नवरात्रि पूजा त्यौहार 2017 पर विशेष निबन्ध ! Navratri Festivals Tyohar Essay In Hindi
हमारे देश में नवरात्रि पूजा अपना एक खास स्थान रखता है. यह साल में 4 बार पौष, चैत्र, आषाढ और आश्विन माह में आता है. यह एक हिन्दू पर्व है जो संस्कृत शब्द से मिलकर बना है. नवरात्र को हिंदी में नौ रातें कहा जाता है. नवरात्री के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इसके अगले दिन दशहरा आता है.
नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं. जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं. दुर्गा का मतलब है – जीवन के दुःख को दूर करने वाला. नवरात्रि पुरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

नवरात्रि पूजा
नाम – नवरात्रि
अन्य नाम – नराते और नवरात्र
अनुयायी – हिन्दू भारतीय और भारतीय प्रवासी
शुरुआत – चैत्र माह और अश्विन माह
तिथि – नवमी तिथि से शुरू
समान पर्व – शिवरात्रि
नवरात्रि पूजा की नौ देवियाँ प्रसिद्ध हैं जो इस प्रकार है :
1. शैलपुत्री – शैलपुत्री यानी पहाड़ो की रानी
2. ब्रमचारिणी – ब्रम्हचारिणी
3. चंद्रघंटा – चाँद की तरह चमकने वाला
4. कुष्मांडा – पूरा विश्व उनके पैरों में विराजमान हैं
5. स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता
6. कात्यानी – कात्यायन आश्रम में जन्म लेने वाले
7. कालरात्रि – काल का नाश करने वाली
8. महागौरी – सफेद रंग वाली माता
9. शिधिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली
शक्ति और उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक नौं तिथि नौं नक्षत्र नौं शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जाता हैं. सबसे पहले श्री राम जी ने नवरात्रि पूजा समुद्र तट पर की थी और उसके बाद उन्होंने 10वें दिन लंका पर चढ़ाई शुरू की थी. तब से नवरात्री असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाने लगा.
माता दुर्गा के नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं, नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती हैं. ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली होती है. नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली माता ही प्रथम हैं. भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दश्महविदिया अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं.
देवता, मानव सभी इनकी पूजा कृपा के बिना पंगु हैं इसलिये आगम-निगम दोनों में इसकी उपासना समान रूप से वर्णित हैं. सभी देव, राक्षस, मनुष्य और गंधर्व इनकी कृपा प्रसाद के लिये लालायित रहते हैं.
भारत में नवरात्रि अनेक राज्यों में अलग-अलग ढंगों से मनाई जाती हैं. गुजरात में इस उत्सव को बड़े समारोह नवरात्रि डांडिया और गरबा के रूपों में मनाई जाती हैं. वहां पूरी रात कार्यक्रम चलता हैं. आरती से पहले देवी के सम्मान में गरबा और आरती के बाद डांडिया समारोह किया जाता हैं बंगाल में दुर्गा पूजा की खूब धूम रहती हैं और साउथ इंडिया में राजसी कवाटर को पुरे महीने में प्रकाशित करके मनाया जाता हैं.
नवरात्रि के पहले तीन दिन :
नवरात्रि के पहले 3 दिन देवी दुर्गा पूजा करने के लिये समर्पित हैं. यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति के लिये जाती हैं. हर दिन को विशेष दिन के तौर पर मनाया जाता हैं. उत्सव के फस्ट डे बालिकाओं की पूजा की जाती हैं. दुसरे दिन युवती की पूजा की जाती हैं, तीसरे दिन जो महिला परिपक्ता के चरण में पहुँच गयी है उसकी पूजा की जाती हैं. देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलू सब बुराई नीतियों पर जीत प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता हैं.
नवरात्रि के चौथे और छठे दिन :
मानव जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृती की बुराई पर विजय प्राप्त करता हैं तो वह शुन्य का अनुभव करता हैं. नवरात्रि के चौथे, पांचवे और छठे दिन लक्ष्मी देवी समृद्धि शांति की देवी की पूजा की जाती हैं, जो कि मानवीय जीवन के लिये जरुरी होता है. पांचवे दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं. इस दिन सभी पुस्तकें और अन्य साहित्य चीजों को एक स्थान पर इकठ्ठा कर लिया जाता हैं और देवी माँ के सामने दीप और धूप देकर देवी माता को खुश किया जाता हैं.
