हमको बस अपना हक चाहिए ! किसान का दर्द दिखाती हिंदी कविता
Humko Bus Hamara Haq Chahiye Hindi Kavita
ये जुल्म – ओ – सितम का दौर नहीं चाहिए,
अब दूसरा कोई और मंदसौर नहीं चाहिए
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हमको बस हमारा हक़ – हुकुक मिल जायें,
अपने हक़ से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए
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रुखी – सुखी रोटी खाकर काट लेंगे उमर,
लेकिन खून से सना हुआ एक कौर नहीं चाहिए
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दो देशो की सियासी सरगरमी से क्या मतलब,
कराची नहीं चाहिए, लाहौर नहीं चाहिए
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बड़े बेरहम है ये सियासतदान ‘राज’,
किसानों के सीने में गोलियाँ इस तौर नहीं चाहिए
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मत खेलो हमारे तकाजो से सियासी खेल,
हमको मतलबी सियासत का ठौर नहीं चाहिए
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भले ही महरूम कर दो तुम हमारे हक से हमें,
लेकिन झूठे वादों पर कोई झूठी काबिल – ए – गौर नहीं चाहिए
– राज कुमार यादव
Hindi Poem “हमको बस अपना हक चाहिए” यह कविता हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. राज कुमार यादव एक स्टूडेंट है और इनकी क्लास Isc ii year है. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.

Raj kumar Yadav
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
नयीचेतना.कॉम में ” हमको बस अपना हक चाहिए कविता – We just need our right Poetry In Hindi ” Share करने के लिए राज कुमार जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम राज कुमार जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी अन्य रचनाएँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.
राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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kisan aj apne haq liye aatmhatya tak kar dete hai kisano ka haq milna chahiye
aapki kavita likhne ki shaili gajab ki hai
Sabse acchi kavita
nice post