तब तक हमें काम करना चाहिए. क्योंकि हम उसके बिना कुछ नहीं कर सकते तो हमें हर वह काम करना चाहिए जो हमारे उस काम को सफल करे. नवाजुद्दीन सिद्धिकी अपनी ज़िन्दगी के कठिन दिनों को कुछ इस तरह 2 लाइन की शायरी में व्यक्त करते है.
कोई उम्मीद भर नहीं आती, कोई सूरत नजर नहीं आती..
मौत तो एक दिन आती है, नींद रातभर क्यों नहीं आती..
पहले – पहले आती थी हाल – ए – दिल पे हंसी, अब किसी बात पर नहीं आती.
नवाजुद्दीन सिद्धिकी की प्रेरणादायक कहानी हमें भेजी है प्रिंस राणा जी ने. प्रिंस राणा जी एक ब्लॉगर है और Desi Champs ब्लॉग के Foundar है. प्रिंस राणा जी के बेहतर भविष्य के लिए हमारी शुभकामनायें.
Thanks !
Prince Rana
Blog : Desi Champs 2 Line Shayari
नयीचेतना. कॉम में ” नवाजुद्दीन सिद्धिकी की प्रेरणादायक कहानी / Nawazuddin Siddiqui Inspirational Biography In Hindi” Share करने के लिए Prince Rana Ji आपका बहुत – बहुत धन्यवाद.
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your article is very nice.you deserve it.
Thank Your Very Much Surendra Mahara for giving me this wonderful opportunity to publish my post on your site
wah sir kya biography likhi hai. aapke damdar lekhan ko hamara salam
bahut hi inspire insan hai ye. inki kahani prerak karti h.