नवरात्रि का सातवाँ और आठवां दिन :
सातवें और आठवें दिन कला और ज्ञान की देवी सरस्वती देवी की पूजा की जाती हैं. यह आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं और आठवें दिन हवन किया जाता हैं. यह एक बलिदान हैं जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता हैं.
नवरात्रि का नौवां दिन :
इस नौवें दिन को अंतिम और विदाई दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता हैं, इस दिन कन्या पूजन होता हैं. इस दिन 9 जवान लड़िकयो की पूजा की जाती हैं इन 9 लडकियों को देवी दुर्गा के नौं रूपों के रूप में माना जाता हैं. इस दिन लडकियों के सम्मान में और स्वागत करने के लिये उनके पैर धोये जाते हैं पूजा के बाद उनको कुछ गिफ्ट के तौर पर नये कपड़े और रुमाल दिये जाते हैं.
नवरात्री पर कुछ कथाएँ :
नवरात्री के पीछे अलग-अलग कथाएं और कहानियां भी हैं. लंका युद्ध में श्री राम ने रावण का वध के लिये व्हंदी देवी का पूजन भी किया था और देवी चंडी को खुश भी किया था. चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल का इंतजाम किया जाता हैं. वही रावण ने भी अमरता के लोभ में जीत के लिये चंडी पाठ शुरू किया था यह बात इन्द्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुंचाई और उधर नीलकमल रावण के पूजा सामग्री से गायब हो गया था.
नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता नजर आने लगा था. भय सिर्फ इस बात का था कि देवी माँ रुष्ठ ना हो जाये, दुर्लभ नीलकमल का इंतजाम तत्काल नहीं हो पाया था. तन देवी ने प्रकट होकर हाथ पकड़कर कहा राम मै प्रसन्न हु और देवी ने राम को विजयश्री का आर्शीवाद दिया था. बाद में रावण का सर्वनाश हुआ और हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ” ह की जगह ” क करवाकर रावण के हवन की दिशा को बदल दिया था.
नवरात्रि के मौके पर अपन आहार का पालन करें :
* खाना पकाने के लिये आम नमक के बजाय सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए.
* भुनकर उबालकर और भाप पिसने से जैसे खाना पकाने के तरीके का प्रयोग करें.
* इस मौके पर सिर्फ शाकाहारी खाना खाये.
* पहले कुछ दिनों तक फल ही खाये और अनाज को अपने खाने से दूर रखें.
* तले हुए और भारी खाना खाने से बिल्कुल दूर ही रहें इसी में आपकी भलाई हैं.
* नवरात्रि के मौके पर तो प्याज और लहसुन से वंचित रहें.
नवरात्री पर धार्मिक क्रिया :
नवरात्रि के मौके पर नवरात्रि को 3 भागों में बाँटा जा सकता हैं उसमे पहले 3 दिन तमस को हैं. दुसरे 3 दिन रजस को व तीसरे सत्व की आराधना के हैं, आखिरी दिन दशहरा हैं. जिस दिन महामाया को प्रकट करते हैं तब बल बढ़ाने के लिये उपासना करनी चाहिए. संसार में शक्ति के बिना कोई काम सफल नहीं होता हैं.
चुनाव में भी देखों तो हार-जीत तो होती ही रहती हैं, ऐसा नहीं है कि यह आदमी अच्छा हैं इसलिये चुनाव में जीत गया और वह आदमी बुरा हैं इसलिए चुनाव हार गया. चुनाव में जितने के लिये जिसने ज्यादा शक्ति लगाई हो तो उसके जितने के चांस ज्यादा होते हैं, कई लोग भगवान सूर्य की उपासना करके चित्त को शांत करके अपने जीवन को तेजस्वी बना लेते हैं तो गणपति बाप्पा मोरिया करके चित्त को खुश और आनंद से भर देते हैं.
उपासना से शांति, ख़ुशी और जोश मिलता हैं उसका बल और दिमाग बढ़ता हैं और तभी आत्मज्ञान के वचन और पचाने का अधिकारी बनता हैं. ऐसा अधिकारी महापुरुषों के अनुभव को अपना अनुभव बना लेते हैं.
दोस्तों, आप सभी को नवरात्री की शुभकामनायें. इस पावन त्यौहार को पूरी निष्ठा से निभाये, खुशियाँ ले और खुशियाँ बांटे. हर त्यौहार अपना यही मकसद होता है की वह आपको सुख, समृधि और शांति दे. हमारी मनोकामना है की आपको यह सबकुछ प्राप्त हो.
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