राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत की जीवनी – Mohan Bagwat Life – History In Hindi
दोस्तों ! आपने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी R.S.S. का नाम तो सुना होगा और इसके संघ प्रमुख का नाम है श्री मोहन मधुकर भागवत. मोहन भागवत सन 2009 से राष्टीय स्वंय संघ के संचालक है. मोहन भागवत पहले एक पशु चिकित्सक थे. इनको एक साफ छवि वाला इंसान माना जाता है. मोहन भगवत से पहले के. एस. सुदर्शन जी राष्टीय स्वंय संघ के संचालक थे जिन्होंने अपना उतरदायित्व इनके ऊपर सौंपा. भागवत जी अंदर हिन्दुत्व की भावना है और हिन्दू के प्रति इनकी अच्छी विचारधारा है.

मोहन भागवत
मोहन भागवत के शुरूआती जीवन के पल :
इनका पूरा नाम मोहन मधुकर राव भागवत है. इनका जन्म 11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के छोटे से गाँव चंद्रपुर नामक जगह में हुआ था. इनके पिता मधुकरराव भागवत एक समाज सेवी (प्रचारक) रहें है. मोहन भागवत 4 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. ये 3 भाई और 1 बहिन है. मधुकर राव भागवत ने लालकृष्ण आडवाणी को राष्टीय स्वंय संघ से परिचय कराया था.
मोहन जी की शुरूआती शिक्षा चंद्रपुर से हुई और बाद में इन्होने बीएससी (प्रथम) की शिक्षा पूरी की. इसके बाद इन्होने पंजाबराव कृषि विद्यापीठ अकोला से पशु और पशुपालन में डिग्री हासिल की. इंदिरा जी के समय आपातकाल में इन्होंने अपनी पढाई अधूरी छोड़ कर संघ के प्रचार में कूद गये और पूरा ध्यान स्वंय सेवक संघ की ओर दे दिया.
राष्टीय स्वंय सेवक संघ से भागवत का सम्बन्ध :
आपातकाल के समय मोहन जी भूमिगत एवं सामाजिक रूप से अकोला (महाराष्ट्र) संघ के प्रचारक बन गये. इसके बाद इन्होंने संघ को मजबूत किया और नागपुर एवं उसके नजदीक क्षेत्रों में संघ को आगे लेकर गए. 1991 के समय वे अखिल भारतीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख बनाये गये. 21 मार्च 2009 को मोहन भागवत को सर संघचालक मनोनीत किये गए.
उस समय वे अविवाहित थे, उन्होंने देशो और विदेशों में संघ का प्रचार किया. श्री मोहन भागवत एक कम उम्र में राष्टीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख बनने वाले पहले आदमी थे. उनको साफ छवि और समाज सेवक के लिये जाना जाता है.
मोहन भागवत के विचार :
वे हिंदूवादी एवं हिन्दुत्व की भावना में विश्वास रखते है. वे पहलें और आज के समय में हमेशा आगे चलने पर बल देते है. मोहन जी ने अनेकता में एकता पर बल दिया. उन्होंने कहा है कि पार्टी में जातिवाद एवं समाजवाद का पार्टी और संघ में कोई जगह नहीं है. भागवत कहते है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और यहाँ हिन्दुस्तानियों का अधिकार रहना चाहिए.
देश में हिन्दुत्व की भावना होनी चाहिए, यह भावना हर हिंदू के घर से होनी चाहिए. समाज में भेदभाव नहीं होना चाहिए. उनका एक ही नारा है ”जय हिन्द और जय भारत ”.
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